सेहत – योद्धा: संघर्ष की ऐसी दासता, भयभीत हो जाओगे रोंगटे, पढ़ें हरियाणा के गांव से निकली एक डॉट्रैक्टर की कहानी।

योद्धा: फर्नीचर और विपरिज़ रेनॉल्ड्स से जुड़े हुए जो हारे न माने और मंजिल को हासिल करके ही माने वास्तव में वही अच्छा है। हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं,प्रोडक्ट अचीवमेंट पर हम तालियां तो बजाते हैं लेकिन उनकी सफलता के पीछे के संघर्ष से अनकहे होते हैं। News18hindi की वयोवृद्ध श्रृंखला में आज हम आपको ऐसे ही एक वयोवृद्ध के जीवन की वास्तविक कहानियाँ दिखाते जा रहे हैं, जिन्होनें घर, समाज, छात्रकुल, कॉलेज से लेकर विद्यार्थियों की पढ़ाई में ऐसी-ऐसी कहानियाँ और अनुभव और अनुभव कि उनकी हिम्मत जवाब दे गई लेकिन स्टेप्स के लड़खड़ाने के बाद भी ये फिर से डेडे हुए और आज हजारों डॉक्टर्स की पार्टियाँ बन गईं। आइये जानते हैं इस चमत्कार के बारे में…

यह कहानी हरियाणा के किनाना गांव में बने दो देवताओं के एक छोटे से घर से शुरू हुई। बेहद ही गरीब परिवार के एक लड़के ने सरकारी डॉक्यूमेंट्री स्कूल में 10वीं सदी में डॉटर बनने का सपना देखा। उसे यह भी नहीं पता था कि डॉक्टर बने के लिए उसे नींद से आराम करना होगा। ये हैं फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के संस्थापक और अध्‍यक्ष डॉ. मनीषी जागड़ा. डॉक्टर कम्यूनिटी में आज शायद ही कोई हो, जो इन्हें पता नहीं हो। आइये इन्ही की जंयती जानते हैं इनकी कहानियाँ..

घर में टपकती छत और भव्य कूल गंगवार
‘चुंकी मैं गरीब परिवार से था तो बहुत सीधा-सादा, डर-सहमा या कहा कि गंवार था, बस पढ़ाई का मतलब था लेकिन 11वीं में 200 रुपये की शुरुआती फीस वाले, यहां के पास के सरकारी इंटर कॉलेज में पढ़ा गया तो लड़कों के अजीब शौक़ीन, फ़ोन पर गंदे कपड़े देखने की आदतें, गालियाँ, स्लायम्स और गैंगवार देखने वाले डॉक्टर। घर में ड्रोपेती छत और समुद्र तट का पानी डिब्बाबे से बाहर के कमरे में बने भव्य कूल की स्थापना नई दुनिया थी। मेरी नजर के सामने कालीपुर कांड हुआ, दोस्तों के दो अलग-अलग गैंग आए दिन गोली मारकर हत्या। मैंने 50 लोगों को 1 आदमी को देखा। एक आदमी की 4 उंगली का निशान। यह सब देखकर मुझे बहुत डर लगता था। किसी तरह 12वीं पास की. हालाँकि अंदर एक डॉक्टर बैठा था।

17-17 घंटे और पढ़ाई फिर…
डॉक्टर बनने के सपने को लेकर मैं 17-17 घंटे तक जागता रहा, लगभग पूरे समय ही मेरे दिमाग में पढ़ाई और हाथ में किताब थी। कोटा में कोचिंग करने के पैसे नहीं थे तो 12वीं पास के शहर में कोचिंग लगा ली, बस का एक महीने का पास की पक्की छत पर धीरे-धीरे वहां से जाना, ढलान और रात में वापस लौटना। कड़ी मेहनत लाई मेरी एआईपी कंपनी ऑल इंडिया में 139 रैंक आई। दोस्ती के लिए मुझे अलफ सफदरजंग अस्कूल मिला। एम बदलाव में मेरी वेटिंग आई.

अविश्वास में लड़ाई और फिर असफल होने का सदमा

यथार्थ के दौरान अवसाद में डॉ. मनीष जांगड़ा.

