सेहत – लिवर पर डबल अटैक कर सकते हैं इन क्रंची उत्पादों में बंद, अगर दावत के आदी हैं तो हो जाएं संभावित

चिप्स कुकीज़ लीवर के लिए हानिकारक: चिप्स या कॉर्न फ्लेक्स, उदाहरण के लिए इस तरह के चिप्स में चबाना होता है कि चिप्स से ही प्यार हो जाता है। हमारा जीभ बरबस ही इन नी पर चलता है। लेकिन ये ऐसी चीजें हैं जो देखने में बेशक अच्छी लगती हैं लेकिन अगर इसकी आदत लग जाए तो शरीर के उपयोग को खोखला करने लगती हैं। ये सब लीवर पर सबसे बुरा असर डालते हैं क्योंकि ये कुरकुरे, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज़ जैसी क्रैंची सामग्री के अल्ट्रा स्ट्रॉक्ड होते हैं जिनका मतलब है कि अनाज को कई तरह के नुकसान पहुंचाए गए हैं और इसमें कई तरह के केम शामिल हैं। तो चला ही जाता है ऊपर से पुनर्विक्रय रसायन भी मिला दिया जाता है जो उग्र तो नुकसान नहीं करता है लेकिन पुनर्विक्रय रसायन का औज़ारीकरण अस्पताल में किया जा सकता है। उत्तर, वियतनाम में बहुत तेज़ तापमान पर प्याज जाता है। सबसे पहले मैदा का प्रयोग होता है. मैदा की तरह ही अल्ट्रा स्टोकॉल्ड है क्योंकि इसमें से कई केमिकल मिलते हैं। इसके बाद तेल बहुत तेजी से गर्म हो जाता है जिससे तेल में आयोडीन की कमी हो जाती है जिससे शरीर में फ्री रेडिकल्स बन जाते हैं। वहीं इसके अवशेषों में भी कई तरह के रसायन इस्तेमाल हो जाते हैं। इनमें से अधिकांश लिवर शरीर के नहीं होते हैं। कई कार्यों को नुकसान पहुँचता है.

क्या हैं ये क्रंची चीज़ें
डॉ. प्रियंक रोहतगी उन्होंने बताया कि ये चीजें अल्ट्रा चॉकलेट होती हैं।इनमें तरह-तरह के चिप्स, कुकुरे, आलू चिप्स, कॉर्न फलेक्स, रोस्टेट भुजिया, पॉपकॉर्न, क्रैंची नट्स, फूड्ड कुकीज, बिस्कुट, टॉफी, चॉकलेट आदि इस श्रेणी में आते हैं।

क्यों नुकसान पहुंचाती हैं ये चीजें
इन नीबू में तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है और फिर ठंडा हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान आयोडीन की कमी हो जाती है और लगातार परेशानी शुरू हो जाती है। आयोडीनीकरण के कारण इसकी संरचना टूट गई है और इसके स्थान पर रासायनिक रसायन लग गया है। इस तेल में डीप फ्रीज़ किया जाता है जिससे इसमें से माइक्रोन्यूट्रेंट्स ख़त्म हो जाते हैं। इसके अलावा बेरोज़गारी भी इसमें नहीं होती. डीप फ्राई के दौरान ही इस उत्पाद को कई दिनों तक तैयार करने के लिए इसमें तरह-तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं। ये केमिकल बेहद खतरनाक होते हैं जिससे लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचता है।

लिवर पर किस तरह का असर होता है
डॉ. प्रियंक रोहतगी बताएं कि चिप्स हो या कुरकुरे-मुरमुरे, इनमें प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल होता है और नमक या चीनी का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। विशेष रूप से एडेड शुगर का जो बेहद खतरनाक होता है।इनमें हिडेन सॉल्ट का निर्माण होता है। डॉ. प्रियंक ने बताया कि जिन उत्पादों में केमिकल मिलाए जाते हैं, उन्हें आम तौर पर छुपा लिया जाता है। अगर लिखा भी जाए तो ऐसी भाषा लिखी होती है जिसे आम लोग समझ नहीं पाते। मसलन पिज्जा में E-2, E-21 या E-26 जैसे शब्द लिखे होते हैं.इसका मतलब शायद ही कोई निंदा होता है. ये सब रंग के नाम हैं जो बेहद खतरनाक हैं. इसी तरह का एसिड रेगुलेटर को आई माउस 330 लिखा होता है या इसे साइट्रिक एसिड लिखा जाता है। लेकिन यह साइट्रिक एसिड से बहुत अलग है। इनमें से कई दिनों से अब तक प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो बेहद खतरनाक है।

कलाकारिफ़ाइकल रंग घातक
कलात्मक सांस्कृतिक रंग भी बहुत घातक है. ये सारे प्राकृतिक रसायन सीधे लिवर में घुसते हैं और लिवर इन्हें निकालने में सक्षम नहीं होता है। वहीं ये बाद में गुड चॉकलेट को मार देता है। इसी तरह के आंतक का कारण लिवर पर दोहरा हमला भी होता है। लिवर के साथ ही ये एल्युमिनियम केमिकल किडनी, आंत और यहां तक ​​कि दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

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