सेहत – हर छोटी-बड़ी बात भूलने लगे हैं आप? कहीं यह ब्रेन से जुड़ी बीमारी का संकेत तो नहीं, इन रहस्यों से जानें पता

अल्ज़ाइमर रोग के बारे में सब कुछ: उम्र बढ़ने के साथ-साथ खतरे का खतरा भी बढ़ता है। जब तक लोग जवान रहते हैं, तब तक अस्थमा कम हमले करता है और उम्र बढ़ती ही जाती है, शरीर पर चुनौती का कमाल देखने को मिलता है। असल में एक उम्र के बाद हमारी हड्डियां, मांसपेशियां और शरीर के अन्य कार्यों की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कई लोगों की याददाश्त ख़राब हो जाती है और वे हर बात भूल जाते हैं। इस भूलने की बीमारी को मेडिकल की भाषा में अल्जाइमर कहा जाता है। इससे जुड़ी जरूरी बातें सभी को जान लेनी चाहिए।

ग्रेटर के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. चिराग गुप्ता ने News18 को बताया अल्जाइमर न्यूरोडीजेनरेटिव डिसऑर्डर होता है। इसमें आयु वृद्धि के साथ-साथ लोगों के मस्तिष्क के संतुलन का स्तर बढ़ना शुरू हो गया है। इसकी वजह से लोगों की याददाश्त कम होती है और लोग अपनी डेली लाइफ में खाना भूल जाते हैं। उम्र के साथ ब्रेन के साथ न्यूरॉन के आसपास एमिलॉयड बीटा नाम का प्रोटीन जमने लगता है, जिसके कारण ब्रेन के न्यूरॉन का पोषण बढ़ रहा है और न्यूरॉन डैमेज होने लगा है। इससे अल्जाइमर डिजीज पैदा होता है।

डॉक्टर चिराग गुप्ता ने बताया कि अल्जाइमर की बीमारी से 65 साल के करीब 10% लोग प्रभावित होते हैं, जबकि 80 साल की उम्र के बाद 30 प्रतिशत लोग इस समस्या का शिकार हो जाते हैं। यह बीमारी एक बार हो जाती है, तो भूखी रहती है। अगर किसी व्यक्ति की उम्र 60 से ज्यादा है और वह भूलने की समस्या से जूझ रहा है तो यह अल्जाइमर का संकेत हो सकता है। अल्जाइमर बढ़ जाए, तो लोग रास्ता भूल जाते हैं और लोग पहचान भी नहीं पाते। इस बीमारी की वजह से कई लोग बिना वजह के घूमना शुरू कर देते हैं और अपने घर का पता तक भूल जाते हैं।

अल्जाइमर का कोई निवारक इलाज नहीं है, लेकिन कुछ औषधियों के माध्यम से इसका इलाज किया जा सकता है। इस बीमारी को दूर करने के लिए अंधविश्वास का निदान करना होगा। कुछ मिनट्स में कुछ बातें बताई गईं और हरी मसाला खानी बनाई गईं। एंटीऑक्सीडेंट से परिपूर्ण फल डॉक्टर चाहिए। जो लोग अवसाद का शिकार होते हैं, उनमें अल्जाइमर का रोग सबसे ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य सुधार और सामाजिक गतिविधियों का पालन करना चाहिए। जो लोग सामाजिक रूप से सक्रिय रहते हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा होता है। अगर किसी तरह के लक्षण नजर आएं तो न्यूरोलॉजिस्ट से मिलकर परामर्श लेना चाहिए।

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