सेहत – प्रिंसेज ऑफ वेल्स कीमोप्लास्टी पूरी, डॉक्टर क्या है? इसके बाद कैंसर फ्री हो मोशन कैथरीन, अध्ययन से जानें सारी बात
कीमोथेरेपी क्या है: प्रिंसेज ऑफ वेल्स यानी ब्रिटेन की प्रिंसेस केट मिडलटन का कीमोथेरेपी का कोर्स पूरा हो गया है। इस पर खुशी की बात यह है कि प्रिंसेज ऑफ वेल्स ने एक वीडियो रिलीज कर कहा है कि वह अब बहुत राहत महसूस कर रही हैं। मार्च में ब्रिटेन की राजकुमारी ने कैंसर के बारे में बताया था और टैब से वे कैंसर का इलाज करा रही थीं। कैथरीन ने एक मार्मिक वीडियो पोस्ट में कहा कि वास्तव में पिछले 9 महीने में हमारे लिए बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, यही जीवन है जिसके बारे में आप जानते हैं कि कभी भी कुछ हो सकता है। इस कठिन घड़ी में तूफ़ानी समंदर से आपको निकलना पड़ता है जिसके बारे में आपको कुछ पता नहीं चलता है। प्रिंसेज ऑफ वेल्स जिस कठिन दौर से गुजरी है उसी दौर से सभी कैंसर रोगियों का संबंध है। ऐसे में आप जानते हैं कि कैंसर कीमोथेरेपी कैसे होती है। इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है. इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं कैंसर विशेषज्ञ डॉ. श्याम अग्रवाल.
क्या होता है कीमोथेरेपी
डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि कीमोथेरेपी की अलग-अलग दुकानें हैं। यह रोगी को कैंसर के चरण में अनुशंसित नहीं करता है कि रोगी को किस तरह से कीमोथेरेपी दी जाए। कीमोथेरेपी के लिए टैबलेट भी दी जाती है, इंजेक्शन भी दिया जाता है और पानी की बोतल (सेरीन या ड्रिप) भी दी जा सकती है। कीमोथेरिप की इंफ्यूजन पद्धति दवा को नसों के माध्यम से शरीर में सुरक्षित रखती है। दूसरी है कीमोथेरेपी की दवा जो दिखती है। यह टैबलेट और टैबलेट दोनों हो सकते हैं। कीमोप्लास्टिक इंजेक्शन से भी दवा का मिश्रण दिया जाता है। वहीं कीमोथेरेपी क्रीम भी होती है जो त्वचा कैंसर में पाई जाती है। दवा किस तरह से ली जाए यह कैंसर कहां है, उसे दवा कर तय की जाती है।
कीमोथेरेपी के दौरान दर्द होता है
डॉ. श्याम अग्रवाल उन्होंने बताया कि जब कीमोथेरेपी दी जाती है तो सामान्य तौर पर यह छह महीने का कोर्स होता है जिसमें 8 से 9 दिनों का अंतराल होता है। यह कैंसर की प्रकृति पर प्रतिबंध है कि कितने दिनों के अंतराल पर कीमोथेरेपी दी जाए। जब कीमोथेरेपी दी जाती है तो दर्द तो नहीं होता लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स जरूर होते हैं। डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि कीमोथेरेपी के दौरान इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। भूख नहीं लगती. इस वजह से कई तरह के फायदे एक साथ नजर आते हैं। इम्युनिटी फ़्राईफ़ होने का कारण हमेशा इन्फेक्शन का ख़तरा बना रहता है।
चिकनपॉक्स, फ्लू होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इससे डायरिया, उल्टी और जी मितलाने का खतरा रहता है। कीमोथेरेपी के बाद हमेशा थकान और कमजोरी बनी रहती है। खून की कमी हो जाती है. अक्सर लोगों को ऐसी बीमारी महसूस होती रहती है. कीमोथेरेपी के दौरान खून की कमी होती है। कीमोथेरेपी के कारण प्लेट प्लेट की कमी हो जाती है। इससे ब्लीडिंग का खतरा हमेशा बना रहता है। मुंह में छाले लगाए गए हैं. स्किन में भी बदलाव हो सकते हैं. कंस्ट्रेशन में समस्या होती है. नींद आने की समस्या हो सकती है। वैयक्तिक योग्यता में भी कमी आ सकती है. भावानिक रूप से भी काफी उत्प्रेक्षा-आवेदन आता है। हालांकि ये साइड इफेक्ट कीमोथेरेपी सभी लोगों के लिए जरूरी नहीं है। करीब 20 प्रतिशत लोगों में ये दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।
कीमोथेरेपी के दौरान हर व्यक्ति के बाल उड़ जाते हैं
डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि कीमोथेरेपी के दौरान साधारण बाल नहीं उड़ते हैं। इस बात पर प्रतिबंध है कि किस अंग में कैंसर होता है। अगर किसी को ओवरी कैंसर है तो उसमें बाल नहीं जाते, अगर किसी बच्चे को कैंसर है तो उसमें भी बाल नहीं जाते। अगर किसी को कैंसर है तो उसमें बाल चले जाते हैं। हालाँकि सिर्फ इलाज के दौरान ही बाल निकलते हैं। कीमोथेरेपी का कोर्स ख़त्म होने के बाद बाल फिर से चले जाते हैं।
कीमोथेरेपी के बाद कैंसर से मुक्ति मिल जाती है
डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि बिल्कुल मुक्ति मिल होती है। अगर सही से इलाज हो तो कीमोथेरेपी के बाद 80 प्रतिशत लोगों को कैंसर से मुक्ति मिल जाती है। बाकी 20 प्रतिशत लोगों में अगर अभी भी कैंसर की बीमारी है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी जिंदगी खत्म हो गई है। उसका बाद में भी इलाज होता है. डॉक्टर उसके बाद ट्यूमर को ऑपरेट कर फिर से कीमोथेरेपी दे सकते हैं। इसलिए कैंसर को निराश नहीं किया जाना चाहिए। बस असंभव संभव हो, आकृति पहले डॉक्टर के पास ए.
पहले प्रकाशित : 11 सितंबर, 2024, 15:50 IST
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