सेहत – फिलाडेल्फिया के अस्पताल में मंकीपियो का मरीज लेकिन डरने से पहले जान लें खतरनाक है वायरस

अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में जमाकर्ता माकीपो यूसुफ का यात्री भारत में भी निकल आया है। भारत में मिले साइंटिफिक पेशेंट की लैबोरेट्री जांच में एमपीओ लैबोरेट्री की पुडुचेरी हो गई है। असहिष्णुता को अस्पताल में भर्ती करने के लिए मंकीपॉय में अस्वीकृत वार्ड में रखा गया है और निगरानी की जा रही है।

कुछ दिन पहले ही सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट मिनिस्ट्री ने एम स्केल, सफदरजंग, एआर ग्रेडिंग और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मंकीपो एसोसिएट के लिए वर्ड इंडस्ट्री बनाने की बात कही थी। शामिल होने एम् अनालमेंट में संदि आशियाने के केस ही रखे जाने थे और पुष्टि के बाद सफदरजंग अस्पताल में स्टेक करने की बात कही गई थी। इनके अलावा एलएनजेपी और बाबा साहब कॉम अलॉटमेंट में भी मंकीपॉप अयोध्या को लेकर वार्ड बनाया गया है। इस आवेदक को एलएनजेपी हॉस्पिटल के वैजलीमेंट वार्ड में भर्ती किया गया है।

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केंद्र सरकार की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि 26 साल का यह युवा एमपीओ भर्ती वाले देश की यात्रा से वापस आया है। छात्र ट्रैक्टलिनिक्ली एमएटी का लेबल है उसे कोई भी विकलांगता बीमारी या मंपो अलैहिस्सलाम के गंभीर लक्षण नहीं हैं। वह पश्चिमी अफ़्रीकी रॉकेट-2 वायरस से सबसे पुराना है। राहत की बात यह है कि यह ठीक है कि एमपीओ ने यात्रियों से मारपीट की है लेकिन जांच में मिले वायरस का अफ्रीका में फेल रही महामारी से कोई संबंध नहीं है।

विशेषज्ञ की राय तो भारत में किसी मित्र से मिलने के बाद भी डरने या डरने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह है मरीज़ में मिला ट्रैक्टलाड-2 वायरस.

डॉ. कॉमल सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च, नई दिल्ली के डायर इंजीनियर प्रोफेसर डॉ. सूनीत के सिंह का कहना है कि दो तरह के वायरस होते हैं जो मंकीपो की बीमारी फैलाते हैं। पहला है चाकलाड 1 और दूसरा है चाकलाड 2. जापान के पूर्वी और पूर्वी अफ्रीका में जो मंकी प्रोसेसर फैलाया गया है वह चाकलाड 1 वायरस की वजह से है. जिसे डब्बेब्लूबेक ने यूनिवर्सल हेल्थ घोषित कर दिया है।

इतना ही नहीं है मॉर्टोरिकली देखा जाए तो भी जिम मेकर बीमारी के लिए क्लासिकल-1 सीवियर देखा गया है। वहीं एमपीओ रिपॉजिटरी से जो 10 फीसदी लोगों की मौत हुई है, वे लोग भी इसी वायरस से पीडित थे. स्ट्रॉक्लाड-2 वायरस की संक्रमण दर और सीवियरिटी काफी कम है। स्ट्रॉकलाड-1 वायरस, स्ट्राक्लाड-2 वायरस के रॉकेट खतरनाक, संक्रामक और घातक है।

वैसे ही भारत में मंकीपो असामी का मरीज़ मौजूद है लेकिन साल 2022 से लेकर अभी तक एक ही रेक्लैड-2 वायरस के 30 केस भारत में ऐसे आ चुके हैं, जो 2022 से 2020 तक जारी हैं। अफ्रीका में संक्रमण और प्रशिक्षक ट्रैक्टलाड-1 की वजह से है। इसलिए भारत में सावधानी बरतते रहें और सावधान रहें।

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