12 नवम्बर को बालू खनन परमिट रद्द करने की मांग पर होगा धरना- माले

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।

 बेतिया। बिहार सरकार के गलत नीतियों के कारण खनन विभाग ने वन एवं पर्यावरण परिवर्तन विभाग के नियमों को ताक पर रखकर मनमानी तरिके से काम कर रहीं हैं. पिछले दिनों मैनाटाड और गौनहां अंचल के दर्जनों गाँवों में बालू खनन का परमिट दे दिया गया, नतीजा दर्जनों लोगो के खेती और घर काल के गाल में समा गया था,

मैनाटाड अंचल के बरवा पंचायत के शेरवा ग्राम में बिरहा/ पैरेडा नदी में मनमानी बालू खनन के कारण ही 2020 में आयी बाढ़ ने 21 घर और 25 एकड़ खेती की जमीन नदी के धारा में विलीन हो गया था। भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि नितीश सरकार पिछली गलतियों से सबक सिखाने की बजाय फिर इस साल मैनाटाड- गौनहां अंचल के दर्जनों गाँवों में बालू खनन का परमिट दे दिया है, उन्होंने कहा कि जहां बालू खनन का परमिट देना चाहिए वहां नितीश सरकार नहीं दे रही है, जहां नहीं देना चाहिए वहां खनन का परमिट दिया जा रहा है, इस नितीश सरकार को लोगों के जानमाल और घर – खेती जो खनन के कारण नदी में विलय हो जा रहा है इससे कोई मतलब नहीं है, आगे उन्होंने नितीश सरकार से गाँवों और खेती को उजाड़ने वाले बालू खनन का परमिट रद्द करने की मांग किया। बालू खनन परमिट रद्द करने की मांग पर 12 नवम्बर 2024 को पश्चिम चम्पारण जिलाधिकारी के समक्ष धरना प्रदर्शन के माध्यम से मांग किया जाऐगा, अगर सरकार परमिट रद्द नहीं करतीं हैं तो सड़क से सदन तक में आंदोलन व संघर्ष तेज होगा.

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