सेहत – कैसे हो गया है विचारधारा? मानक ब्लड शुगर की मात्रा कितनी होनी चाहिए, सभी एक साथ चार्ट में समझें

सामान्य रक्त शर्करा स्तर: शुगर का मतलब खून में शुगर की मात्रा का बढ़ना. वही शुगर जिसे आप मीठे के रूप में खाते हैं। फ्रेंड्स पेट में तेजी से बढ़ता है और यह ऊर्जा का हिस्सा बन जाता है। इन मित्रो को सालगिरह नाम का हार्मोन पचाता है। अगर रिवाइवल कम हो जाए या न बने तो ये मिठाइयाँ पेट में पच तो जाती हैं लेकिन इससे एनर्जी सामान्य नहीं होती। इसलिए यह खून में चला गया और खून के माध्यम से शरीर के बाकी हिस्सों में शानदार दिखता है। इसलिए जब भी किसी से बातचीत होती है तो पूरा शरीर थका हुआ लगता है। चिंता की बात यह है कि भारत में तेजी से शराब पीने के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में वर्तमान में करीब 10 करोड़ से ज्यादा लोग शिकार करते हैं। अधिकांश को तो यह भी पता है कि वे सहकर्मी हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि आपके ब्लड शुगर लेवल की मात्रा कितनी होनी चाहिए और कब किसी को सहकर्मी होना चाहिए।

शुगर की जांच कैसे होती है

अमेरिकी डिजीज कंट्रोल एवं प्रिवेंशन केंद्र के कहते हैं प्रतिभागियों के लक्षण से पहचानना मुश्किल है। इसलिए इसके लिए खून की जांच करानी होती है। इसके लिए मुख्य रूप से तीन तरह की जांच होती है जो एक ही बार में खून निकल जाता है। शुगर टेस्ट भी सस्ता. इसलिए साल भर में हर किसी को एक बार इसकी जांच करानी चाहिए। इसमें सबसे पहले खाली ख़ून पेट के पौधे मिलते हैं। इसे फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट कहते हैं। इसके बाद एक या दो घंटे बाद कुछ खाया या कुछ खाया जाता है। इसे ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कहते हैं। एक तीसरा टेस्ट रैंडम ब्लड टेस्ट कहते हैं। यह कभी भी लिया जा सकता है. हालांकि सबसे महत्वपूर्ण एचबी1एसी (एचबी1एसी) या ए1 सीई टेस्ट। इसे मेटाबॉलिक मेमरी टेस्ट भी कहते हैं. ग्लूकोज़ हीमोग्लोबिन में चिपकी होती है। इसलिए यह देखा गया है कि पिछले तीन महीनों में शुगर का उत्सर्जन- हीमोग्लोबिन में वृद्धि हुई है। यदि यह 6.4 प्रतिशत से अधिक है तो इसका मतलब है कि किसी को शुगर की बीमारी हो गई है।

नॉर्म ब्लड शुगर का चार्ट

परिणाम —————–Hb1Ac ————फास्टिंग ब्लड शुगर ————–खाने के बाद
प्लाज्मा —-6.5% से अधिक —126 मिलीग्राम/डीएल —-200 मिलीग्राम/डीएल
पूर्व-मधुमेह ———–5.7-6.4 % ———100-125 मिलीग्राम/डीएल —————140-199 मिलीग्राम/डीएल
सामान्य ——————–5.7 % से नीचे ——99एमजी/डीएल से नीचे ————–140 मिलीग्राम/डीएल से नीचे

प्री-डायबिटिक कब और डायबिटिक कब
मैक्स आर्काइव्स का मानना ​​है कि कंसल्टेंट एंडोक्राइन कैंसर और मरीज़ों के डॉक्टर पारस अग्रवाल का कहना है कि अगर फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 100 के आसपास है तो इसे सामान्य माना जाता है लेकिन अगर यह 120 के आस-पास है तो इसे प्री-डायबिटिक माना जाएगा और रोगी को धन्यवाद हो जाने के लिए हम लोग कहते हैं। यानी लाइफस्टाइल ठीक करने के लिए कहते हैं। अगर फास्टिंग ब्लड शुगर 125 से हमेशा के लिए रहता है तो इसका मतलब है कि वह चालू हो गया है। इस स्थिति में एचबी 1 टेस्ट भी 6.4 से अधिक है तो दवा शुरू की जा सकती है।

प्री-डाइबिटक होने पर क्या करें
डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि प्री-डायबिटिक एक तरह से आपके लिए चेतावनी है। अगर इस समय आप अपनी लाइफस्टाइल को सही कर लें तो यह रिवर्स हो जाएगा। आपका खान-पान सही हो और आस्था रखें तो दोस्त नहीं होंगे। लेकिन इस बार अगर आपने ध्यान नहीं दिया और टेस्ट भी नहीं किया तो 60 फीसदी से ज्यादा मामलों में वर्कआउट हो जाएगा. इसलिए इसी समय डॉक्टर से.

व्यवसाय होने पर क्या करें
डॉ. पारस अग्रवाल कहते हैं कि डॉक्टर से दोस्ती और अपनी लाइफस्टाइल ठीक कर लें। हर रोज़ की सैर, वॉकिंग की। तनाव न सहयोगी. खुद को जोड़े रखें और सबसे बड़ी बात कि अपने खान-पान में सुधार लाएं। प्री-डायबिटिक कंडीशन में खान-पान पर ध्यान देना सबसे जरूरी है। यदि आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो आप टाली-भुनी चीजें, भोज्य पदार्थ, सीताफल, शराब आदि को छोड़ दें। मीठा खाना कम करें.हरी सागा हॉलिडे का सेवन अधिक से अधिक करें. जो मौसमी फल मूल हो, उसे अपनी आदत में शामिल कर लें। प्रतिदिन टिकटें. करेला, एलेशियन, जामिन, ग्लूकोरेट प्लास्टर, पालक, आदि का सेवन बढ़ा दें।


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