सेहत – क्या सच में खाने से ठीक होते हैं मुंह के छिलके? सामाजिक किवदंती या कोई वैज्ञानिक आधार, अर्थशास्त्री ने स्थापित की पूरी गुत्थी

वसन्त: भारतीय जीवनशैली में पान केवल उत्तम खाद्य सामग्री नहीं है। बल्कि इसे एक स्टेट्स सिंबल के रूप में भी देखा जाता है। यही कारण है कि भारतीय फिल्मों में ग्लोरीमंडन ‘खाइके पान बारास वाला’ और गोदौलिया का पान के रूप में खूब धमाल मचाया गया है। सबसे खास बात यह है कि भारत में पान खाने की परंपरा सदियों पुरानी है और इसमें कई स्वास्थ्य खराब होने का दावा भी किया जाता है।

पान खाने से ठीक हो सकते हैं मुंह के छाले
लोगों में एक आम धारणा है कि पान खाने से मुंह के बने पदार्थ ठीक हो जाते हैं, लेकिन क्या यह वास्तव में सच है या फिर यह केवल एक सामाजिक किवदंती है? इस विषय पर प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य वैद्य आशुतोष ने इसके पीछे के वैज्ञानिक निष्कर्ष को सामने रखा। साथ ही लोगों को इसके बारे में जानकारी दी गई।

भारतीय समाज में पान का चलन न केवल सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में प्रचलित है, बल्कि इसे कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। मुंह के छिलके से पीड़ित लोग अक्सर यह दावा करते हैं कि उन्हें पान खाने से राहत मिली है। इसके पीछे की बात यह है कि पान के पत्ते में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो मुंह के छल को ठीक करने में सहायक होते हैं।

क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
‘पान के पत्ते में कई प्राकृतिक तत्व’ पाए जाते हैं, जो कि एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लेमेट्री गुणों के अनुसार पाए जाते हैं। इसके अलावा पान में प्रयोग वाला कथा, लौंग होने और इलाइची में कसाईशित होता है जो मुंह के छात्रों के संक्रमण को कम करता है, जिससे मुंह के छात्रों को काफी देर तक राहत मिलती है। आम तौर पर अगर मुंह में साधारण छाले होते हैं, तो 2 से 3 दिन तक पान के सेवन से अन्यथा मिल जाता है।

पैन में एंटीइन्फ्लेमेट्री गुण पाया जाता है
पान के पत्तों में एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दांतों की सूजन और जलन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इससे चाले जल्दी ठीक हो सकते हैं। पान चबाने से मुंह में लार का उत्पादन बढ़ गया है, जो मुंह को ठीक होने से रोकता है और छात्रों को जल्दी ठीक होने में मदद करता है। लार माउथ के छोटे हिस्सों को प्लास्टरबोर्ड की दुकान और कारखाने से बचाया जाता है।

जानिए पान खाने से कब हो सकता है नुकसान
पान के पत्तों में कई गुण होते हैं, लेकिन पान में अन्य घटक होते हैं, जैसे कि पान, सुपारी का अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए, तो वह मुंह के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सुपारी में पाए जाने वाले कैंसर संबंधी तत्व मुंह के अंगों को और खराब कर सकते हैं और लंबे समय तक मुंह के कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। शहद और कत्था का अत्यधिक सेवन मुंह में जलन और घाव का कारण बन सकता है, जिससे छाले और भी बहुत बढ़ सकते हैं।

जानिए पान खाने का सही तरीका
वैद्यस्टील ने सलाह दी कि यदि पान का सेवन विद्यार्थियों के लिए किया जा रहा है, तो बिना मसाले और सुपारी के इसका सेवन करें। केवल पान के पत्ते और इसमें शामिल कत्था लौंग इलाइची का बीड़ा उसे चबाने से इसके बेहतरीन गुणों का लाभ मिल सकता है, जबकि अन्य लालसा से बचा जा सकता है।


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