सेहत – सुबह खाली पेट पानी पीने का सही तरीका, गर्म या ठंडा क्या है बेतर, जानें 56 पेट फूलने के रहस्य
बोकारो. आजकल लोग अपनी शुरुआत की शुरुआत पानी पीने से करते हैं। कुछ लोग सुबह-सुबह ठंडा पानी पसंद करते हैं, जबकि कुछ लोग गर्म पानी को पसंद करते हैं। ऐसे में आज भी इस परंपरा के पीछे के ढांचे को लेकर लोगों में काफी भ्रम है।
ऐसे में बोकारो के बुजुर्ग आयुर्वेदिक चिकित्सक, डॉ. पाठक (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस एंड रिसर्च, नई दिल्ली से एम.डी., राकेश आयुर्वेदा में 16 साल का अनुभव और 3 साल से शुद्धि आयुर्वेदा में) ने LOCAL18 को बताया कि हमारे शरीर के लिए पानी बहुत जरूरी है है. क्योंकि यह हमारा शरीर निर्मित रसायन है। कई सारी चुनौतियों से बचाव और उपचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए सभी को नियमित रूप से 2 से 3 किलोलीटर पानी की दैनिक खुराक देनी चाहिए।
गर्म पानी पीने के क्या फायदे हैं?
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा के, खाली पेट गर्म पानी की संरचना शरीर के लिए कई तरह से हानिकारक होती है। गर्म पानी पाचन तंत्र को सक्रिय करता है। झारखण्ड में मौजूद सहकारी समितियों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। गर्म पानी पीने से मेटाबॉलिज्म का आकार बढ़ता है, जिससे शरीर में जमा वसा तेजी से बर्न होती है। यह वज़न में लाभकारी साबित हो सकता है। गर्म पानी लिवर और किडनी को डिटॉक्सिफाइ करने में मदद करता है, जिससे शरीर में मौजूद पुनर्जीवन तत्व बाहर निकल जाते हैं। गर्म पानी शरीर को अंदर से गर्म करता है, जिससे कि क्लॉज़-जुकाम जैसे क्लासिक्स से डिफ्रेंस होता है।
ठंडा पानी पीने के नुकसान क्या है?
विशेषज्ञ जेन कुमार के अनुसार, सुबह खाली पेट ठंडा पानी जिंक स्वास्थ्य के लिए ठंडा पानी पाचन तंत्र को तैयार किया जा सकता है, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने की प्रक्रिया होती है। इससे अपच, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ठंडा पानी पीने से रक्त वाहिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिससे रक्त संचार धीमा हो जाता है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व समय पर नहीं मिल पाता है। ठंडा पानी पीने से शरीर का तापमान कम हो जाता है, जिससे शरीर का सामान्य तापमान कम हो जाता है। अधिक ऊर्जा व्यय के लिए करणीय है।इससे थकान महसूस हो सकती है।
क्या है 56 बच्चों के दूर रहने का रहस्य
आयुर्वेद में यह सिद्धांत है कि सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने से शरीर में तीन दोष वात, पित्त और कफ स्थिर रहते हैं। यह शरीर को 56 प्रकार की स्थिरता से सुरक्षित रखने में सहायक होता है। इनमें पाचन संबंधी विकार, मोटापा, हृदय रोग, रक्तचाप, मोटापा, त्वचा संबंधी विकार प्रमुख हैं।
पहले प्रकाशित : 29 अगस्त, 2024, 21:03 IST
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
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