सेहत – धूम्रपान करने वाले कृपया ध्यान दें! शरीर में दर्द और सांस लेने में हो परेशानी, तो तुरंत ठीक करें ये टेस्ट

धूम्रपान से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ता है: आज के समुद्र तट में जिधर देखो लोगों के हाथ में सिगरेट और बीड़ी नज़र आती है। बड़ी संख्या में लोग किसी भी तरह की सिगरेट पीते हुए देख सकते हैं। सिगरेट पीना वैसे ही नए समुद्र में फैशन माना जाता है, लेकिन इसके कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। दिल्ली- लोगों के एयर पॉल्यूशन से बहुत बुरा हाल है और यहां सिगरेट पीने से फेफड़े को गंभीर नुकसान हो सकता है। धूम्रपान करने से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों की राय तो जो लोग धूम्रपान करते हैं, उन्हें समय-समय पर अपनी जांच करवानी चाहिए।

नई दिल्ली अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के पल्मोनाइटिस डॉ. लेखक कुमार ठाकुर ने News18 को बताया भारत में लंग कैंसर यानि लंग कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। सीवियर एयर पॉल्यूशन, मैक्स स्मोकिंग, फैमिली कल्चर, केमिकल्स का संपर्क फेफड़ों के कैंसर के कारण बन गया है। अगर किसी व्यक्ति को लगातार खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, थकान, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ की समस्या है तो ये लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ज्यादातर लोग इन लाइसेंस को मंजूरी दे देते हैं, लेकिन इन लाइसेंस के लुक पर फेफड़े की जांच जरूर करा लेते हैं।

डॉक्टर ने बताया कि अगर मरीज को प्रारंभिक चरण में लंबे समय तक कैंसर का पता चलता है, तो उसके पास प्रारंभिक चरण के कई विकल्प होते हैं। इनमें सर्जरी, रेड थेरेपी, कीमोथेरेपी और अन्य उपकरण शामिल हैं। अगर लंग कैंसर का पता जल्दी चल जाए तो जान बचने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। धूम्रपान जैसे जोखिम कारकों से बचने के लिए फेफड़े को स्थापित रखने की आवश्यकता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को समय-समय पर अपने फेफड़ों की जांच करानी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की समस्या होने पर उनकी सही जांच की जा सके। अस्वास्थ्यकर स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह तो सिगरेट से दूर रहना बेहद जरूरी है। दैनिक दिनचर्या और योग करने से फेफड़ों की क्षमता आधी होती है। इसके अलावा फल-सब्जियों के अंतर्ग्रहण से फेफड़ों की सेहत अच्छी बनी रहती है। फेफड़ों की कसरत से बचने के लिए कूड़े-मिट्टी वाली जगह पर जाने से बचें और अगर जाना पड़े, तो मास्क पहनना न भूलें। घर के अंदर हवा की गुणवत्ता बेहतर बनाए रखना भी जरूरी है। समय-समय पर स्वास्थ्य जांच से फेफड़े की बीमारी के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

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