सेहत – सागर में बच्चे के पेट में भ्रूण में भ्रूण क्या है, मेडिकल में दुर्लभ मामला

सागर: मध्य प्रदेश के सागर में मेडिकल साइंस का एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें फीटस इन फीट कहा जाता है। इसमें तीन दिन पहले सामामी के अंदर एक और बच्चा मिला है। यह स्थिति लाखों महिलाओं में से किसी एक में पाई जाती है। इस मामले को देखकर डॉक्टर हैरान रह गए और इस खबर से भी हैरान हो गए। इस दुर्लभ मामले को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। एसोसिएट्स का उत्तर पाने के लिए लोकल 18 ने सागर की वरिष्ठ सिंक्रोनाइज़ेशन, डॉक्टर नीना गिडियन से बात की, इस बारे में रोचक जानकारी दी गई है।

किन रिन्डल में होता है फीटस इन फीटू?
वरिष्ठ सिंगिंग आर्टिस्ट डॉक्टर नीना गिडियन के मुताबिक, फीटस इन फीटू एक बेहद दुर्लभ मामला है और इसके मुख्य दो कारण हो सकते हैं। पहला कारण तब होता है जब एक जुड़वां भ्रूण का विकास दूसरे भ्रूण के अंदर दिखाई देता है। इसे फीटस इन फीट कहा जाता है, जिसका अर्थ है “बच्चे के अंदर का बच्चा”। दूसरा कारण इसके अंदर टेराटोमा (टेराटोमा) नामक ट्यूमर की उपस्थिति हो सकती है, जिससे भ्रूण के अंदर एक और भ्रूण दिखाई देता है।

सोनोग्राफी की भूमिका
गर्भवती महिला की एक महीने की सोनोग्राफी के दौरान इस दुर्लभ स्थिति का पता चला। विश्वासियों के अनुसार, अगर महिला ने पहले जांच की, तो इस स्थिति का पता जल्दी लग सकता था। सरकारी अधिकृत के अनुसार, गर्भवती महिलाओं की नियमित रूप से सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है, ताकि इस तरह के मामलों का समय पर निदान हो सके।

गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानी रखनी चाहिए?
गर्भवती महिलाओं को जैसे ही अपने गर्भवती होने का पता चलना चाहिए, उन्हें तुरंत डोकलाम, वयस्क कार्यकर्ता या सहायिका से संपर्क करना चाहिए और सरकारी केंद्र में अपनी जांच करवानी चाहिए। यदि सरकारी केंद्र पर सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है, तो निजी क्षेत्र में भी यह सुविधा उपलब्ध है। इसके लिए सरकार द्वारा नामांकन के बाद प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर को भुगतान किया जाता है।

समय जांच की आवश्यकता
गर्भवती महिलाओं की सही समय पर जांच और एसआईटी द्वारा बनाए गए पैरा मेडिकल स्टाफ, डबल्यूकोन, कामगार और सहायिका की जिम्मेदारी है। अगर समय पर इस तरह के मामले का पता चलता है, तो हम प्रभावशाली समाधान कर सकते हैं। इससे मातृ मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है।

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पहली बार देखा ऐसा मामला
चैलेंज मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर पुण्या प्रताप सिंह ने इस दुर्लभ मामले का खुलासा किया है। महिला ने 4 सितंबर को जांच पड़ताल की थी, जिसमें रिपोर्ट के दौरान संदेह हुआ था। इसके बाद कुछ और जांच की गई, जिसमें यह पुष्टि हुई कि नवजात के पेट में एक और बच्चा है। डॉक्टर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने करियर में इस तरह का मामला पहली बार देखा है। सर्जरी ही एकमात्र समाधान है, और इसके लिए विशेष निगरानी और विचार-विमर्श जारी है।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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