सेहत – पेट के कीड़ों की दवा एलबेंडाजोल, अगर आप भी बिना डॉक्टर से बच्चों को खिलाते हैं तो खबर पढ़ें

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पेट में कीडों के लिए भारत में आलू को एलबेंडाजोल की गोली दी जाती है। इस दवा को लेने के बाद देहरादून प्रदेश के एक मरीज़ कुल में 75 वर्ष की उम्र में बीमार हो गए।

हाल ही में मध्य प्रदेश के 75 से अधिक छात्रों के लिए मध्य प्रदेश के जिलों के मॉडल में पेट के कीड़ों की दवा एलबेंडाजोल की खुराक बताई गई है। इन छात्रों को पेट में दर्द और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। पूरे जिले में प्रशासन और मेडिकल रिकॉर्ड की जांच चल रही है, लेकिन भारत में आम तौर पर देखा जाता है कि अगर बच्चे को भूख नहीं लग रही है, तो किसी बच्चे के पेट में दर्द रहता है तो पेरेंट्स मेडिकल स्टोर से पेट के कीड़ों की दवा एलबेंडाजोल शेयरहोल्डर्स को खिलाते हैं. ऐसा लगता है कि इसका कोई नुकसान नहीं हो रहा है, उल्टे इंडस्ट्रीज़ तो बाहर निकल जाएंगे लेकिन हेलथ एक निष्कासन भाग की तरफ जाएगा तो आपकी ये सोच को नुकसान हो सकता है।

इस विषय में न्यूज़18हिंदी ने डॉ. आर इन प्रोटोटाइप ऑफ मेडिकल साइंसेज, नोएडा के डिपार्टमेंट ऑफ अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा में डिज़ायनल प्रोफेसर डॉ. शोभित शाक्य से बातचीत की है. जिसमें रायकोथ एल्बेंडाजोल के साइड इफेक्ट्स शामिल हैं, इस दवा को समय-समय पर लिया जाता है, पेरेंट्स को गलतियां करने से बचना चाहिए, इसकी जानकारी दी गई है।

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दवाओं के साइड इफ़ेक्ट होते हैं
डॉ. शाक्य्योति का कहना है कि पेट में कीटाणुनाशक की दवा एलबेंडाजोल के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं। ऐसे में संभव है कि जिन सामानों को ये दवा खिलाई जाती है, उन्हें दवा के साइड इफेक्ट्स दिखाई देने लगते हैं। इस दवा के कुछ सामान्य दुष्प्रभाव जैसे कि सिरदर्द, उलटी, शरीर में थकान, लिवर की जांच पर कुछ एंजाइम का बढ़ना, बुखार आदि। इसके अलावा दवा खाने के बाद सामानों में सांस लेने में तकलीफ भी एक साइड इफ़ेक्ट है, हालांकि यह काफी अच्छा है।

ओवरडोज़ से भी नुकसान होता है
डॉ. शाक्य्योति का कहना है कि इस गोली के ओवरडोज से भी कई खतरे होते हैं। अगर वजन घटाने के लिए दवा दी जाती है तो इससे खून की कमी हो सकती है, टीएलसी के वजन में कमी आ सकती है, वजन कम हो सकता है, बोन मैरो सप्रेशन हो सकता है। इसलिए हमेशा रखें बात यह कि स्टॉके के वजन और उम्र के अनुसार ही यह दवा लेनी चाहिए।

दो तरह से दी जाती है दवा

परमाणु ऊर्जा विकिरण कार्यक्रम- डॉ. शोभित छात्र हैं कि पेट में बच्चों की एलबेंडाजोल दवा भारत में दो तरह से दी जाती है। प्रथम इरेडिकेशन कार्यक्रम के तहत। जो सरकारी सर्टिफिकेट्स, प्रोफेसर्स या डिस्ट्रिक्ट अस्टिमेटल्स के मध्योग्यम से पार्टिसिपेंट्स को खिलाए जाते हैं। ये बड़े पैमाने पर आम होते हैं, इनमें उधेशमोय किड्स की चेन को ख़तम करना होता है। सभी को एक साथ दवा विक्रेता इन बच्चों को बाहर के मजदूरों से खतरा है। असल में यह कीड़ा साज़िशों के अंत में रहता है, वहां अंडा रहता है और मल के रास्ते बाहर जाता है और मिट्टी या पानी के मध्यम से सीखता है और फिर फल या छात्र में आ जाता है। अगर बिना किसी कलाकार के धोए-साफ करे या बिना पकाए अंदर खा ले तो फिर यह कीड़ा स्टूडियो लोगों के बीच पहुंच जाता है। इस तरह की पांडुलिपियाँ जीवित हैं, जिन्हें ख़तम करने के लिए सामूहिक रूप से इस औषधि को दिया जाता है।

कीड़ों का इलाज- दवा देने का दूसरा तरीका यह है कि यह दवा उन लोगों को दी जाती है, जिनके पेट में कीड़े होते हैं, कौन से कीड़े होते हैं, और उनके लक्षण सामने आते हैं। डॉक्टर एल्बेंडाजोल या इसे कई मूल्यवान औषधियों के संयोजन के साथ सहयोगियों को देते हैं।
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खुद खरीदकर न खिलाएं पेरेंट्स दवा
डॉ. शाक्य्य माता-पिता की सलाह है कि यदि आप भी पेट, मदरटूल में कीड़े की उपस्थिति या डायरिया पर मेडिकल मेडिकल दर्द से पीड़ित बच्चों की दवा के रूप में मरीज़ों की दवा के रूप में मरीज़ों की दवा के रूप में मरीज़ों की देखभाल करते हैं तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के आप ये गोलियाँ न खाएँ। अगर मास शेफ या अनानास के द्वारा ये दवा दी जा रही है और आपसे पूरी जानकारी दी जा रही है, तो सभी सामान को लें।

डॉ. शाक्य्य कहते हैं कि हो सकता है कि आप उन्हें कोई और बीमारी होने पर भी साटे के नुस्खे देखकर पेट के बच्चों की दवा दे रहे हों। या फिर कई बार यह दवा बिना कॉम्बिनेशन के असरदार भी नहीं होती। कई बार पेट में बच्चों के लिए दवाइयाँ देने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है, लेकिन उनके द्वारा दिए जाने वाले पोषक तत्वों से उन्हें राहत मिल सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

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