Political – हरियाणा और जम्मू कश्मीर में किस पार्टी को मिलेगा ताज? जानें सियासी हाल- #INA

महबूबा मुफ्ती, नायब सैनी और मनोहर लाल खट्टर और उमर अब्दुल्ला.

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में मतदान संपन्न हो गये हैं और मतगणना 8 अक्टूबर को होगी. दोनों राज्यों में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 46 सीटों पर जीत की जरूरत है. हरियाणा में पिछले सालों से बीजेपी की सरकार है, तो कांग्रेस सत्ता में वापसी की ताल ठोक रही है और वहीं जम्मू-कश्मीर में 10 सालों के बाद चुनाव हुए हैें और धारा 370 समाप्त होने और केंद्रशासित राज्य घोषित होने के बाद यह पहला चुनाव था. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा. बीजेपी और पीडीपी ने भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है.

आठ अक्टूबर को चुनाव परिणाम से पहले शनिवार को एग्जिट पोल के रिजल्ट जारी हुए हैं. एग्जिट पोल के रिजल्ट से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. हरियाणा में 10 सालों के बाद सत्ता वापसी के अनुमान लगाये गए हैं तो जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ एग्जिट पोल में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को सरकार बनाते हुए दिखाया गया है, जबकि कुछ में गठबंधन को बहुमत से 10 से 15 सीटें दूर दिखाया गया है.

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन को 40 सीटें मिलने का अनुमान है और भाजपा को 30 सीटें मिलने का अनुमान है. एग्जिट पोल का अनुमान है कि पीडीपी और अन्य को 10-10 सीटें मिलेंगी और वह किंगमेकर का भूमिका निभा सकती है.हालांकि ये केवल अनुमान ही हैं, परिणाम आठ अक्टूबर को ही सामने आएंगे.

हरियाणा में क्या बदल गई है हवा? जानें वजह

हरियाणा में इस साल विधासनभा चुनाव होने थे और उसके बाद वहां सीएम बदला गया. पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर और किसानों के गुस्से को मात देने की कोशिश में मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को राज्य का सीएम बनाया, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों को देखें तो यह भी नाकाम होता दिख रहा है.

अग्निवीर भर्ती योजना और हरियाणा में तीन कृषि बिलों ने किसानों और युवाओं पर अच्छा प्रभाव नहीं डाला है.किसान आंदोलन पर भाजपा का रुख और केंद्र सरकार का रवैया भाजपा के खराब प्रदर्शन की मुख्य वजहों में से माना जा रहा है. चाहे वह किसानों का मुद्दा हो या फिर अग्निवीर के मुद्दे पर भाजपा को युवाओं के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भाजपा के खिलाफ अग्निवीर के मुद्दे को हवा दी, जिसका असर चुनाव प्रचार के दौरान साफ ​​तौर पर दिखा.

टिकट बंटवारे में सामने आई अंदरूनी कलह

हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी कलह के चलते पार्टी के कई दिग्गज नेता कांग्रेस में शामिल हो गए. चुनाव से पहले जब भाजपा ने दूसरे दलों से नेताओं को पार्टी में शामिल किया तो कई दिग्गज नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी छोड़ दी. इसके साथ ही पार्टी को जाटों के गुस्से का भी सामना करना पड़ रहा है और यह 2024 के लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला, जहां पार्टी जाटों के गढ़ में सीटें हार गई.

भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट न मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा. पूर्व सीएम खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी अपनी पत्नी कविता जैन का टिकट कटने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया. फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. इस तरह इन दोनों कारकों के साथ सत्ता विरोधी रुझान ने एग्जिट पोल में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह बन दी.

10 साल जम्मू-कश्मीर में हुए चुनाव, जानें हाल

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हुए हैं. जम्मू-कश्मीर के 10 में से 5 पोल नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान लगा रहे हैं, जबकि 5 में पार्टी बहुमत से 10 से 15 सीट दूर नजर आ रही है. पार्टी को 40 सीटें मिलने का अनुमान है। एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 30 सीटें जबकि पीडीपी और अन्य को 10-10 सीटें मिलती दिख रही हैं.

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 1967 से 2024 तक जम्मू-कश्मीर में किसी भी विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की यह दूसरी सबसे बड़ी संख्या है. राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में पीडीपी और निर्दलीय विधायक किंगमेकर साबित हो सकते हैं.

चुनाव से पहले इंजीनियर रशीद को जेल से रिहा किया गया. इंजीनियर रशीद की पार्टी भी सरकार बनाने में भूमिका में हो सकती है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने से राज्य में कई लोग काफी नाराज हैं. इसके अलावा भाजपा ने स्थानीय दलों के साथ तालमेल बनाने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। कुल मिलाकर एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा जम्मू में बढ़त बनाती दिख रही है और घाटी में पिछड़ती दिख रही है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button