सेहत – क्या लाइफ स्टाइल, सामान और स्ट्रेस से रिवर्स हो सकता है? परीक्षण की राय जानें
मधुमेह को नियंत्रित करने के उपाय: वर्कर्स की बीमारी धीरे-धीरे महामारी का रूप ले रही है। देश में लाखों लोग किसानों की समस्या से जूझ रहे हैं। सहकर्मी मुख्य रूप से 2 तरह के होते हैं- टाइप 1 कर्मचारी और टाइप 2 कर्मचारी। दोनों ही तरह के व्यभिचारी खतरनाक होते हैं, लेकिन टाइप 2 व्यावसायियों को नियंत्रित करना थोड़ा आसान होता है। अगर लाइफस्टाइल और अमूर्त में जरूरी बदलाव किए गए हैं, तो काफी हद तक टाइप 2 से जुड़े लोगों को भौतिक विज्ञान में शामिल किया जा सकता है। कई लोग वर्कआउट को कंट्रोल कर लेते हैं और फिर दवाई लेना बंद कर देते हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि रिवर्स रिवर्स हो गया है। क्या डिफ़ॉल्ट टाइप 2 व्यापारियों को रिवर्स करना संभव है? इस बारे में ट्यूटोरियल्स की राय जान लेते हैं।
गुड़गांव के मारेंगो एशिया स्कॉलरशिप हॉस्पिटल के वर्कर्स एंड ओबेसिटी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. पारस अग्रवाल ने News18 को बताया कि टाइप 2 दवाओं को बेहतर जीवनशैली, अच्छी सामग्री और औषधीय गतिविधि के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। आख़िर से व्यसनी के शुरुआती 2 साल में सही लाइफस्टाइल अपना लिया जाए, तो व्यग्रता का रेमिशन (छूट) हो सकता है। रेमिशन का मतलब यह होता है कि मरीज़ बिना नशीली दवाओं के पेय पदार्थों को नियंत्रित कर सकता है। अगर लाइफस्टाइल और अंतर्वस्तु पर ध्यान न दिया जाए, तो वर्क्स वापस आ सकता है। ऐसे में रेमिशन को रिवर्सल ने कहा ठीक नहीं होगा। अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि रिवर्स रिवर्स हो सकता है, लेकिन रेमिशन जरूर हो सकता है।
भोपाल के बिजनेसमैन और लाइफस्टाइल कोच अनूप गुप्ता ने बताया कि वर्क्स एक लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है, जिसे बिना दवाओं के नियंत्रण के लिए अपनी विचारधारा में सुधार करना जरूरी है। बड़ी संख्या में लोग इलाज के दौरान सही तरीके नहीं अपनाते हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में शुगर लेवल को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। बसंत के रेमिशन के लिए 5 बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन 5 युक्तियों का पालन किया जाए, तो दांतों की दवा की शुरूआत समाप्त हो सकती है और स्वास्थ्य में मजबूती आ सकती है। थेरेपी हेल्थ, मेंटल हेल्थ, इमोशनल हेल्थ, गुड क्वालिटी स्लीपर और बेहतर डॉक्टर पर ध्यान देने के लिए वर्कआउट कंट्रोल करना जरूरी है।
वाराणसी मिशन के 5 आसान तरीके
– लाइफस्टाइल कोच अनूप गुप्ता की बैंड तो शुगर के ज्यादातर मरीज किसी एक या दो नी पर अपना ध्यान दे रहे होते हैं। लोगों का ध्यान तनाव कम करने पर नहीं होता है। स्ट्रेस की वजह से आपके खून में शुगर लेवल बढ़ जाता है और स्ट्रेस को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। एक सर्वे के मुताबिक देश में 70% से ज्यादा लोगों को ऐसा लगता है कि उनकी जिंदगी में बहुत ज्यादा तनाव है। ऐसे में शुगर के मरीज़ काउंसिलिंग, मेडिटेशन या योग के माध्यम से तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है। इसके बिना दवाओं के शुगर लेवल को फिजियोलॉजी में करना काफी मिल सकता है।
– अगर आप रोजाना 7 से 9 घंटे की गहरी नींद नहीं ले रहे हैं, तो इसका असर आपके शुगर लेवल पर पड़ता है। देर रात तक मोबाइल फोन देखना, टीवी देखना या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने से शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक पूरी तरह से डिस्टर्ब हो जाती है। नींद की कमी की वजह से हमारे शरीर में भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन का स्तर हो जाता है और शर्करा स्तर भी बढ़ने लगता है। ऐसे में लोगों को रोजाना अच्छी नींद जरूर लेनी चाहिए।
-आयुर्वेद के अनुसार 80% से अधिक अस्वस्थता का मुख्य कारण पाचन तंत्र होता है। हमारे यहां स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले दस्तावेज वाले फोटोग्राफर होते हैं, अनुपात संख्या अरबों में होती है। हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इस रिकॉर्ड को बहुत से केमिकल्स ब्लॉक किया गया है। वर्चुअल और जंक फूड खाने की वजह से फूड में तंबाकू की कमी हो जाती है और गैट माइक्रोबायोम का मालिकाना हक है। इससे उच्च शर्करा सहित कई विशेषताएं हो सकती हैं। ऐसे में अपने पाचन तंत्र को सही तरीके से बनाए रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों को बनाए रखें और जंक खाद्य पदार्थों को कार्बोहाइड्रेट से दूर रखें।
– खाने में क्या है और कब खाना है, शुगर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। 90% से अधिक उपभोक्ताओं के लिए यह माना जाता है कि वे घर का खाना खाते हैं, फिर भी शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में उन्हें यह जानने की जरूरत है कि आप देर रात खाना न खाएं और रात 8 बजे से पहले ही खाना खा लें। खाने से डाइजेस्ट ठीक नहीं होता है और इसका उचित से शुगर लेवल भी प्रभावित होता है। बसंत को पुनः मिशन करने के लिए ढेर सारी कुकीज़ और ताशें तैयार करें। दैवीय खाद्य पदार्थ न सबसे अच्छे।
– शुगर की बिना दवाओं के नियंत्रण के लिए मियामी एक्टिविटी बहुत जरूरी है। प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक व्यायाम करें। स्ट्रेस लेवल को योग और चिकित्सा उद्योग में काम करने के लिए आमंत्रित करें। एसोसिएशन को रेमिशन मूड में ले जाने के लिए लाइफस्टाइल कोच, डिटेक्शनिस्ट, आर्टिस्टियन और डॉक्टर की गाइडेंस में आगे बढ़ें और किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से ग्रुप सलाह लें।
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पहले प्रकाशित : 14 नवंबर, 2024, 11:39 IST
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