सेहत – आवाज से पता चल जाएगा कि कौन सी बीमारी है, एआई जल्द ही यह काम करेगा, इलाज भी आपको यही बताएगा
एआई द्वारा रोगियों का निदान: बहुत जल्द आर्टिफिशियल साइंटिफिक जेन्स के माध्यम से कई खतरनाक का इलाज होना अनिवार्य है। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी शांतचित्तों का इलाज केवल कलात्मक वैज्ञानिक ही होगा। कई ऐसे ही बैचलर की पहचान जल्दी करें और खाते से दवा देने में यह डॉक्टर की मदद करें। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा, कॉर्नेल और 10 अन्य छात्रों के साथ मिलकर ब्रिज2एआई प्रोग्राम चलाया है, जिसमें लोगों की आवाज के डेटा को इकट्ठा कर उसका विश्लेषण किया जा रहा है और इसमें पता लगाया जा रहा है कि किस बीमारी का पता चला है। मुकम्मल की स्थिति में किस तरह की आवाज का अभाव है।मुकम्मल को पहचानना हो जाने के बाद ऐसा फ्लैट एप्लीकेशन विकसित होगा जो मरीज की आवाज का विश्लेषण करेगा और चंद अनुपाठी में बताएगा कि उसे क्या बीमारी है। इसके बाद उस बीमारी के इलाज के बारे में भी बताएं। रिपोर्ट के अनुसार इस रिसर्च में अस्थमा से लेकर स्पाइस, पार्किंसन, अल्जाइमर, स्ट्रोक, डिप्रेशन, सिजोफ्रेनिया, बायपोलर डिसॉर्डर, हार्ट फेल्योर, स्कोकेन पीडी, निमोनिया और ऑटिज्म की पहचान और उसके निदान पर फोकस किया जा रहा है।
आवाज के हर अंश का विश्लेषण
टीओआई की खबर के अनुसार होटल की आवाज के हर अंश का विश्लेषण। माइक्रोस्कोप की आवाज की उस सूक्ष्मतम इकाई को भी पकड़ेगा जो मनुष्य के कान से नहीं सुन पाया है। इसमें आवाज की ध्वनि, गति और आवाज के उद्गम – ध्वनि से लेकर स्वर की तरंगों तक का विश्लेषण और आवाज के पैटर्न को पकड़ेगा। कुछ ऐसे विकार हैं जहां पर आवाज में परिवर्तन होने लगता है। मनुष्य पक्के स्पष्ट रूप से आवाज से बीमारी है इसका पता तो नहीं चल सका लेकिन यह काम कर सकता है। इससे न केवल बोलने में समस्या वाली स्थिति की पहचान की जाएगी बल्कि कई तरह की नसों से जुड़ी बीमारियाँ, सांसों की बीमारियां, नशे और यहां तक कि ऑटिज्म तक का इलाज हो जाता है।
चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के निदेशक याएल बेन्साउसन का कहना है कि ऐसी आवाजें हैं जिनमें कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी बायोमार्कर बनने की क्षमता है। उन्होंने बताया कि वॉयस के लिए एमआइएल संग्रहित कर उसे आज की सबसे बेहतरीन टेक्नोलॉजी से जोड़ना एक प्रभावशाली कदम साबित हो सकता है। इस डॉक्टर की रसायनिक तकनीक का उपयोग करके इसे पहचाना जा सकता है और इसके इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। इस डॉक्टर को बेहद सलाह मिलेगी और मरीज का भी प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सकता है।
आवाज से डॉक्टर को भी पहचान रहे हैं
डॉ. येल बेन्साउसन ने बताया कि हम सब जानते हैं कि जब किसी को स्ट्रोक आता है तो उसकी आवाज में लकड़हाहट आ जाती है। दूसरी तरफ अगर कोई व्यक्ति पार्किंसंस रोग का रोगी है तो उसका बहुत धीमा होना और उसे बोलने में भी समय लगता है। डॉक्टर इस टूल का उपयोग करके कैंसर और अवसाद की पहचान भी कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी कॉलेज ऑफ मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ. मारिया इस्पिनोला ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि जब कोई व्यक्ति बात करता है और हम उसे पोस्ट करते हैं तो वह व्यक्ति क्या कह रहा है और किस तरह से कह रहा है, इसी आधार पर हम पहले से ही यह पहचानते हैं कि किस तरह का मानसिक विकार है है.जब भी कोई व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त होता है तो उसकी आवाज में एकरसता, संयम और कोमलता होती है। उनकी आवाज की पिच का रेंज कम हो जाती है और डेस्टिनेशन कम हो जाता है। वह बार-बार पोज देती है। वह बार-बार पोज देती है। वहीं जहां एंग्ज़ाइटी यानी खराब की बीमारी है वह बहुत तेज़ और जल्दी-जल्दी बोलती है। उन्हें सांस लेने में सबसे ज्यादा समय लगता है। आवाज की इसी सामान से सिजफ्रेनिया या किसी मसाला के बाद के तनाव वाले मसाले का इलाज किया जाता है। ऐसी आवाज में चैलेंज की पहचान को बेहतर तरीके से पहचाना जा सकता है।
यह भी पढ़ें- पेट की चर्बी बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका, जानें आप, इसे जान लें, बैठे-बैठे भी हो सकता है पेट की चर्बी
यह भी पढ़ें-देश के 50% मर्दों में 60 तक की उम्र में हो जाएगा बड़ा, जवानी से कम कर लें ये उपाय तो बुढ़ापे में नहीं होगी परेशानी
पहले प्रकाशित : 25 सितंबर, 2024, 19:00 IST
Source link