सेहत – सावधान! यूपी के इस जिले में 3 साल बाद फैली जानलेवा बीमारी, 2 बच्चों की मौत
मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 3 सागर के बाद डिप्थीरिया की संख्या में वृद्धि हुई है। जनजाति जिले में डिप्थीरिया से पीड़ित 2 बच्चों को अलग-अलग वार्ड में भर्ती किया गया है। एक बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसके लापता होने की शिकायत की गई है। वहीं, अन्य का इलाज मंडलीय अस्पताल में चल रहा है।
3 साल से नहीं मिले थे मरीज
पिछले 3 कलाकारों से मिले के बाद स्वास्थ्य विभाग मूड पर है। जिन प्लेस पर मरीज़ मिलते हैं, वहां बच्चों का टीकाकरण टीकाकरण और एंटीबायोटिक दवा की खुराक जा रही है।
जानिए कितने मील अभ्यार्थी
7 सितम्बर को डिप्थीरिया के 2 नये मित्र मिले। लालगंज के बरौधा गांव में 2 साल की बच्ची में पाए जाते हैं इस बीमारी के लक्षण. इलाज के बाद भी सुधार नहीं होने पर शिक्षकों ने अंतिम संस्कार के लिए रिक्वेस्ट कर दी। वहीं, सिटी ब्लॉक के अर्जुनपुर में दूसरा यात्री मिला है। दूसरी बच्ची का इलाज मंडलीय अस्पताल में चल रहा है।
यह बीमारी जन्मजात है
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डाॅ. अनिल ओझा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि डिप्थीरिया एक जीवाणु जनित रोग है। यह जन्मजात भी साबित हो सकता है। बच्चों में यह रोग जल्दी ही विकसित हो जाते हैं। डिप्थीरिया से श्वसन तंत्र पूरी तरह से प्रभावित होता है। इसके प्रमुख लक्षण गले में खरास, हल्का बुखार और झुमका है। कई लोगों के गले में एक आंत्रनुमा बन जाता है, जिससे सांस लेने और पीने में परेशानी होती है।
टीकाकरण से ही आरक्षण संभव
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि डिप्थीरिया से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। बच्चों को जन्म लेने से पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे महीने में पेंटावेलेंट की टिप्पणियाँ लगती हैं। इसके बाद 12 से 18 महीने के बीच डिप्थीरिया पार्टसिस और टिटनेस की टिप्पणियां दी गई हैं। इससे संक्रमण नहीं होता है और बच्चों की रोगज़नक़ क्षमता भी बहुत अधिक होती है। पार्टी में 10 हजार बच्चों को आरक्षण के लिए टीका लगाया गया है।
पहले प्रकाशित : 15 सितंबर, 2024, 10:53 IST
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