सेहत – पिता बनने में दिक्‍कतें झेल रहे पुरुषों पर AIIMS ने की स्‍टडी, योग का ऐसा हुआ असर, रिजल्‍ट जानकर खुला रह जाएगा मुंह..

योग के रूप में भारत के पास कितना अनमोल खजाना है, यह बात अब मॉडर्न साइंस भी मानने लगी है. ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली में योग को लेकर हुई यह स्‍टडी इस बात की गवाह है कि योग हर मर्ज की दवा है. एम्‍स के गायनेकोलॉजी और एनोटॉमी विभाग ने किन्‍हीं कारणों से पिता नहीं बन पा रहे 239 पुरुषों पर किए रिसर्च और फिर उनमें से 60 लोगों को कराए गए योग के बाद ऐसा रिजल्‍ट देखने को मिला कि खुद डॉक्‍टर्स भी हैरान रह गए.

एम्‍स नई दिल्‍ली के एनाटॉमी विभाग में प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने बताया कि आमतौर पर योग को लेकर लोगों की ये मानसिकता है कि मानसिक बीमारियों में योग असरदार है और फायदा पहुंचाता है लेकिन एम्‍स की हालिया स्‍टडी के नतीजे चौंकाने वाले हैं. योग करने से स्‍टडी में शामिल पुरुषों के स्‍पर्म के डीएनए की क्‍वालिटी में सुधार देखा गया है. स्‍टडी में शामिल योग इंटरवेंशन लेने वाले कुछ लोग जहां साधारण रूप से पिता बन पाने में सक्षम हुए वहीं जो लोग आईवीएफ की तरफ गए, उनमें भी सफलता की दर बढ़ गई.

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ऐसे शुरू हुई स्‍टडी
डॉ. रीमा दादा ने बताया, ‘एम्‍स के गायनेकोलॉजी विभाग में कंसीव न कर पाने, बार-बार बच्‍चे गिरने या मिसकैरेज, पेट में ही भ्रूण के मर जाने की समस्‍या या आईवीएफ के लिए आने वाली फीमेल्‍स की सभी जांचें की गईं लेकिन महिलाओं में प्रेग्‍नेंसी, बच्‍चा बार बार गिरने या कंसीव न होने को लेकर कोई भी कमी सामने नहीं आई. लिहाजा इन केसेज को गायनी विभाग की एचओडी डॉ. नीना मल्‍होत्रा, डॉ. नीता सिंह और डॉ. वत्‍सला की ओर से हमारे विभाग में आगे की जांच के लिए भेजा गया. ऐसे में सबसे पहले हमने 239 मेल्‍स पर स्‍टडी कर यह जांच की कि आखिर प्रेग्‍नेंसी और कंसीविंग में पिता का क्‍या रोल होता है. क्‍या इनका डीएनए खराब है, क्‍या इनके शुक्राणु का डीएनए नष्‍ट हो जाता है. क्‍या वजहें हैं कि उनकी पत्नियां कंसीव नहीं कर पा रही थीं और वे बाप नहीं बन पा रहे थे. इन सभी में स्‍पर्म फैक्‍टर एनालाइज किया गया. जिसमें इनके स्‍पर्म जीनोमिक इंटीग्रिटी, स्‍पर्म के डीएनए की क्‍वालिटी, जीन एक्‍सप्रेशन, टेलोमेयर की लंबाई, स्‍पर्म काउंट, तनाव आदि की स्‍टडी की गई.’

60 लोगों को कराया योग

डॉ. रीमा दादा बताती हैं, ‘239 मेल्‍स के स्‍पर्म, डीएनए और आरएनए की स्‍टडी के बाद हमने 60 लोगों को योग कराने के लिए चुना और लगातार 6 हफ्ते तक उन्‍हें योग कराया. इस दौरान रोजाना 2 घंटे का सेशन होता था जिसमें उन मेल्‍स की काउंसलिंग के अलावा योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान क्रियाएं शामिल थीं. इन लोगों को सूर्य नमस्‍कार भी कराया गया. फिर 6 हफ्ते बाद हमने उन्‍हीं पैरामीटर के आधार पर देखा कि इन लोगों के स्‍पर्म की डीएनए क्‍वालिटी पहले से बेहतर हुई. उनका आरएनए एक्‍सप्रेशन लेवल नॉर्मलाइज हुआ, डीएनए डैमेज कम हुआ, जीन के एक्‍सप्रेशंस में, टेलोमीयर लेंथ में भी सुधार आया. क्‍योंकि स्‍पर्म शरीर का एकमात्र ऐसा सेल है जिसमें अपने डीएनए को इंप्रूव करने या बचाने की क्षमता बहुत कम होती है, लेकिन योग से इसमें इंप्रूवमेंट देखा गया.

कौन कौन से योग कराए गए
डॉ. दादा कहती हैं कि इन लोगों को योगासनों के साथ ही प्राणायाम और ध्‍यान कराया गया. सूर्य नमस्‍कार कराया, त्रिकोण आसन, पेल्विक फ्लोर के लिए जरूरी योगासन कराए गए. इससे न केवल इनका तनाव का स्‍तर घटा बल्कि डीएनए की क्‍वालिटी में भी सुधार आया.

योगा से होगा, सच है कहावत..
डॉ. दादा कहती हैं कि इस स्‍टडी का निचोड़ यह है कि बच्‍चे पैदा करने में सिर्फ मां नहीं बल्कि पिता का भी अहम रोल है. बच्‍चा बार बार गिर रहा है तो वह मां की वजह से नहीं पिता के कमजोर डीएनए या स्‍पर्म की क्‍वालिटी के खराब होने की वजह से भी हो सकता है. ऐसे में जो लोग आईवीएफ या टेस्‍ट ट्यूब बेबी के लाखों खर्च करते हैं, इतना तनाव और कष्‍ट झेलते हैं, अगर वे योग, प्राणायाम और ध्‍यान करें तो उनके स्‍पर्म की डीएनए की क्‍वालिटी बेहतर होती है और वे नॉर्मली भी कंसीव कर सकते हैं. या फिर अगर वे टेस्‍ट ट्यूब बेबी के लिए जाते हैं तो उसका सक्‍सेज रेट भी बेहतर होगा. इसके अलावा जो बच्‍चा पैदा होगा, उसमें जेनेटिक बीमारियां कम होंगी और वह स्‍वस्‍थ होगा.

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