Political – हरियाणा-कश्मीर चुनाव: प्रचार करने में मोदी-शाह के मुकाबले राहुल और खरगे क्यों हैं सुस्त?- #INA
प्रचार करने में शाह-मोदी के मुकाबले राहुल और खरगे क्यों हैं सुस्त?
विधानसभा के चुनावी दंगल में एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी की टॉप लीडरशिप ने पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता सुस्त नजर आ रहे हैं. स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे ऊपर नाम होने के बावजूद राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे हरियाणा के चुनावी कैंपेन से दूरी बनाए हुए हैं. कश्मीर में भी दोनों की सिर्फ एक-एक रैली ही हुई है.
इसके उलट बीजेपी की तरफ से पिछले एक हफ्ते में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने हरियाणा और कश्मीर में 10 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया है. इतना ही नहीं, गृह मंत्री शाह तो महाराष्ट्र और झारखंड का दौरा कर वहां के सियासी कील कांटे को भी दुरुस्त करने में जुटे हैं.
7 दिन में मोदी-शाह की 10 से ज्यादा रैली
बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मोर्चा संभाले हुए हैं. जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में दोनों की अब तक 10 से ज्यादा रैली हो चुकी है. पीएम मोदी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में रैली कर चुके हैं, जबकि कश्मीर के डोडा और श्रीनगर में हाल ही में उनकी रैली हुई है.
इसी तरह अमित शाह हरियाणा में पिछले 7 दिन में 4 रैलियों को संबोधित कर चुके हैं. 23 सितंबर को शाह टोहना और जगधारी की रैली में शामिल हुए. शाह ने 17 सितंबर को लोहारू और फरीदाबाद में रैली किया था.
शाह इतने ही दिनों में कश्मीर में 6 रैली कर चुके हैं. इनमें नौशेरा, थानामंडी, अखनूर, सूरनकोट, मेंढर और राजौरी की सभाएं शामिल हैं. सार्वजनिक रैलियों के अलावा शाह हर मीटिंग के बाद ग्राउंड फीडबैक लेने को लेकर कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद भी कर रहे हैं.
इतना ही नहीं, शाह झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी जाकर कील-कांटे को दुरुस्त कर रहे हैं. इन दोनों ही राज्यों में साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
राहुल और खरगे की एक-एक रैली
पिछले एक हफ्ते में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक-एक रैली की है. दोनों नेताओं की रैली कश्मीर में ही हुई है. 23 सितंबर को राहुल ने श्रीनगर में रैली की और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा.
वहीं तीन पहले मल्लिकार्जुन खरगे ने खौर में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया था. खरगे और राहुल ने अब तक हरियाणा में भी एक भी रैली नहीं की है. 23 सितंबर को खरगे की रैली हरियाणा में प्रस्तावित भी थी, लेकिन उसे आखिरी वक्त में रद्द कर दी गई.
पूरे चुनाव का शेड्यूल देखा जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 2 रैली कश्मीर में हुई है. पहली रैली 12 सितंबर को खरगे ने अनंतनाग में की थी. वहीं अमेरिका दौरे पर जाने से पहले 4 सितंबर को राहुल ने कश्मीर में एक रैली को संबोधित किया था.
राहुल और प्रियंका गांधी ने अब तक हरियाणा का रूख नहीं किया है. कहा जा रहा है कि हरियाणा में राहुल गांधी में सिर्फ 3-4 रैली को संबोधित कर सकते हैं.
रैली करने में खरगे-राहुल सुस्त क्यों?
खरगे और राहुल की सुस्ती को रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे और स्थानीय नेताओं के नाम पर लड़ रही है. मसलन, कश्मीर में पार्टी ने सभी बड़े नेताओं को चुनाव के मैदान में उतार दिया है.
पहली पार पार्टी के 4 पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एक राष्ट्रीय महासचिव घाटी में विधायकी लड़ रहे हैं. इनमें विकार रसूल वानी, पीरजादा मोहम्मद सईद और गुलाम अहमद मीर का नाम प्रमुख हैं.
इसके अलावा चौधरी लाल सिंह, तारा चंद और वर्तमान अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा भी चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस की रणनीति स्थानीय नेताओं के जरिए विधानसभा चुनाव जीतने की है.
हरियाणा में भी कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को मोर्चेबंदी पर तैनात कर रखा है. यहां पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा, उनके सांसद बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान जैसे नेता पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं.
हरियाणा में रैली न करने की एक वजह आंतरिक गुटबाजी को भी माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि हरियाणा की कद्दावर नेता कुमारी सैलजा पार्टी के हालिया फैसलों से नाखुश हैं. हाईकमान सैलजा की नाराजगी दूर कर ही हरियाणा के मैदान में उतरना चाहती है.
जम्मू-कश्मीर में 2 चरणों का चुनाव प्रचार थम गया है. अब वहां पर आखिरी चरण का प्रचार चल रहा है. घाटी में आखिरी चरण के लिए 1 अक्टूबर को मतदान कराए जाएंगे. वहीं हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान प्रस्तावित है. दोनों ही राज्यों में 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.
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