सेहत – परीक्षण, प्रशिक्षण, कॉर्सेट कैसे प्राप्त कर सकते हैं स्वास्थ्य? किस तरह के आउटफिट से करें खुद की स्टाइलिंग
आजकल सोशल मीडिया पर एक रील काफी वायरल हो रही है जिसमें कैंसर के बारे में बताया जा रहा है। भारत में लगभग हर राज्य में पोशाकें प्रचलित हैं और यह एक तरह की राष्ट्रीय पोशाकें हैं। इस रील में बेरोजगारी के साथ-साथ पेटीकोट को भी कैंसर का कारण बताया गया है। असली रोज़गार ही नहीं, वह कपड़ा जो टाइट होता है, कहीं न कहीं वेलनेस हेल्थ को रखा जा सकता है। लड़कियाँ अक्सर टाइट सस्पेंशन की पोशाकें पहनती हैं। इन ड्रेसेज़ में वैसे तो उनका लुक अच्छा लगता है लेकिन ये त्वचा, मस्से, पेट समेत शरीर पर कई तरह के नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वर्कआउट-पेटीकोट से त्वचा कैंसर!
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार बड़बड़ाना कैंसर का ज़िक्र सबसे पहली बार पाटिल एट अल नाम की रिपोर्ट में हुआ। भारत में हजारों साल से खेती की जा रही है लेकिन इसे पेट के कैंसर का मरीज़ बनाया जा सकता है। रिसर्च में ऐसी ही महिलाओं पर केस स्टडी हुई। एक 50 साल की महिला पिछले 34 साल से लगातार काम कर रही थी। उसके कमर में घाव हो गया। जब जांच हुई तो वह त्वचा कैंसर था। असली होने में ही एक जगह टाइट पेटीकोट और प्लांट वैल्यूएशन से किसान जमा लगता है, इसी तरह की उत्पत्ति होती है, त्वचा पर वृद्धि होती है। ऐसा लंबे समय तक हो सकता है तो यह त्वचा कैंसर में बदलाव हो सकता है।
उदाहरण भी ठीक नहीं
हर किसी को पसंद होता है। कैज़ुअल लुक के लिए यह सबसे अच्छा है लेकिन यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी डालता है। इसका वेस्ट भी टाइट होता है. जो लोग टाइट एब्सोल्यूट होते हैं, उनके पेट पर संरचनाएं होती हैं, जिससे उनकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। ऐसे लोगों को एसिडिटी ज्यादा होती है और खट्टी डकार आती हैं। कुछ अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि टाइट निर्माण क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे इन्फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
लड़कियों को तैसा इनरवियर से बचना चाहिए (छवि-कैनवा)
स्किन रैशेज़ हो सकते हैं
बॉडीकॉन ड्रैसेज, स्केच, स्कर्ट लगभग हर टाइट ड्रैसेज की ड्रैस स्कार्फ की दुश्मन है। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में डर्मेटस्टिशियन डॉ. कशिश कालरा कहते हैं कि इस तरह के कपड़ों में त्वचा की जलन होती है, जिससे त्वचा गहरे रंग की हो जाती है। लाल पैड निशान कर सकते हैं. दानें या रैशेज़ भी शामिल हैं। कई बार टाइट ड्रेसेज़ से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। कुछ लोग लूज मेकअप वाले होते हैं लेकिन उनके साथ टाइट बेल्ट लगाते हैं। टाइट बेल्ट भी पेट और त्वचा को बीमार बनाता है।
कोर्सेट से पीठ की समस्या
हर इवेंट में बॉलीवुड एक्ट्रेस कॉर्सेट पहनी हुई नजर आती हैं। सेलिब्रिटीज को देखकर लड़कियों के बीच भी कॉर्सेट का क्रेज बढ़ा है। यह स्कूल अपर बॉडी पर बहुत टाइट बांधा जाता है। इसका शरीर बेहद पतला दिखता है। पुराने जमाने में इंग्लैंड में कॉर्सेट प्लीमेंट कमर को आभूषण के रूप में पेश किया जाता था। लेकिन यह टॉप प्वाइंट की हड्डी को नुकसान पहुंचाता है। कॉर्सेट प्रिंसिपल्स से बॉडी का पॉश्चर ख़राब होना लगता है। अगर लंबे समय तक इसे पहना जाए तो पीठ में दर्द बना रहता है। मसाले भी डैमेज होते हैं.
विजुअल से ब्लड क्लॉटिंग
बीबीसी साइंस फोकस के अनुसार इम्पैक्ट को छुपाने के लिए बाजार में शार्प वियर की खूब बिक्री हो रही है। यह हद से ज्यादा टाइट होते हैं बाकी बचे ही फाटे छुप जाते हैं लेकिन यह नाले को डैमेज कर देते हैं। विजवेर्स से ब्लड सर्कोन प्रभावित होता है जिससे ब्लड के बिजनेस यानी ब्लड क्लॉट खराब हो जाते हैं। यह और भी खतरनाक हो जाता है जब कोई व्यक्ति दिल की बीमारी या कामगार का शिकार हो जाता है। ब्लड खराब होने से हाथ-पैरों में झनझनाहट बनी रहती है। चमड़े का रंग बदरंग लगता है और अर्थव्यवस्था में संकट उत्पन्न होता है।
कॉटन के कपड़े से बने लूज स्ट्रेंथ के कपड़े सबसे अच्छे होते हैं (इमेज-कैनवा)
जेनिटल स्वास्थ्य प्रभावित
जो लोग शेपवियर बिल्डर हैं, उन्हें जेनिटल एरिया में यीस्ट इंफेक्शन का खतरा रहता है। साइज वैर से प्राइवेट एरिया में हवा नहीं दिखती और कंसल्टेंसी सुपरमार्केट स्थित है, जहां यीस्ट स्टीथने स्थित है और इन संक्रमणों से जेनिटल पार्ट में खुजली, जलन होने की संभावना है। इसके अलावा उदाहरण बार-बार निकलना बेहद मुश्किल है। कई लोग इसे लागू करने के बाद डेट पर जाने से बचते हैं। यूरीन निषेध से यूरीनरी इंजेक्शन (UTI) का खतरा बना रहता है।
कैसे छोटा बच्चा
शरीर को कभी टाइट नहीं रखना चाहिए। हमारी कार पर हवाई जहाज़ लगाना ज़रूरी है इसलिए ब्रीथ रेलवे लिफ्ट। टाइट फिटिंग की जगह लूज कपड़े की समीक्षा होनी चाहिए। कॉटन, लिनन, मॉस्को और ऊन जैसे पोर्टफोलियो से बने पुस्तकालय में कभी भी स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचता। निरीक्षण और चिकित्सक से परहेज करना चाहिए। यह डॉक्यूमेंट्री नहीं होती. कॉटन हर सीज़न के लिए सबसे अच्छा होता है। इससे त्वचा पर रैशेज़ नहीं होता, त्वचा की वेबसाइट बनी रहती है और शरीर का तापमान भी ठीक बना रहता है।
पहले प्रकाशित : 14 नवंबर, 2024, 18:53 IST
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