सेहत – राजस्थान की ये स्थानीय सब्जी है गरीबों की किशमिश, बिना खेती के उगती है ये सब्जी, विदेशी मेहमानों को खूब आती है पसंद, विदेशों में भी है इसकी डिमांड

जयपुर: बारिश के मौसम में इंद्रधनुष के साथ-साथ ऐसी कई चीजें उगती हैं जो बहुत उपयोगी होती हैं। राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में खाली पड़े मैदानों में अभी कचरी उग रही है। कचरी एक जंगली बेल होती है, जिससे फलों से सब्जी बनाई जाती है। राजस्थान में बनी कचेरी की सब्जी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। राजस्थान में आने वाले विदेशी और देशी पर्यटक कचरी और सांगरी की सब्जी खूब पसंद की जाती हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर किशनलाल ने बताया कि कचेरी को जंगली तरबूज और गरीबों की किस्मत भी बताई जाती है। यह तीन से चार महीने की है.

उसके बाद उसे सुखाकर रखा जा सकता है और 12 महीने में उसकी सब्जी बनाई जा सकती है। इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है. इसका उपयोग मुख्य रूप से अचार, अचार और सब्जी बनाने में किया जाता है। यह जंगली लता है इसके पत्ते काकड़ी जैसे होते हैं इस पर पीले फूल आते हैं। यह राजस्थान के मरुस्थलीय भाग में सबसे ज्यादा पाया जाता है। कचरी को भूख बढ़ाने वाला फल यह भी माना जाता है कि इसमें मौजूद भूख बढ़ाने वाले डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाए रखना है।

कचेरी खाने के फायदे
कचेरी में एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे इमीमैट सिस्टम स्थिर होता है। इसके अलावा इसमें कचरी में प्रोटीन होता है, जिससे स्ट्रक्चर को स्ट्रक्चरल स्ट्रक्चर बनाया जाता है। यह शरीर की संरचना है. मौजूद मैग्नेशिया, ग्लूकोज़ और रिवाइवल के मेटाबॉलिज्म में मदद मिलती है। यह मधुमेह रोग में स्वादिष्ट सब्जी मानी जाती है। कचेरी में मौजूद तत्व पेट से जुड़े प्रश्नों को दूर में सहायक हैं। इससे गैस, अपच, कब्ज जैसी परेशानी दूर हो जाती है। इसके अतिरिक्त पोषक तत्त्व में भूख बढ़ाने में सहायक तत्व होते हैं। जिसे भूख नहीं लगती उसे यह सब्जी खानी चाहिए। वहीं कचेरी में मौजूद तत्व पथरी को प्लांट से बाहर निकालने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में यह फल सबसे बड़ा माना जाता है।

घर पर ऐसे कैसीनो की बेल
कचरी को घर पर लगाने के लिए सबसे पहले बेल को धूप वाली जगह पर लगाएं, जहां उसे प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे धूप मिले। इसके अलावा अच्छी बचपन वाली मिट्टी का चयन करें। मिट्टी में गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाना बनाया रहेगा। कचरी के टुकड़ों को 1-2 इंच गहरे टुकड़ों में काट लीजिये. प्लांट के बीच 1-2 फीट की दूरी पर प्लांट को बढ़ने का पर्याप्त स्थान मिलता है। बीज की हड्डी के बाद मिट्टी को पतला दाग, लेकिन अधिक पानी न दें। नियमित रूप से पानी देने पर उपाय विकसित किए जा रहे हैं।

हर 4-6 सप्ताह में कच्चे माल की वृद्धि के दौरान। डॉक्टर की सुरक्षा के लिए डॉक्टर की सलाह का उपयोग करना आवश्यक है। जब कचरी का फल आकार ले ले और उसका रंगत बढ़ जाए, तो उसे काट लें। इस तरह आप घर पर आसानी से कचेरी ओब सकते हैं।


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