Political – हरियाणा में ‘डबल इंजन’ सरकार की परंपरा रहेगी बरकरार या फिर कांग्रेस रचेगी नया इतिहास?- #INA
बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार मारेगी बाजी?
हरियाणा की सियासत में ‘डबल इंजन’ की सत्ता का ट्रेंड चला आ रहा है. तीन दशक से परंपरा यह रही है कि केंद्र और राज्य में एक ही दल या गठबंधन की सरकार बनी हैं. लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में देखा गया है कि केंद्र की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली पार्टी ही राज्य की सत्ता पर विराजमान होती रही है. बीजेपी की कोशिश इस रिवायत को बचाए रखने की है तो कांग्रेस ‘डबल इंजन’ सरकार वाली परंपरा को तोड़कर नया इतिहास लिखने की कवायद में है. ऐसे में देखना है कि हरियाणा की सियासी बाजी कौन मारता है?
लोकसभा चुनाव के बाद सबसे पहले जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. केंद्र में बीजेपी जीत की हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी हरियाणा में ऐसा ही करिश्मा करने की फिराक में है, जिसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी इस बात को जानती है कि हरिणाया के विधानसभा चुनाव में वह विफल हुई तो विपक्ष यह नेरेटिव बनाना शुरू कर देगा कि देश में बीजेपी का ग्राफ गिरने लगा है. इसीलिए बीजेपी हरियाणा का चुनाव जीतने के लिए पूरे दमखम से जुट गई है. ऐसे में बीजेपी यह बताने की कोशश में जुट गई है कि केंद्र में सरकार बनाने वाली पार्टी ही हरियाणा की सत्ता पर काबिज होती है.
BJP की तीसरी बार जीतने की तैयारी
हरियाणा में पिछले दो बार से सत्ता अपने नाम करने वाली बीजेपी लगातार तीसरी बार जीतकर सरकार बनाने की कवायद में है. पीएम मोदी ने कुरुक्षेत्र में अपनी पहली चुनावी जनसभा में डबल इंजन सरकार की परंपरा को बनाए रखने का हवाला दिया था. उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोग 50 साल से उसी राजनीतिक दल की सरकार बनाते आ रहे हैं, जिसकी केंद्र में होती है. पीएम मोदी ही नहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी गुरुग्राम की रैली में कहा कि हरियाणा का इतिहास रहा है कि केंद्र में सरकार बनाने वाली पार्टी ही हरियाणा में सरकार बनाती है.
हरियाणा का सियासी इतिहास
हरियाणा के सियासी इतिहास में अभी तक कुल 13 बार विधानसभा चुनाव हुए है, जिसमें से केवल तीन ही बार बीजेपी सत्ता में आई है. बीजेपी ने 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी. इसके बाद 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने 47 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई. 2019 के चुनाव में 40 सीटें जीतने के बाद जननायक जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई. बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है, जिसके लिए केंद्र में बनी मोदी सरकार का हवाला दिया जा रहा है.
हरियाणा में ‘डबल इंजन’ की सरकार का ट्रेंड
हरियाणा में ‘डबल इंजन’ की सरकार का सिलसिला तीन दशक से चला आ रहा है. 1996 में बीजेपी ने केंद्र में भले ही सिर्फ 13 दिन की सरकार बनाई हो, लेकिन हरियाणा में बंसीलाल के साथ मिलकर सरकार में शामिल रही. इसके बाद 1999 में बीजेपी एनडीए के साथ मिलकर केंद्र की सत्ता में आई थी, जिसमें इनेलो भी शामिल थी. इसके बाद हरियाणा में 2000 में विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी और इनेलो ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसमें गठबंधन को 90 में से 53 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 21 सीटें आई. इनेलो के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने थे.
2005 से 2015 तक कांग्रेस का कब्जा
2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और कई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. देश की सत्ता में वापसी करने के बाद 2005 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटें जीतकर हरियाणा की सत्ता में वापसी की. इस तरह एक बार फिर ‘डबल इंजन’ की सरकार हरियाणा में बनी. इसके बाद 2009 का लोकसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार केंद्र में बनी. इसके एक साल बाद 2010 में विधानसभा चुनाव हुए. कांग्रेस भले ही पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी, लेकिन निर्दलीय और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही. इस तरह कांग्रेस केंद्र के साथ-साथ हरियाणा की सत्ता पर काबिज रही.
हरियाणा में दस साल से बीजेपी का कब्जा
2014 में देश की सत्ता परिवर्तन का सियासी प्रभाव हरियाणा की राजनीति पर भी पडा. 2014 के लोकसभा चुनाव के एक साल बाद 2015 में हरियाणा के विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और पहली बार अपना मुख्यमंत्री बनाने में भी सफल रही. इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में वापसी के साथ ही बीजेपी हरियाणा की सियासी बाजी भी अपने नाम करने में कामयाब रही. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भल ही बहुमत नहीं मिली, लेकिन 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलियों के सहयोग से सरकार बनाई है.
परंपरा बनाए रखने और तोड़ने की कवायद
हरियाणा में डबल इंजन की सरकार की परंपरा को बीजेपी हर हाल में बरकरार रखना चाहती है तो कांग्रेस उसे बदलने की कोशिश में है. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को जिस तरह से हरियाणा की 10 में से पांच सीटें गंवानी पड़ी है. कांग्रेस की बढ़ी सीटें और वोट शेयर ने बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ा रखी है. इसके अलावा एंटी इंकम्बेंसी और किसान, पहलवान, जवान का मुद्दा भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ, जिसके चलते खुलकर बीजेपी नहीं खेल पा रही है.
बीजेपी जातीय समीकरण के सहारे सत्ता की हैट्रिक लगाने और डबल इंजन की परंपरा को बचाए रखने के लिए चुनावी जंग लड़ रही है. लेकिन कांग्रेस दलित, जाट, ओबीसी और मुस्लिम समीकरण के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है. जाट वोट परंपरागत रूप से बीजेपी के खिलाफ माने जाते रहे हैं और इस बार किसान और पहलवान आंदोलनों का असर भी चुनाव में पड़ सकता है. इसलिए बीजेपी का जोर ओबीसी मतदाताओं पर है और नायब सिंह सैनी के सहारे सत्ता में वापसी करना चाहती है. कांग्रेस दलित और जाट समीकरण के सहारे डबल इंजन की चली आ रही रिवायत को खत्म करने की कोशिश में है.
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