सेहत – हाथी की तरह फूल जाते हैं हाथ-पांव, इस बीमारी का यूपी-बिहार में आतंक, अब सरकार ने की भागने की तैयारी
हाथी की तरह पैर-हाथ को फुला देने वाली हाथी बीमारी ने यूपी और बिहार में फैलाया आतंक. मॅचेड्रॉन के कटर से होने वाली इस संक्रामक बीमारी को कोएलैटिक फाइलेरियासिस या एलिफेंटियासिस भी कहा जाता है। इस बीमारी में शरीर के कुछ पहलुओं में सूजन आ जाती है और त्वचा में हाथी की तरह मोटापा और खतरा हो सकता है। आदिवासियों के अलावा ये हाथ, स्तन और छूटें भी हो सकती हैं। शरीर के ये हिस्से भारी और दांतेदार दिखते हैं। साथ ही, सूजन वाले हिस्सों में दर्द भी हो सकता है। हालांकि अब इस बीमारी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने बजट में पोर्टफोलियो कर दी है।
हाथी रोग के जोखिम के लिए वर्ष वित्त 2024-2025 के लिए भारत के बजट में 12.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024-2025 के लिए बजट राशि 90,958.63 करोड़ रुपये है। बजट में यह मच्छरदानी को बेहतर बनाने के लिए देश के बजट को दर्शाता है। इस बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को अतिरिक्त 4,000 करोड़ रुपये मिले हैं, जिससे इसका कुल बजट 36,000 करोड़ रुपये हो गया है। इस मिशन का उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवा आश्रमों को मजबूत करने के साथ ही हाथी दांत जैसे सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए भी तेजी से प्रयास करना है।
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नेशनल बोर्न डिजीज कंट्रोलर के पूर्व निदेशक डॉ. नीरज ढींगरा ने कहा, ‘हाथी बीमारी के बोझ को कम करने के लिए सरकार की बजट इस बात से साफ है कि उन्होंने इस बार के बजट में राशि शेयर की है। ‘हाथी ऑर्केस्ट्रा’ कार्यक्रम में पिछले 4 वर्षों के बजट में उल्लेखनीय 300 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह बढ़ाने के साधन का संकेत है।’
डॉ. ढींगरा ने बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य, जहां इस बीमारी का बोझ सबसे ज्यादा है, वहां काफी बदलाव है। उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2019-20 से बजट तिमाही और सेक्टरों में काफी वृद्धि हुई है। शानदार हुई फंडिंग के कारण बजटीय उपयोग में सुधार हुआ है। फंडिंग में यह बढ़ोतरी 2017-18 और 2018-19 के बीच 60% से बढ़कर 73% हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘इन लक्ष्यों को अनुसंधान और प्रयोगशाला में स्थिर निवेश के लिए प्राप्त करना, विशेष रूप से बायोलॉजिकल वैज्ञानिकों और उच्च स्तरीय अनुसंधानकर्ताओं को पहचानना बहुत जरूरी है।’
पिरामल फाउंडेशन के कम्युनिकल डिजीज के टीम लीडर विकास सिन्हा ने भविष्य की दिशा पर जोर देते हुए कहा, “वैश्विक लक्ष्य से पहले हाथी दांत को खत्म करने का भारत का संकल्प यह डरबल करने वाली बीमारी को संकल्प देता है।” सरकार द्वि-वार्षिक मास फैक्ट्री एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के माध्यम से मुफ्त दवा उपलब्ध कराती है, मुफ्त सिलिकॉनसील सर्जरी करती है, और बड़े पैमाने पर लोड वाले राज्य में अनुदान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है। बिहार में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की संख्या 2021 में शून्य से बढ़कर 2023 में 3,721 हो गई। इस चित्र में सस्टेनबल फाइनेंसिंग (स्थायी शेयर) का महत्व शामिल है।
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पहले प्रकाशित : 28 अगस्त, 2024, 17:42 IST
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