Political – महाराष्ट्र: अगर नहीं मिलता है सीएम पद तो एकनाथ शिंदे के सामने क्या-क्या विकल्प हैं?- #INA
एकनाथ शिंदे के पास क्या-क्या विकल्प है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासी गुणा-गणित के बावजूद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलता है, तो शिवसेना क्या करेगी? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में शिंदे सेना को लेकर अभी सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की है. शिंदे की चुप्पी इन चर्चाओं को और भी ज्यादा बल दे रही है.
महाराष्ट्र में एनडीए खेमे से जो फॉर्मूला अब तक सामने निकलकर आया है, उसके मुताबिक बीजेपी अपने पास मुख्यमंत्री की कुर्सी रख सकती है. सरकार में पहले की तरह ही 2 डिप्टी सीएम होंगे. एक डिप्टी एनसीपी और एक शिवसेना को दिए जाने की बात कह रही है.
फॉर्मूला न मानने का विकल्प नहीं
बीजेपी अगर कोई फॉर्मूला तैयार करती है और उसे लागू करना चाहती है तो एकनाथ शिंदे के पास उसे न मानने का कोई विकल्प नहीं है. इसकी 2 बड़ी वजहे हैं. पहली वजह विधानसभा का नंबर और दूसरी वजह गठबंधन का स्पेस है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 132 पर बीजेपी को जीत मिली है. एनसीपी अजित को 41 सीटों पर जीत मिली है. इसी तरह शिंदे सेना को 57 सीटों पर जीत मिली है. महाराष्ट्र का जादुई नंबर 145 है.
बीजेपी खुद की बदौलत सरकार बनाने के जादुई नंबर से सिर्फ 13 कदम दूर है. 5 निर्दलीय विधायकों ने उसे समर्थन भी दे दिया है. अजित पवार की पार्टी भी खुलकर बीजेपी के मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी कर चुके हैं.
ऐसे में शिंदे के पास बीजेपी के फॉर्मूले को न मानने का विकल्प नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच समझौते का एक फॉर्मूला दिया था, जिसे पारस ने सिरे से खारिज कर दिया था. बाद के दिनों में पारस बिहार की सियासत में हाशिए पर पहुंच गए.
कहा जा रहा है कि शिंदे पारस वाली गलती नहीं कर सकते हैं.
फिर क्या करेंगे शिंदे, 5 सिनेरियो
1. बेटे को डिप्टी सीएम बनाएंगे शिंदे?- पहली चर्चा इसी बात की है. एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनकर मंत्री या डिप्टी सीएम बनने वाले नेताओं की लिस्ट में नहीं आना चाहते हैं. ऐसे में चर्चा है कि शिंदे अपने सांसद बेटे श्रीकांत को नई सरकार में डिप्टी सीएम बनवा दें.
उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य को विधायक दल का नेता बनवा दिया है. उद्धव गुट को अगर विपक्षी दल की मान्यता विधानसभा में मिलती है तो आदित्य को नेता विपक्ष का दर्जा मिल सकता है.
ऐसे में आदित्य के मुकाबले एकनाथ शिंदे अपने बेटे को महाराष्ट्र की सियासत में ले आएं. श्रीकांत वर्तमान में लोकसभा के सांसद हैं.
2. महाराष्ट्र में हैवीवेट मंत्रालय की मांग- एकनाथ शिंदे की सरकार में शिंदे भले मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनकी पार्टी को समझौते के तहत सिर्फ 2-3 विभाग ही मजबूत मिले थे. इनमें एक शहरी विकास और दूसरा पीडब्ल्यूडी का था.
शिंदे अगर मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो उनकी पार्टी कुछ बड़े विभागों की मांग कर सकती है. इनमें राजस्व, वित्त और जल संसाधन जैसे विभाग शामिल हैं. 2014 के फडणवीस कैबिनेट में शिवसेना को स्वास्थ्य, परिवहन जैसे विभाग मिले थे.
3. खुद के लिए मजबूत भूमिका की मांग- एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री रहे हैं और अब अगर फिर उन्हें कुर्सी नहीं मिलती है तो शिंदे अपने लिए मजबूत भूमिका की मांग कर सकते हैं. शिंदे को लेकर 2 सिनेरियो चर्चा में है.
कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे गठबंधन के चीफ कॉर्डिनेटर का पद चाहते हैं. दूसरी चर्चा उनके केंद्र में मंत्री बनने की है. शिंदे अगर डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं तो इन दो में से कोई एक पद उन्हें मिल सकता है.
4. ढाई-ढाई साल का सीएम फॉर्मूला- 2019 में उद्धव ठाकरे ने इसी फॉर्मूले के आधार पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. उद्धव का कहना था कि बीजेपी ने हमसे सीएम बनाने की बात कही थी. इस बार भी शिंदे गुट के नेता मुख्यमंत्री को लेकर वही बात दोहरा रहे हैं. शिंदे गुट के संजय शिरसाट का कहना है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था.
शिंदे यह कह सकते हैं कि आप हमें अगर ढाई साल का मौका देते हैं तो इसका फायदा शिवसेना कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने में हो सकता है. शिंदे चुनाव परिणाम को पहले भी सरकार का जनादेश बता चुके हैं.
5. बीएमसी के चुनाव में निगोसिएशन- मुंबई में नगर निगम का चुनाव प्रस्तावित है. कहा जा रहा है कि नई सरकार बनने के बाद अब यहां जल्द ही चुनाव हो सकते हैं. मुंबई नगर निगम पर शिवसेना का कब्जा रहा है.
लोकसभा में उद्धव से 19 साबित हुए एकनाथ शिंदे ने विधानसभा चुनाव में बदला ले लिया है. अब दोनों की नजर मुंबई नगर निगम के चुनाव पर है. शिंदे अगर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते हैं तो यहां के लिए बड़ा निगोसिएशन करने की कोशिश करेंगे.
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