सेहत – पूरी बनाम पराठा: पूड़ी या पराठा दोनों में से कौन है सेहत के लिए बेहतर? जानिए किसे खाने से क्या होगा फायदे-नुकसान

पराठा या पूड़ी कौन सा है स्वास्थ्यवर्धक: हर दिन आप दिन और रात के खाने में रोटी जरूर खाते हैं। घर-घर में रोजाना आटे की रोटी बनाई जाती है, लेकिन कई बार मूड कुछ उधार लेकर आता है तो लोग कभी-कभी पराठा या फिर पू रोटी भी बना लेते हैं। वैसे तो पू की ज्यादातर लोग पार्टी, फैंटेसी, त्योहारों पर ही धमाल मचाते हैं, क्योंकि इसे बनाने में तेल और समय दोनों ही ज्यादा लगते हैं। वहीं, पराठा वीकेंड या डिनर में लोग खाना खाते हैं। पराठा हो या पूड़ी, बेशक रोटी कहीं भी बेहतर स्वाद देती है। इनके साथ सब्जी, रायता, निर्माण कुछ भी टिकाऊ, बेहद स्वादिष्ट लगता है। हालाँकि, उदाहरण के लिए तेल-घी की आवश्यकता है। ऐसे में अगर पराठा या पूड़ी खाने की बात की जाए तो दोनों में से कौन है ज्यादा जरूरी, ये जानना भी जरूरी है.

पराठा बनाने की विधि
पराठा खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है. रोटी जहां दाल के बिना, सब्जी के साथ नहीं खाई जाती, घी-तेल में सेका हुआ पराठा आप चटनी, मसाला, चाय या फिर थोड़ी सी सब्जी से भी खा लेते हैं। गेहू के आटे से बनाये पराठा. परथे को आप सिंपल या फिर स्टफिंग बनाकर चकमा दे सकते हैं। त्रिकोणीय आकार में बेलकर इसे तवे पर सेका किया जाता है और फिर तेल या घी कर गोल्डन ब्राउन तक सेक लिया जाता है।

पूड़ी बनाने का तरीका
पूड़ी भी बर्तनों का ही एक टुकड़ा होता है। हालाँकि, कुछ लोग मैदे के आटे से भी पू की तलाश में हैं, लेकिन मैदा खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। यह बर्बादी भी करता है. वहीं, गेहू के आटे से बनी पू डिश जल्दी पचती भी हैं। पूड़ी बनाने के लिए आटे में अजवाइन, कलौंजी, आदि नमक के टुकड़े गुंथे जाते हैं. कच्ची पूड़ी बनाने के लिए प्याज, हरी मिर्च, अदरक, अजवायन, कलौंजी भी डाली जाती है। ये सभी पाचन के लिए सहायक हैं। बस, पूडी को डी.पी. फ्री किया जाता है। ऐसे में इसमें तेल का प्रयोग अधिक होता है, जो कहीं भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। ब्रेड-पैराथे के इलेक्ट्रॉनिक्स पूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूणूण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्. इसे पार्टी-फ़ंक्शन, व्रत-त्योहार या फिर महीने में तीन-चार बार खाना ही ठीक है।

पूड़ी या पराठा दोनों में कौन है मसाले
जब आप पराठा पकाते हैं तो उसमें तेल कम आता है, लेकिन पूड़ियाँ जब आप पकाते हैं तो उसमें तेल कम होता है। कई बार कुछ लोग बचे हुए तेल में हीफ्रेम से पू तलने लगे हैं। बार-बार हाई फ्लेम पर बर्न तेल में खाना बनाने से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। पूड़ी को लोग बार-बार तेज़ आंच पर तलते हैं, इससे तेल से धुआँ नाइकी होता है, जिससे कार्सिनोजन बनते हैं। इस तेल में मौजूद पौषक तत्वों को नष्ट कर दिया जाता है। वहीं, जब आप कम आंच पराठा सेक कर तोड़ते हैं तो पोषक तत्व में मौजूद पोषक तत्व भी समाप्त नहीं होते हैं और पूड़ी की तुलना में अधिक पौस्टकी और ज्वालामुखी होते हैं।

पूड़ी बनाने के लिए आप कई बार बचे हुए तेल या घी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन पराठा सेकते समय में आप तेल या घी का इस्तेमाल करते हैं। एक ही यूज़ेड ऑयल कंपनी यूज़ करने से शरीर में मोटापा बढ़ सकता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल हो सकता है, जो दिल को नुकसान पहुंचा सकता है।

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