सेहत – संस्करण से भी होता है कैंसर! ज्यादातर महिलाएं ‘साइलेंट किलर’ से अन्नया, जानें योग्यता का दावा
रीवा: भारत में सांस्कृतिक विरासत और संस्कृति की पहचान है। प्राचीन समय से देश की महिलाएं काम-काज पहनती आ रही हैं। आज भी रोज़गार का फैशन कहीं से भी कम नहीं है। गांव से लेकर बॉलीवुड में रोमांस की धूम है। लेकिन, अगर आपको ये पता चले कि रैंकिंग से महिलाओं को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? जाहिर है, आप इस बात पर यकीन नहीं कर सकते। बहुत सी महिलाएं या लड़कियां तो ये दोस्त भी तैयार नहीं हैं. लेकिन, गैजेट की ये बात डरने वाली है।
अगर गांव हो या शहर, देश के सभी इलाकों में महिलाएं काम करती हैं। लेकिन, इसके लक्षण से होने वाले कैंसर जैसी बीमारी से जुड़े अन्य हैं। इसका मॉडल मॉडल 18 को टैब हुआ, जब रीवा के गर्ल्स कॉलेज की गर्लफ्रेंड से बात की गई। उनका जवाब हैरान कर देने वाला था. उनका कहना है, कैंसर से बचाव कभी नहीं हो सकता। एक लड़की ने थोड़ी जागरुकता दिखाई और कहा, पेटीकोट के मोटे नाडे की वजह से रीचेज से कैंसर कभी नहीं हो सकता। वहीं, कुछ ने इसे केवल अफवाह बताया।
अब बेस्ट की सुनिए…
रीवा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के अध्यक्ष डॉ. अक्षय ने बताया कि पेटीकोट का नाड़ा जब गर्म और आर्द्र सीजन में खराब होता है तो यह गंदगी और गंदगी के जमाव से जलन और खुजली पैदा कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य औषधियां सीमित होने के कारण प्रारंभिक महिलाओं को भर्ती कर दिया जाता है और जब हेल्थथ खराब हो जाता है, तब डॉक्टर को छोड़ दिया जाता है।
पेटीकोट कैंसर का भी नाम
डॉक्टर ने आगे बताया, बेरोजगारी से कैंसर एक दुर्लभ स्थिति है, जो महिलाएं इससे प्रभावित हो सकती हैं, उन्हें रोजाना बेरोजगारी होती है। यह कैंसर शरीर के उस स्थिति में होता है, जहां पर रुका हुआ होता है जो कमर के बीच का भाग होता है। यह स्थिति पेटीकोट के टाइट नाड़े के कारण होती है, जो रुकावट को बांधने के लिए कमर पर कसा जाता है। ‘साड़ी कैंसर’ के अलावा इसे ‘पेटीकोट कैंसर’ के नाम से भी जाना जाता है।
डॉक्टर की सलाह पर गौर करें
पेटीकोट को बहुत नुकसान न पहुंचे, खासकर अगर त्वचा में रंग बदल जाए या पपड़ी बन जाए जैसे कि डर्मेट के शुरुआती लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। पेटीकोट में प्लास्टिक कमरबंद का उपयोग कमर पर दबाव के समान रूप से किया जाता है। पेटीकोट को बांधने की पाइपलाइन समय-समय पर चलती रहती है। घर पर हों तो एंटरप्राइज़ इलास्टिक वाले पाटलून टुकड़े ताकि हवा का संचार हो सके। कभी-कभी टाइट फैब्रिक न ही अस्पताल, हमेशा के लिए रेस्तरां ही फर्नीचर। कमर पर टिट बेल फ्लैट या नाड़ा न बांधें। त्वचा पर अगर इला आयुर्वेदिक से जलन और खुजली हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पहले प्रकाशित : 12 नवंबर, 2024, 06:52 IST
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
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