विलेज इनोवेशन यूथ समिट 2024 में बढ़- चढ़कर युवा बन रहे भागीदार…ग्रामीण छात्रों के विचार को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय युवाओं द्वारा विलेज इनोवेशन यूथ समिट की आगाज
क्षेत्र में पहली बार ग्रामीण युवाओं को अपनी विचार साझा करने के लिए मिल रहा है मंच...कुपोषण के कारण गाँव के बच्चों का रुक जाता है मानसिक विकास...शिक्षकों पर दबाव के कारण योग्य बच्चों की प्रतिभा को निखारने में करना पड़ता है संधर्ष
विलेज इनोवेशन यूथ सबमिट 2024 गाँव की उन्नति/विकास के लिए छात्रों/युवाओं के द्वारा लिखित/ वीडियो के माध्यम से विचार को निरंतर साझा किया जा रहा है। युवाओं के विचार में मुख्यतः विद्यालय में पढ़ाई का स्तर व इसको बेहतर बनाने के सुझाव, पुस्तकालयों की कमी, पुस्तकों का अभाव, शिक्षकों की भूमिका, शिक्षण के तरीके, शैक्षणिक संसाधन की उपलब्धता व उपयोग, परंपराएँ, सामाजिक गतिविधियाँ, सामाजिक कुरीतियाँ, शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाइयाँ व सुझाव, ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य का स्तर, व्यक्तिगत विचार, प्रौद्योगिकी का उपयोग, आपके भविष्य के लिए योजनाएँ, ग्रामीण व शहरी शिक्षा के प्रति आपका दृष्टिकोण, आपके प्रेरणास्रोत, आकांक्षाएँ व उसको पूरी करने के लिए विकल्प सहित, भविष्य में कार्यक्रम के लिए सुझाव लिए जा रहे हैं।
विलेज इनोवेशन यूथ सबमिट कार्यक्रम को सकरा/मुरौल के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में आयोजित किया जा रहा है। छात्र नेता रौशन कुमार, शोधार्थी रुपेश कुमार यादव व टेक्निकल शिक्षक गणेश कुमार वीक्षक की भूमिका में लगातार कार्य कर रहे हैं। शोधार्थी रुपेश कुमार यादव ने बताया कि विलेज इनोवेशन यूथ समिट के माध्यम से युवाओं की प्रतिभा को भविष्य में वैश्विक मंच पर लाने में सहयोग मिलेगी। गाँव के विकास में युवाओं के विचार महत्वपूर्ण है, वे क्या सोचते हैं, क्या कर सकते हैं, क्या- क्या बाधाएं आती है उनके शैक्षणिक, मानसिक, ग्रामीण विकास में। ये जानकर ही उसके लिए आवश्यक कदम उठाये जा सकते हैं।
छात्रों के द्वारा बताया गया कि इस तरह कि कार्यक्रम पहली बार हो रहा है। इससे हमें भविष्य में बेहिचक किसी भी तरह के कार्यक्रम में शामिल होने में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। आज भी गाँव के बच्चें को समय पर गुणवत्ता युक्त खाना नहीं मिल पाता है जिसके कारण बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है। बेहतर शिक्षा नहीं मिलने के कारण वे बेहतर रोजगार/ नौकरी नहीं प्राप्त कर पाते हैं जिसके कारण उनका पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की बोझ से दबते चले जाते हैं।
वहीं कोचिंग संस्थान के शिक्षकों के द्वारा बताया गया कि इस तरह के कार्यक्रम में बच्चों को शामिल होने से उनमें गुणवत्ता आती है और वे शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा भी बेहतर करने का प्रयास करेंगे।