Political – CM के लिए बिहार मॉडल…महाराष्ट्र में क्यों नहीं चल सकता बीजेपी का ये फॉर्मूला?- #INA
एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद महायुति में मुख्यमंत्री को लेकर मंथन चल रहा है. मुकाबला देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच है. बाजी कौन मारता है, ये तो समय बताएगा. लेकिन उससे पहले दोनों ही पक्षों के नेताओं के अलग-अलग दावे हैं. महाराष्ट्र बीजेपी के नेता फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं तो शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता एकनाथ शिंदे को राज्य की कमान देने की अपील कर रहे है. शिवसेना के सांसद नरेश म्हस्के ने राज्य में बिहार मॉडल अपनाने की सलाह भी दे दी. उन्होंने कहा कि जैसे बीजेपी ने बिहार में नीतीश कुमार को सीएम बनाया वैसी ही महाराष्ट्र में शिंदे को सीएम बनाए. हालांकि बीजेपी शिंदे गुट के नेता की बात से सहमत नहीं है.
क्यों नहीं लागू किया जा सकता बिहार मॉडल?
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि बिहार मॉडल महाराष्ट्र में लागू नहीं हो सकता. बिहार में चुनाव से पहले ही बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाने की बात कही थी और बाद में उनको वो सम्मान भी दिया. महाराष्ट्र में हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया था, क्योंकि यहां पर हमारा बेस और नेतृत्व मजबूत है.
उन्होंने कहा कि हमने ऐसे कोई वादा नहीं किया था कि चुनाव के बाद शिंदे ही सीएम बनेंगे. चुनाव प्रचार में पार्टी के नेता ये कहते रहे कि सीएम का फैसला नतीजे के बाद ही होगा. प्रेम शुक्ला का ये बयान सीएम पद से एकनाथ शिंदे के इस्तीफे के बाद आया. हालांकि राज्यपाल ने उन्हें केयरटेकर सीएम नियुक्त किया है.
विधानसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो बीजेपी ने 132, शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की. उसने सत्ता में वापसी की है. महाविकास अघाड़ी को एकबार फिर सत्ता के लिए इंतजार करना पड़ेगा.
शिंदे ने माहौल को ठंडा करने की कोशिश की
सोमवार को शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने मांग की थी कि मुख्यमंत्री पद के लिए बिहार पैटर्न लागू किया जाए और एकनाथ शिंदे को फिर से सीएम बनना चाहिए. हालांकि, बीजेपी फडणवीस को सीएम बनाना चाहती है. पार्टी के नेता ने कहा कि 132 सीटों के जनादेश के साथ सीएम पद छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है. पार्टी को एक बार इसकी कीमत चुकानी पड़ी है.
दोनों ओर से जारी बयान के बीच शिंदे ने माहौल को ठंडा करने की कोशिश की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सीएम पद को लेकर मचे घमासान को शांत करने का प्रयास किया.
उन्होंने कहा कि महायुति की जीत के बाद राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनेगी. महायुति के रूप में हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और आज भी साथ हैं. मेरे प्रति प्रेम के कारण कुछ लोगों ने सभी से मुंबई में एकत्र होने की अपील की है. मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं. लेकिन मैं अपील करता हूं कि किसी को भी इस तरह से मेरे समर्थन में इकट्ठा नहीं होना चाहिए.
शिंदे के सुर में सुर मिलाते हुए सेना के वरिष्ठ नेता दीपक केसरकर ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा.
रामदास अठावले ने फडणवीस के लिए उठाई आवाज
इस बीच, केंद्रीय मंत्री और एनडीए सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख रामदास अठावले ने शिंदे को सलाह दी कि वे फडणवीस को सीएम की भूमिका निभाने दें. अठावले ने कहा कि एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी को लगता है कि उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए और बिहार पैटर्न को महाराष्ट्र में लागू किया जाना चाहिए. लेकिन महाराष्ट्र में हालात अलग हैं और बिहार पैटर्न लागू नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि उन्हें (शिंदे) राज्य सरकार का हिस्सा होना चाहिए और उपमुख्यमंत्री बनना चाहिए. अगर वह उपमुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते हैं, तो वह दिल्ली में केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं.
क्यों हो रही देरी?
मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसके लिए देर हो रही है तो कहीं ना कहीं बीजेपी की ओर से यह देरी हो रही है. दरअसल, शिवसेना अपना विधायक दल का नेता चुन चुकी है. एनसीपी की ओर से विधायक दल का नेता चुना जा चुका है जबकि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की ओर से अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है. जानकार यह भी बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी देवेंद्र फडणवीस के इतर भी मुख्यमंत्री पद के लिए कुछ नाम पर विचार कर रही है और अंतिम नाम चुकी अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है जिसकी वजह से इस पूरे प्रक्रिया में देरी हो रही है.
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