सेहत – बीज खाने से क्या बन सकते हैं माँ-पापा? जानें जादुई बीज सेक्शुअल स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाते हैं

लाइफ स्टाइल खराब, इंसाना, स्ट्रेज़ और लेट से हो रही है युवाओं की शादी से उनकी सेक्सुअल हेल्थ बिजनेस चल रही है। कम उम्र में ही पुरुष और महिलाएं इन्फर्टिलिटी का शिकार होने लगते हैं। लड़कियों में खराब रिप्रोडक्टिव हेल्थ डिपोजिट के रूप में दिखते हैं लेकिन पुरुषों में ये लक्षण आसानी से नहीं दिखते। अगर दिग्भ्रमित हैं तो वह इसे पहचानना नहीं चाहता। अगर बदलाव पर ध्यान दिया जाए तो सेक्सुअल हेल्थ हमेशा स्वस्थ बनी रहे। इसके लिए महिलाओं और पुरुषों को अपनी खुराक में सीड्स शामिल करना चाहिए। यह बीज रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य और सेक्सुअल स्वास्थ्य को मापने के लिए रामबाण हैं। पुरुषों और महिलाओं के शरीर में यह बीज नैचुरल औषधि की तरह काम करती है जिससे वह बहुत आसानी से माँ-पापा भी बन सकते हैं।

महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन अलग-अलग होते हैं
एक उम्र के बाद हर किसी के शरीर में बदलाव आते हैं। यह परिवर्तन हार्मोन के कारण होते हैं। महिला और पुरुष के हार्मोन्स ही एक-दूसरे से अलग-अलग होते हैं। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नाम का हार्मोन बनता है जो उनके रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है। वहीं, महिलाओं की ओवरी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के हार्मोन रिलीज होती है, जहां उनका इनस्ट्रुअल साइकल मेटल है। दोनों के शरीर में जब यह हार्मोन्स सैटेलाइटेट होते हैं तो रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य भी कमजोर होता है। महिलाओं में हर महीने बदलाव होते रहते हैं इसलिए अगर उनमें परेशानी होती है तो समस्या का समय ठीक रहता है लेकिन पुरुषों को उनके शरीर में बदलाव समझ नहीं आते।

पुरुषों के लिए ये बदलाव तो संभावित हो सकते हैं
जब पुरुषों का यौन स्वास्थ्य खराब होता है तो बांझपन के रूप में दिखाई देने लगता है। लेकिन अगर पुरुष अपने शरीर पर ध्यान दें तो समय रहते ही इस समस्या को दूर किया जा सकता है। मायो क्लिनिक जिन पुरुषों की रिप्रोडक्टिव सेहत अच्छी नहीं होती, उनके शरीर या चेहरे पर बाल कम उगने लगते हैं, उनके शरीर या चेहरे पर बाल कम उगने लगते हैं, उनके अंदर कामेच्छा यानी ग्रैंग से इंटिमेट होने की इच्छा नहीं रहती, उनकी अजीब छाती के तरीके से ग्रोथ बढ़ती है और कई बार उनकी सहमति की क्षमता भी प्रभावित होती है।

पुरुषों के लिए मूंगफली भी जादुई होते हैं (Image-Canva)

पुरुषों को खाना चाहिए ये 3 बीज
हेल्थ कोच पिलाई कोठारी कहते हैं कि बीज स्त्री और पुरुष, दोनों के लिए जादुई है। पुरुषों को अपने यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए तरबूज, कद्दू और सूरजमुखी के बीजों को शामिल करना चाहिए। इससे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा सबसे अधिक होती है। इन सिक्कों में ड्रैगन, विटामिन ई, मैग्नीजियम और फोलेट की अच्छी मात्रा होती है जो स्पर्म की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को दर्शाती है। वहीं, मेथी के दाने भी टेस्टोस्टेरोन के दाम हैं।

महिलाओं के लिए आवश्यक सीड लिपि
लड़कियों को अपना रिप्रोडक्टिव हेल्थ को 14-15 साल की उम्र में ही सेट करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि इस उम्र में ज्यादातर लड़कियां होटल में प्रवेश करना शुरू कर देती हैं। सीड साइकल में स्ट्रा मैनुअल साइकल के हिसाब से 2 कारों में बाँटी होती है और दोनों समय पर अलग-अलग बीज खाने चाहिए। होटल्स शुरू होने से पहले 14 दिन तक फोलिक्यूलर चरण बताए गए हैं। इस समय अलसी, कद्दू, सूरजमुखी और तिल के बीज खाने चाहिए। 15 से 28 दिन तक लुटियल चरण कहा जाता है। इस समय सूर्य और तिल के बीज अवश्य लें। हर महिला की शास्त्रीय पुस्तक अलग-अलग होती है, हर महिला को यह कैलेंडर पर नोट करना चाहिए।

बीज खाने का फ़ायदा 3 महीने बाद शुरू होता है (छवि-कैनवा)

बीज विश्लेषण प्रजनन क्षमता
मेनस्ट्रुअल साइकल वुमेन को मां बनने के लिए तैयार किया जाता है। गर्भावस्था के 14 दिन पहले से ही एंडोमेट्रियम स्टॉक एस्ट्रोजन हार्मोन से मजबूत बना हुआ है। अलसी के बीज यह हार्मोन बनने में सहायता करते हैं। वहीं जिओन्ग से शानदार कद्दू के बीच ओवरी के लिए अगले महीने में स्ट्रॉयल साइकल तैयार करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा अलसी और कद्दू के बीज के यूट्रस में खून के अर्क को भी मिलाया जाता है। 14 दिन बाद महिला की यूट्रस की लाइनिंग मोटी हो जाती है क्योंकि एजी फर्टिलाइजर तैयार रहता है। जब एजी फर्टिलाइजेशन होता है तो इसे ऑक्यूलेशन कहा जाता है। अगर कोई महिला इस समय राजभवन के करीब आती है तो उसकी मां बनने की संभावना बढ़ जाती है। ल्यूटियल चरण में शरीर में प्रोजेस्टेरोन शामिल होते हैं जो तिल के निशान से अच्छी मात्रा में बने होते हैं। सूरज के बीज लिवर में एस्ट्रोजन को साफ रखते हैं। लेकिन ध्यान रहे जो महिलाएं मां नहीं बनना चाहतीं, उन्हें सीड पेंसिल की जरूरत नहीं है।

हार्मोन्स होता राक्षस
इन नमूनों को रोज 1 छोटा सा भून कर या आधा किलो खाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर एक रात पहले भी गो लें और अगले दिन सुबह खाली पेट या ओट्स में पूरा खाना खाया जा सकता है। इन यौगिकों में हार्मोन्स के गुण हैं, इसलिए पीसीओडी, कबाड़, एजिंग, पिंपल्स, होटलों में हैवी ब्लीडिंग, सोडा और मेनोपॉज में हॉट फ्लैशेज, ड्रेनेज की समस्या दूर होती है। जिन महिलाओं की पेल्विक मसल्स खराब होती हैं और जो बार-बार यूरिन लिकेज से परेशान रहती हैं, उन्हें भी सबसे ज्यादा फायदा होता है।


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