सेहत – राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस: कैंसर के बारे में सबसे आम बात यह है कि यह कैंसर कैसे होता है

भारतीय महिलाओं में ओवेरियन कैंसर तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। यह ओवरवी यीज़ एगिनिटी में विकसित होता है। कैंसर की शुरुआत ट्यूमर से होती है। शरीर में जब भी कोई असामान्य वृद्धि हो, उसे ट्यूमर कहा जाता है। यह दो तरह के होते हैं बिनाइन ट्यूमर और मैलिग्नेंट ट्यूमर। जो ट्यूमर मैलिग्नेंट होते हैं। बिना ट्यूमर शरीर का एक ही भाग होता है लेकिन मैलिग्नेंट ट्यूमर एक भाग से दूसरे भाग में भिन्न हो सकता है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें सेल्स में अनियमित लक्षण दिखाई देते हैं। जर्म सेल ट्यूमर बिना ओवेरियन कैंसर का एक प्रकार है। 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस है, इस मॉक पर ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर के बारे में जानना जरूरी है क्योंकि यह कैंसर के खतरे का भविष्य अंधकार में डाल सकता है।

ओवरसी में ऐसा लगता है जैसे टॉम
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सिंक्रोनाइज़ मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में परामर्श डॉ. राहुल डी मोदी कहते हैं कि ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर ओवेरियन कैंसर का एक प्रकार होता है जो 10 साल से 25 साल की लड़कियों में पाया जाता है। ओवरसी में जर्मन सेल स्वामित्व में हैं। जब यह अजीब तरह से उग्र पेट बन जाते हैं तो ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर कहलाते हैं। अगर इसकी पहली स्टेज में ही पता चल जाए तो इसकी सर्जरी और कीमोथेरेपी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

गर्भ से ही होती है ये बीमारी
ओवेरियन कैंसर जेनेटिक नहीं होता है। यह मां का गर्भाधान ही शुरू होता है। जैम सेल रिप्रोडक्टिव सेल होते हैं जो ओवरी में निर्मित होते हैं। यह ट्यूमर एग की गड़बड़ी के कारण होता है। जर्म सेल्स यॉल्क सैक वाइज़ में भ्रूणहत्या विकसित हो रही है, जिसमें वृद्धि भी शामिल है। नवजात शिशु में इस बीमारी का पता चलना मुश्किल होता है।

जर्म सेल ट्यूमर की वजह से शरीर में हार्मोन परिवर्तन हो सकता है और लड़कियों में समय से पहले यौवन आ सकता है (छवि-कैनवा)

पेट में दर्द होने लगता है
लड़कियों के शरीर में हार्मोन्स का उद्गम-बना बना रहता है जिससे वह अक्सर पेट दर्द की शिकायत करती है। लेकिन ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर में भी पेट में दर्द होता है। पेट में ब्लोटिंग या भारीपन महसूस होता है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए पहले अल्ट्रासाउंड और फिर ब्लड टेस्ट किया जाता है। इससे पता चलता है कि किस प्रकार का जर्म सेल ट्यूमर है। लेकिन अगर यह स्टेज 3 या 4 पर पहुंच जाए तो यह मोटा साबित हो सकता है। ऐसे मामलों में पहले कीमोथेरेपी दी जाती है और उसके बाद सर्जरी की जाती है। स्टेज 1 या 2 पर समय रहते इसका इलाज शुरू हो जाए तो मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है।

4 स्टेज में पतवार है
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार जर्म सेल ट्यूमर का पहला स्टेज ओवरी में ही होता है। दूसरे चरण में इसके टिशू पेल्विस में यूरोपियन यूट्यूब और यूट्रस भी शामिल हैं। तीसरे चरण में यह कैंसर वैज्ञानिक स्केल या पेल्विक क्रैट्रिक की टिश्यू लाइनिंग या पेट की गुहा में स्ट्रेंथ है। चौथी स्टेज में यह कैंसर लिवर, पेट के बाहर या फिर फेफड़े तक भी पहुंच सकता है।

मेनस्ट्रुअल साइकल में डिस्टर्ब हो सकते हैं
प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों के शरीर में बदलाव आते हैं और इसके बाद उनकी इनस्ट्रक्शनल साइकल की शुरुआत होती है। महिलाओं के शरीर में दो ओवरी होते हैं और हर महीने बारी-बारी से एक-एक ओवरी सेल्स होते हैं और उसके बाद एग रिलीज़ होती है। जिन गर्ल्स को ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर होता है, उनकी वजह से से मेंस्ट्रुअल साइकल डिसऑर्डर हो सकता है लेकिन इससे इस बीमारी का पता नहीं चलता है।

जर्म सेल ट्यूमर में पेट में तेज दर्द होने के साथ-साथ भूख भी कम हो सकती है (Image-Canva)

लड़कियाँ भविष्य में माँ बन सकती हैं
डॉ. राहुल डी मोदी कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर एक ही ओवरी में होता है। समय-समय पर इस बीमारी का पता चल जाए तो ओवरडी जारी किया जा सकता है और महिला को अन्य ओवरी की मदद से भविष्य में मां बन सकती है। इस प्रकार का कैंसर रेस्ट ओवेरियन कैंसर से अलग होता है क्योंकि रेस्ट ओवेरियन कैंसर में यूट्रस और दोनों ओवरी तक खत्म हो जाते हैं। लेकिन अगर किसी महिला को ओवेरियन जर्म सेल ट्यूमर में डिस्गर्मिनोमा हो तो दोनों ओवरी तक निकल सकते हैं। ऐसा केवल 10% मामलों में ही होता है।

ओवेरियन कैंसर 4 प्रकार का होता है
ओवेरियन कैंसर का पता लगाना बहुत मुश्किल है। यह बार-बार अंतिम चरण का पता चलता है। जर्म सेल ट्यूमर में 4 प्रकार का कैंसर होता है। बॉर्डरलाइन ओवेरियन ट्यूमर में ओवरी को कवर करने वाले टिशू असामान्य तरीके से बढ़ रहे हैं। एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर सबसे आम है। इसके 95% मामले सामने आते हैं. स्ट्रोमल ट्यूमर में ओवरी से कनेक्टेड करने वाले टिशु प्रभावित होते हैं। 40 की उम्र के बाद ओवेरियन कैंसर के कारण खराब लाइफस्टाइल हो सकती है। यह धूम्रपान, शराब, इन्फर्टिलिटी की दवा, हार्मोन थेरेपी लेना या नशे की वजह से हो सकता है। जिन महिलाओं के कभी बच्चे पैदा नहीं होते, उनमें भी यह कैंसर का खतरा बना रहता है।


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