Political – J&K चुनाव; पहला चरणः 370, प्रॉक्सी, जेल, डर…मुद्दे जो हावी रहे- #INA
महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, इंजीनियर राशिद, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी
जम्मू कश्मीर में पहले चरण का चुनाव प्रचार आज थम गया. 7 जिलों की 24 सीट पर 18 सिंतबर, बुधवार को वोट डाले जाएंगे. 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए बीजेपी, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन, इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी और प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है. हालांकि, इनके अलावा सज्जाद गनी लोन की पीपल्स कांफ्रेंस, अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी और गुलाम नबी आजाद की पार्टी भी कुछ सीटों पर अहम है.
एक से ज्यादा चरण में होने वाले चुनावों में पहला चरण हमेशा ही चुनाव का एजेंडा सेट करने वाला होता है. राजनीतिक दल अपनी घोषणापत्र और उनके स्टार कैंपेनर अपने बयानों से चुनाव को एक दिशा देने की कोशिश करते हैं. इस दफा भी यही हुआ. भले पहले चरण में कश्मीर की 16 और जम्मू की महज 8 सीटों पर वोटिंग होनी थी. मगर इस दौरान राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी का पूरा जोर जम्मू ही पर दिखा. वहीं, कांग्रेस ने जम्मू के अलावा कश्मीर में भी मिला-जुला प्रचार किया.
किसने चुनाव प्रचार में कहां जोर लगाया?
अमित शाह ने जहां 6 सितंबर को पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के बाद जम्मू में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया. शाह चुनाव प्रचार के आखिर दिन धुआंधार 3 रैली (पड्डार नागसेनी, किश्तवाड़ और रामबन) जम्मू ही में करते दिखे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जम्मू डिवीजन के अंतर्गत आने वाले डोडा में एक सभा में शिरकत की लेकिन वह वोट मांगने कश्मीर नहीं गए. कश्मीर में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार का जिम्मा कुछ हद तक राम माधव संभालते दिखे.
कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने जम्मू के रामबन में और दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग में रैली की. मल्लिकार्जुन खरगे ने श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस को और अनंतनाग में एक जनसभा को संबोधित किया. पीडीपी की तरफ से महबूबा मुफ्ती और उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती तो नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से फारूक अबदुल्ला और उनके बेटे मोर्चा संभाले दिखे. चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब यूएपीए मामले में तिहाड़ में बंद बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद को जमानत मिली और वह चुनाव प्रचार में कूद गए.
मुद्दे जो छाए रहेः 370, राज्य, प्रॉक्सी, नौकरी, यूएपीए
1. 370, 35ए, राज्य का दर्जाः चूंकि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद ये पहला चुनाव हो रहा है. इस चुनाव के केंद्र में भी धारा 370, 35 ए और राज्य का दर्जा बहाल करने का सवाल है. नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और जम्मू कश्मीर की दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां देर-सबेर ही सही मगर 370 की वापसी को लेकर अपनी बात रखती नजर आईं. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इसको हटाए जाने को अपनी उपलब्धि की तरह पेश किया औऱ प्रदेश में शांति, पर्यटन में बढ़ोतरी, गुर्जर-पहाड़ी समुदाय को मिले आरक्षण को इससे जोड़ा.उधर कांग्रेस राज्य का दर्जा वापस करने को लेकर तो मुखर दिखी मगर 370 पर पार्टी की एक रणनीतिक चुप्पी नजर आई. बीजेपी ने राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर विपक्षी पार्टियों के आश्वासन को फरेब बताया और कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही देगी.
2. BJP, दिल्ली का प्रॉक्सी कौनः पहले चरण के दौरान जम्मू में ज्यादातर राजनीतिक दल एक दूसरे को दिल्ली या फिर भारतीय जनता पार्टी के प्रॉक्सी बताते नजर आए. इस मौजू पर बहस तब तल्ख हो गई जब इंजीनियर राशिद को चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिल गया. और प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी ने भी चुनाव में हिस्सा लेने का ऐलान करते हुए अपने कुछ उम्मीदवार खड़े कर दिए. पीडीपी ने सीधे तौर पर चुनाव लड़ रहे जमात के लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल ये कहते हुए उठा दिया कि -असली जमात जेल में है. नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी ने इंजीनियर राशिद की जमानत को बीजेपी के साथ सांठगांठ बताया ताकि घाटी में एनसी और पीडीपी को कमजोर किया जा सके. इधर इंजीनियर राशिद ने पीडीपी-बीजेपी गठबंधन और वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे उमर अब्दुल्ला की भाजपा के साथ नजदीकियों की बात कह उनकी साख पर चोट करने की कोशिश की.
3. स्वायत्ता और जेल फ्री कश्मीरःजम्मू कश्मीर में शायद ये पहला विधानसभा चुनाव है जब किसी भी संगठन ने चुनाव के बहिष्कार की बात नहीं की है. अलगाववादी नेता (जेल के बाहर, अंदर या प्रतिबंधित) इस चुनाव में किसी भी तरह हिस्सा लेते हुए दिखलाई दे रहे हैं. हालांकि, चुनाव लड़ रहे लोगों की साख पर उन्हीं के संगठन के लोग कुछ सवाल भी उठा रहे हैं.जम्मू कश्मीर चुनाव में जिस एक एक्स फैक्टर की चर्चा है यानी इंजीनियर राशिद, वह बार-बार कश्मीर समस्या के हला की मांग कर रहे हैं. और स्वायत्ता या फिर रायशुमारी की बात अप्रत्यक्ष तौर पर कह रहे हैं. इसके अलावा पहले चरण के चुनाव प्रचार में जेल फ्री कश्मीर का वादा भी जोर पकड़ता दिखा. पार्टियां पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए), यूएपीए और अफ्सपा को खत्म करने की मांग कर रही हैं.
4. बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और डरःजम्मू कश्मीर से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स में बेरोजगारी का सवाल प्रमुख तौर पर नजर आया. भारतीय जनता पार्टी बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के लिए मुफ्ती (पीडीपी), गांधी (कांग्रेस) और अब्दुल्ला (नेशनल कांफ्रेंस) परिवार को कोसती दिखी. तो इन पार्टियों ने केंद्र के पिछले 5 बरस के शासन को इसके लिए कसूरवार ठहराया. सभी पार्टियां रोजगार के नए अवसर सृजन करने का वादा करती तो दिखीं लेकिन रोजगार आएगा कहां से ये बताने से बचती दिखलाई दीं. एक चीज जो बेरोजगारी. भ्रष्टाचार के अलावा इस चुनाव में हावी है, वो है लोगों में डर का माहौल. कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने शांति और सन्नाटे में फर्क करने की बात की. कश्मीर की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों ने भी लोगों की चुप्पी और उन पर दर्ज होने वाले मामलों के सवाल के जरिये उठाया.
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