आइए, मिलकर प्रेरित करें बिहार : विकास वैभव
रिपोर्ट अमरदीप नारायण प्रसाद
खगड़िया : लेट्स इन्स्पायर बिहार अभियान खगड़िया चैप्टर का बैठक जिला अतिथि गृह मे अभियान के संरक्षक विकास वैभव की अध्यक्षता मे आयोजित की गई बैठक मे जिला कमिटी के मुख्य सह-समन्वयक हेमंत कुशवाहा, सोनू अग्रवाल , निर्मल देव, राम तनिक मंडल, प्रदुम्न कुमार, नागेन्द्र त्यागी, निशांत शेखर, शिल्पी कुमारी, रानी कुमारी के साथ अनेक समन्वयक उपस्थित थे । विकास वैभव ने कहा कि खगड़िया में एल आई बी को सशक्त करने में आप सभी का सहयोग चाहता हूँ । जैसा कि आप सभी अवगत हैं, अभियान के खगड़िया अध्याय के अन्तर्गत अनेक समन्वयक पूर्व से ही निर्धारित रहे हैं । सभी के सहयोग के कारण ही हम हर पंचायत तक पहुंच सके तथा 10 दिसंबर, 2023 को बेगूसराय में ऐतिहासिक नमस्ते बिहार प्रथम बृहत जन संवाद का आयोजन संभव हो सका । अभियान को आगे बढ़ाने तथा हर पंचायत में अध्यायों की स्थापना के लिए खगड़िया में जिला स्तर पर तथा प्रखंड स्तर पर निम्नलिखित समन्वयकों की नितांत आवश्यकता है ।
शीघ्र ही सभी नव चयनित समन्वयकों को उनके निर्धारित दायित्वों का मनोनयन पत्र एक कार्यक्रम आयोजित कर समर्पित करते हुए अभियान को आगे बढ़ाने का दायित्व देना प्रस्तावित है। सभी सदस्यों से अनुरोध किया जाएगा कि 15 अगस्त तक अभियान को सशक्त करने हेतु अपना मनोनयन शीघ्र भेज देंगे दायित्वों की सूचि (जिला एवं प्रखंड स्तर के लिए सभी दायित्वों पर व्यक्तियों की आवश्यकता है)
1. मुख्य समन्वयक
2. मुख्य समन्वयक (गार्गी महिला अध्याय)
3. जिला/प्रखंड स्तरीय कोर टीम समन्वयक (कम से कम 5 पुरुष, 2 महिला)
4. संसाधन एवं कार्यक्रम समन्वयक
5. सोशल मीडिया समन्वयक
6. अधिवक्ता अध्याय समन्वयक
7. उद्यमिता अध्याय समन्वयक
8. शिक्षा अध्याय समन्वयक
9. मीडिया समन्वयक
10. चिकित्सक अध्याय समन्वयक
11. कैंपस समन्वयक पुरुष
12. कैंपस समन्वयक महिला
13. व्यवसायी अध्याय समन्वयक
14. खेल अध्याय समन्वयक
15. कला एवं संस्कृति अध्याय समन्वयक
16. प्रखंड अध्याय समन्वयक
17. पंचायत अध्याय समन्वयक (हर पंचायत के लिए अलग-अलग आवश्यकता है)
विकास वैभव ने कहा कि संगठन को और सशक्त करने हेतु अपने सुझाव मुझे व्यक्तिगत दे सकते हैं । बिहार में वर्तमान में 91,000+ व्यक्ति व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से अभियान के साथ जुड़ चुके हैं । 2028 तक बिहार के हर पंचायत में अध्याय स्थापित करते हुए हर ग्राम-नगर के जन-जन तक पहुंचना है। 2047 तक हम सभी एक विकसित भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो तब ही संभव हो सकेगा जब हम एक ऐसे विकसित बिहार का निर्माण कर सकेंगे जिसमें किसी व्यक्ति को शिक्षा अथवा रोजगार के लिए अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं हो । ऐसे बिहार के निर्माण में हर वर्ग की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी और यदि समाज के अग्रणी व्यक्तित्व राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को समझते हुए और उन्हें धारण करते हुए जाति, संप्रदाय, लिंगभेद आदि लघुवादों से परे उठकर