सेहत – देश में महामारी की तरह फैल रही बाढ़ ! अगले 20 वर्षों में साइंटिस्ट हो सकते हैं हालात, लैंसेट की रिपोर्ट में ताज़ा
भारत में मधुमेह के मामले: विश्व में श्रमिकों की समस्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में भी लाखों लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं। बिमारियों की बीमारी में लोगों का ब्लड शुगर अनकंट्रोल होने लगता है और इसे नियंत्रित करने के लिए जीवनभर प्रयास करना पड़ता है। द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में एन्कंट्रोल चूहों के पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक है। इस अध्ययन के अनुसार 2022 में लगभग 828 मिलियन (82 करोड़) विकल्स डायग्नोज़ की गई, जिसमें से एक कॉर्टेक्स 212 मिलियन (21.2 करोड़) भारत में रहते हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में चोरों के करीब 10 करोड़ लोग हैं।
भारत के बाद चीन में 148 करोड़, अमेरिका में 42 करोड़, पाकिस्तान में 36 करोड़, इंडोनेशिया में 25 करोड़ और ब्राजील में 22 करोड़ लोग पीड़ितों से हैं। यह अध्ययन एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबोरेशन (एनसीडी-आरआईएससी) द्वारा किया गया था। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख ऑथर माजिद अज़ाती का कहना है कि यह अध्ययनकर्ताओं को वैश्विक हितों से जोड़ता है। छोटे और मध्यम एशिया के देशों में औसत दर स्थिर है, जबकि वहां युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह चिंता का विषय है, क्योंकि इन देशों में आम तौर पर आतंकवादियों के समूह पर युवा होते हैं और सही परिपक्वता न मिलने से जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
भारत में बेहद तेज़ी से बढ़ रहे शुगर के मरीज़
इस अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर 1990 से 2022 के बीच पुरुषों में 6.8% से 14.3% और महिलाओं में 6.9% से 13.9% की वृद्धि हुई है। निम्न और मध्य आय वाले देशों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, जबकि जापान, कनाडा और पश्चिमी यूरोप के कुछ उच्च आय वाले देशों (जैसे फ्रांस, स्पेन और डेनमार्क) में पिछले तीन दशकों में कोई बदलाव नहीं हुआ। है या सीमांत इसमें कमी है. भारत में पुरुषों और महिलाओं में वॉर्स की दर लगभग हो गई है। महिलाओं में यह 1990 में 11.9% से 2022 में 24% और पुरुषों में 11.3% से 21.4% हो गया। भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से शुगर के मरीज बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है।
2045 तक तीन हो सकते हैं तूफान के रोगी
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 तक भारत में 20-79 साल की उम्र में 74 मिलियन (7.4 करोड़) लोग वयस्कों से प्रभावित थे और 2045 तक यह संख्या 125 मिलियन (12.5 करोड़) हो गई है। भारत में भी स्थाई डायबिटिक रेटिन पैथी का बोझ अज्ञात व्यसनों के कारण बढ़ेगा। भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह पर लोगों को सलाह दी गई है, लेकिन उन्हें इस बीमारी का पता ही नहीं है। जब उनका कंडीशन गंभीर हो जाता है, तब वे उसकी जांच करवाते हैं। वक्त रहते अगर सहकर्मियों का पता चल जाए, तो इसे नियंत्रित करने में काफी देर तक मदद मिल सकती है।
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पहले प्रकाशित : 14 नवंबर, 2024, 10:04 IST
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