दुनियां – ईरान में 6 प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा, सरकार विरोधी प्रदर्शन में थें शामिल – #INA

ईरान की एक अदालत ने 2022 में हुए प्रदर्शनों के दौरान एक बसीज मिलिशिया सदस्य की हत्या में शामिल होने के आरोप में छह लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई. इन व्यक्तियों पर हत्या में शामिल होने का आरोप है, हालांकि इन आरोपों को लेकर विवाद है, क्योंकि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं. इनमें मिलाद अर्मून, अलीरेजा काफई, अमीर मोहम्मद खोष एगबाल, नजारान, होसैन नेमाती और अलीरेजा बर्मार्जपोरनाक शामिल हैं.
इन सभी को किसास अल-नफ्स (इस्लामी प्रतिशोधात्मक मृत्युदंड) के तहत सजा दी गई है. हालांकि इस फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है. यह मामला महसा अमिनी की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ है, जिनमें बसीज मिलिशिया सदस्य अर्मान अलीवर्दी की हत्या का आरोप इन छह आरोपियों पर लगाया गया है.
प्रदर्शनकारियों पर लगा ये आरोप
आरोपियों पर हत्या, सार्वजनिक शांति को भंग करने जैसे और भी कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, इस मामले में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें अलीवर्दी खून से सने हुए दिख रहे थे और एक प्रदर्शनकारी उन्हें लात मार रहा था. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने अलीवर्दी को चाकू मारा था, लेकिन आरोपी इन आरोपों से इंकार करते रहे हैं. एखबतान में रहने वालो का कहना है कि अलीवर्दी प्रदर्शनों में घुसने की कोशिश कर रहा था.
न्यायिक तंत्र पर बढ़ रहा सरकार का दबाव
यह मामला इस बात से पर्दा उठाता है कि ईरान में न्यायिक तंत्र पर सत्तारूढ़ सरकार का दबाव बढ़ता जा रहा है और यह विपक्षी आवाजों और प्रदर्शनकारियों को दबाने का एक नया हथियार बन गया है. मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाया है कि इन आरोपियों को प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ मुकदमे में निष्पक्षता की कमी रही.
प्रदर्शनकारियों पर डाला गया दबाव
इकेबतान में बसीज मिलिशिया द्वारा प्रदर्शनकारियों पर दबाव डालने और अपार्टमेंटों में घुसकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कई घटनाएं भी सामने आई हैं. ईरान में शासन के खिलाफ विरोध बढ़ने के साथ, न्यायिक प्रणाली के खिलाफ आक्रोश भी बढ़ रहा है. राजनीतिक कार्यकर्ता होसैन रोनाघी ने इन सजा का विरोध करते हुए लिखा है कि यह न्यायपालिका के विपक्षियों और प्रदर्शनकारियों को चुप कराने का एक हथियार बन गई है.
मानवाधिकार संगठनों ने भी उठाए सवाल
वहीं मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ईरान में प्रदर्शनों से जुड़ी सुनवाईयों में पारदर्शिता की कमी है और यह अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानकों का पालन नहीं करतीं. अब तक, प्रदर्शनों से जुड़ी कई सजा की ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें नौ लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. इनमें मोहम्मद मेहदी करामी, मोहम्मद घोबाडो, मोहन शेखरी और माजिदरेजा राहनवर्ड जैसे नाम शामिल हैं. ईरान की न्यायपालिका के इस कड़े रवैये ने मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर चिंताओं को और बढ़ा दिया है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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