सेहत – ऑस्ट्रेलिया में खतरनाक ढा रही ब्रेन की ये बीमारी, 46% फैब्रिक प्रोडक्शन की डील, भारत पर भी बड़ा खतरा!
मनोभ्रंश रोग: बिजनेस मामले में ब्रेन से जुड़ी शर्ते बढ़ रही हैं। इसमें सबसे आम बीमारी डाइमेंशिया बन रही है। डिमेंशिया की वजह से लोगों के दिमाग को नुकसान हो रहा है और उनकी याददाश्त कम हो रही है। 60 साल से ज्यादा लोगों को डाइमेंशिया का सबसे ज्यादा खतरा होता है। डिमेंशिया को लेकर ऑस्ट्रेलिया से एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जो समुद्र तट पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इस रिपोर्ट में ऐसी कौन सी बातें बताई गई हैं, जिनके बारे में विस्तार से जान लिया गया है।
ऑस्ट्रेलिया में पिछले 10 साल पहले ब्रेन से जुड़ी बीमारी डिमेंशिया की बीमारी से करीब 50 लोग बीमार हो गए थे। एक सरकारी रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022-23 में 30 वर्ष या उससे अधिक आयु के 72400 लोगों को डाइमेंशन का सिद्धांत दिया गया। यह संख्या 2013-14 में 46% से अधिक है। डाइमेंशिया कई तरह की ताकतों का समूह है, जिससे ब्रेन सेल्स डैमेज बन रहे हैं।
वर्ल्ड हेल्थ एनालिसिस (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व में मानसिक मंदता के 60-70 प्रतिशत मामलों में अल्जाइमर डिजीज होता है। डाइमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार अल्जाइमर को माना जाता है। यह विश्व में मानसिक कमजोरी के 60-70 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। इस रिपोर्ट का अनुमान है कि 2023 में 4.11 लाख ऑस्ट्रेलियाई लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे। वैज्ञानिक खतरे में हैं कि जनसंख्या वृद्धि और वृद्धि के साथ 2058 तक यह संख्या से भी अधिक कमी 8.49 लाख हो जाएगी।
2022-23 में डिमेंशिया के कारण अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या 26300 थी जो 2016-17 के अस्पताल में 24 प्रतिशत बढ़ी। डिमेंशिया हर 11 रेस्तरां में से एक का कारण था। ऑस्ट्रेलिया डाइमेंशिया में एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसका प्रभाव उनके परिवार और दोस्तों पर काफी पड़ता है। कोरोनरी हार्ट डिजीज के बाद डिमेंशिया ऑस्ट्रेलिया में मौत का दूसरा प्रमुख कारण था, जो कि बाकी सभी मौतों का 9.3 प्रतिशत था। 2009 से 2022 के बीच ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 जनसंख्या डाइमेंशिया के कारण होने वाली क्रांति की दर 39 से बर्बर 69 हो गई।
भारत में डाइमेंशिया के हालात क्या हैं?
भारत में डाइमेंशिया के कई विद्वानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश में 60 साल से अधिक उम्र के करीब 7.4% लोग डिमेंशिया से पढ़ाई कर रहे हैं। देश में भी डाइमेंशिया के गरीबों की संख्या 50 लाख से ज्यादा है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अल्जाइमर सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें लोगों की याददाश्त ख़राब होती जा रही है। यह कंडीशन प्रोजेसिव होता है और धीरे-धीरे मंदी की स्थिति उत्पन्न होती है। दवाओं से इस बीमारी की मदद की सलाह को नियंत्रित करने में शामिल है। हालाँकि दवा से इसे हमेशा के लिए ठीक नहीं किया जा सकता है।
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पहले प्रकाशित : 14 सितंबर, 2024, 12:36 IST
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