राष्ट्रहित में शिक्षा, समता और उद्यमिता के विकास हेतु सकारात्मक योगदान करेंगे तो निश्चित ही हर वांछित परिवर्तन संभव हो सकेगा। बिहार के उत्कृष्ट इतिहास की चर्चा करते उन्होंने कहा कि उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण हेतु हमारा अपने स्वत्व को जानना आवश्यक है और हमें यह सदैव स्मरण रखना चाहिए कि हम उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज हैं जिनमें अखंड भारत के साम्राज्य और विश्वविद्यालयों को स्थापित करने की क्षमता तब थी जब न विकसित मार्ग थे, न आधुनिक सूचना तंत्र और न उन्नत प्रौद्योगिकी ।बिहार को बदलने के लिए हमें बिहार की उस मूल भावना को समझना होगा जिसके कारण हम व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ना जानते थे और जिसके कारण हम नव सर्जन करने में सक्षम हो सके । बिहार ही वेदांत की धरती रही है जिसकी बृहत दृष्टि में हर व्यक्ति ही नहीं अपितु हर आत्मा में भी उसी परमतत्व के अंश को देखने की कल्पना थी और कोई भेदभाव नहीं था ।
जिस सभ्यता में ऐसी दृष्टि का समावेश हो जाए, वह हर भेदभाव से परे हो जाता है और तब ही बड़े स्तर पर जोड़कर नव सर्जन करने में सक्षम हो पाता है। यह हमारे पूर्वजों के चिंतन की उत्कृष्टता ही थी जिसके कारण प्राचीन काल से ही हम सकारात्मक अपवाद प्रस्तुत कर सके और अग्रणी सभ्यता का निर्माण कर सके । जातियाँ प्राचीन बिहार में अवश्य रहीं परंतु व्यक्ति को व्यक्ति से तोड़ने वाला जातिवाद यदि हावी रहा होता तो मगध में सबसे निम्न वर्ग से आने वाले नंद वंश का कभी उदय नहीं होता और न आचार्य चाणक्य भी चंद्रगुप्त की क्षमता को आंक पाते । यह व्यक्ति के सम्मान तथा व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ने की हमारे पूर्वजों की क्षमता ही थी जिसके कारण बिना भेदभाव के चुने गए 7707 गणराजाओं के द्वारा वैशाली के संथागार में विश्व के प्रथम गणराज्य को स्थापित किया जा सका और हर क्षेत्र में हम अखंड भारत का नेतृत्व कर सके । 2047 तक विकसित बिहार के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु बिहार में ज्ञान तथा कौशल उन्नयन हेतु शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ उद्यमिता की क्रांति भी अत्यंत आवश्यक होगी चूंकि हमें एक बड़ी जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा । वर्तमान बिहार में 30 वर्ष से कम उम्र के लगभग 9 करोड़ युवा हैं जिन्हें अगले 2 दशकों में बिहार में ही उत्कृष्ट शिक्षा तथा उचित रोजगार की आवश्यकता होगी । यह केवल सरकारी नौकरी या प्रयासों से संभव नहीं हो सकेगा । इसके लिए समाज में उद्यमिता की दृष्टि का विकास अत्यंत आवश्यक होगा ताकि स्वरोजगार एवं व्यवसाय की ओर हमारे युवा आकर्षित हो सकें और रोजगार का अधिकाधिक नव सृजन हो सके । आइए, खगड़िया में अभियान को सशक्त करें। बैठक मे सुभाषचंद जोशी, सोनू कुमार, रविन्द्र पोद्दार, राजू कुमार, अजय शंकर देव, विक्की कुमार, सुमित कुमार सुमन, पिंटू राम, नन्दकेश कुमार मुन्ना सहित जिले के सभी प्रखंड से समाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग उपस्थित थे!