सेहत – एमपॉक्स की वैक्सीन के बावजूद सभी लोगों को क्यों नहीं मिल रही? डॉक्टर से जानें इंटरव्यू वाली बात

एमपोक्स वैक्सीन समाचार: अफ्रीकी देश कॉन्गो समेत कई देशों में एमपॉक्स का खजाना देखने को मिल रहा है। हजारों की संख्या में लोग इस वायरस का शिकार हो रहे हैं। पिछले दिनों वर्ल्ड हेल्थ हेल्थकेयर हेल्थकेयर (WHO) ने एम्पॉक्स को पब्लिक हेल्थ हेल्थकेयर घोषित कर दिया था। अफ्रीका के अलावा एमपॉक्स के मामले पाकिस्तान, स्वीडन सहित कई देशों में मिल चुके हैं, जो दुकानदार हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह तो एमपॉक्स की वैक्सीन उपलब्ध हैं। अब सवाल है कि जब एमपॉक्स की वैक्सीन अवेलेबल है तो यह सभी लोगों को क्यों नहीं मिल रही है? अंशकालिक से जान लें हैं.

ग्रेटर के फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के डॉ. कुमार गुप्ता ने News18 को बताया राजेश को कि एम्पॉक्स एक वायरल डिजीज है, जो बंदरों से इंसानों में फेल होता है। इस बीमारी का संक्रमण लोगों को बुखार के साथ शरीर पर फोले पड़ जाते हैं। इसकी वजह से गर्दन में घाव हो जाते हैं। यह संक्रमण आम तौर पर 2 से 4 सप्ताह में आपके लिए ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामले गंभीर भी हो सकते हैं। यह स्वयं को सीमित करने वाला डिजीज है। इस संक्रमण की कोई दवा नहीं है और इंजेक्शन के आधार पर इसका इलाज किया जाता है।

डॉक्टर कुमार ने बताया कि अभी तक भारत में एमपॉक्स की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। ऑर्बिटर में स्मॉलपॉक्स की कुछ वैक्सीन को मोदीफाई करके एमपॉक्स की वैक्सीन तैयार की जा चुकी है। अगले एक साल में देश में एमपॉक्स की वैक्सीन आने की उम्मीद है। ऑब्जर्वेशन एमपॉक्स को लेकर बहुत ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन लोगों को इससे बचने के लिए जरूरी सामान मिलना चाहिए। जिन देशों में एमपॉक्स की वैक्सीन उपलब्ध है, वहां भी जिन लोगों ने वैक्सीन लगाई है, उनमें केवल उन लोगों को शामिल किया गया है, जिनमें यह संक्रमण सबसे ज्यादा खतरनाक है या जो एमपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं।

अब सवाल है कि सभी को एमपॉक्स की वैक्सीन क्यों नहीं मिल रही है? इस पर डॉक्टर का कहना है कि एमपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है और मैनकीपॉक्स का मामला 1970 में अफ्रीकी देश कांगो में रिपोर्ट किया गया था। हालाँकि कई दशकों तक यह संक्रमण केवल अफ्रीकी देशों तक ही सीमित रहा। हालाँकि अब इसके खतरनाक प्रकार स्वीडन और पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में भी पाए जाते हैं। हालाँकि एमपॉक्स कोविड की तरह नहीं है और इसके कारण मास सप्लीमेंट की आवश्यकता नहीं है। जिन देशों में इसका सबसे ज्यादा प्रकोप है, वहां गरीबों की सबसे ज्यादा जरूरत है।

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