पहले से ही गांव के स्मारकों में ख़ून-ख़राबा देखने के बाद जब सफ़दरजंग के बॉयज होम मॉडल में पहुंचे तो गरीबी, तंगहाली और अपने गांव के होने की वजह से अंदर-भीतर दर्द महसूस हुआ। कभी-कभी ऐसा लगता है कि यहां संबंध बनाए गए हैं। रही सही कसर रैगिंग ने पूरी कर दी. रैगिंग में हमें गॉलियाँ दिलवाई जातीं, थप लक्ष्यादों से सलाह होती। मेरे सामने एक लड़के को लात-घुंसों से मारा गया, शिकायत करने पर फिर आरोप लगाया गया। मज़ाक उड़ाना. यह सब देखकर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और मैं एक सेमे स्टार में फेल हो गया…

परीक्षण से शुरू हुआ बुरा वज्रपात
पहले से ही चिंता थी कि मैं फेल हो गया, बाद में मुझे बहुत बुरा लगा कि मैं डिप्रेशन में चला गया और कॉलेज से भाग गया। वापस मुझे लाया गया, मेरा करीब 3 महीने का इलाज चला। मैंने रेल से कटने, चूहे मारने की दवा आखिरी मौत की कोशिशें कीं। लेकिन इलाज के बाद यह ठीक हो गया और मुझे बाईपोलर मेनिया हो गया फिर, इसी तरह मैंने कोचिंग करने वाले एक शिक्षक को पीट दिया, मुझे सिद्धांतों ने थका दिया और मैं गंभीर अवसाद में चला गया। इसके बाद मुझे अलफास के इहबास में भेजा गया, जहां बताया गया कि कंडीशन सीवियर है। दो महीने चला इलाज. कुछ ठीक हुआ लेकिन में बैक हो गया, फिर अपने जूनियर विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई के लिए डिग्री पूरी की।

हिममत तकनीक और फिर..
डॉक्टर्स के संगठन फ़ीमा के सैंटाटेक और डर्मेटोलोजी आश्रम डॉ. मनीष जांगड़ा.

डॉक्टर्स के संगठन फ़ीमा के सैंटाटेक और डर्मेटोलोजी आश्रम डॉ. मनीष जांगड़ा.जब मर भी नहीं पाया और जिंदगी में भी इतना संघर्ष हुआ तो मैंने हिममत टेक्नोलॉजी शुरू की और 2017 में पास करने के बाद नीट पीस पास किया और फिर आर सीरियल में मुझे डर्मा मिल गया। साल 2020 तक दवा टोक-खाते मैंने पिय्ज़ा भी पूरा किया और डर्मेटोलॉज़ी स्टार्टर बन गया।

बनाया गया संगठन, लोगों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया
मैंने जो देखा, उसे और छात्रों को नहीं देखा इसलिए मैंने 2019 में फिमा, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया डॉक्टर्स एसोसिएशन की विचारधारा की। मेरे पास 100% से अधिक का सामान है, आर्टिफिशियल स्टॉक एक्सचेंजों में आर्किटेक्चरल आर्किटेक्चर हैं। अभी तक मैं अपने जूनियर और सीनियर लोगों को अवसाद और निधन के ख्यालों से मुक्त कर चुका हूं। मैं नियमित रूप से लोगों की विशेषताएँ बताता हूँ। मेरा लक्ष्य यह है कि मैं एक प्लास्टर बैनऊं जिसमें मृत एसटीआई सिटकॉमा को हटाया जाए और लोगों के जीवन की वॉल्क्यू बताई जाए।

गांव में मैं बेरोजगार हूं

अपने गांव के लोगों के लिए मुफ्त टॉयलेट डॉ. मनिष.

अपने गांव के लोगों के लिए मुफ्त टॉयलेट डॉ. मनिष.

ऑउथमैंन फिलीपीन के अपोलो क्लिनिकल में डर्मेटरी पेशेवरों के अलावा हेयर फ्री एंड हेयर ग्रॉग्रग्राम में हेयर ड्रायर ट्रांसप्लांट इंजीनियर्स इंजीनियर्स देते हैं। इसके अलावा मैं अपने गांव में हर रविवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक डूबा हुआ हूं। यहां किनाना गांव के लोगों के लिए बस 10 रुपये प्रति फीट है। अगर कोई भी सोना नहीं चाहता तो मुफ्त सेवा ले सकता है। इसके अलावा मैंने कई फ्री चेकअप कैंप भी चुकाए हैं।

अब अवसाद के आगे की जिंदगी है..
अभी भी कई बार कुछ बेहद खराब चीजें देखकर अवसाद लौट आता है लेकिन अब मैंने जीना सीखा और लोगों को भी जीना सिखाया हूं। मैंने ये जान लिया कि अवसाद की आगे की जिंदगी है। सभी को मैं यही कहता हूं कि जैसे कि पतली-कड़ी मेहनत वाले साथी, हिम्मत न हारें, लक्ष्य से न हटें, सफलता ही मिलेगी।


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