सेहत – सर्दी-खांसी और सर्दी में असरदार कड़कनाथ मुर्गे की सर्दियों में मांग बढ़ जाती है

पश्चिमी चंपारण. सर्दियाओं का मौसम शुरू ही होता है, सितारों में कड़कनाथ मुर्गे की धूम मच जाती है। इस नस्ल के मुर्गे काले रंग के होते हैं, किसी के शरीर का लगभग हर भाग काला होता है। माधोपुर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में पशु वैज्ञानिक डॉ. जगपाल बताते हैं कि कड़कनाथ कुक्कुट के अन्य उत्पादों में से अधिकांश स्वादिष्ट, नामांकित, स्वास्थ्यवर्धक और कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं। सबसे बुरी बात यह है कि इस उछाल में 25 प्रतिशत प्रोटीन और मात्र 1.03 प्रतिशत प्रतिशत पाया गया है। मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए भी इसका सेवन अत्यंत चमत्कारी बताया गया है।

पोषक तत्वों से भरपूर, शरीर गर्म होता है

रेट्रो की माने तो, राक्षस होने के साथ ही कड़कनाथ मुर्गे का मांस बेहद गर्म होता है। असली में शरीर को गर्म रखने के लिए इसका सेवन खूब किया जाता है। फैट की मात्रा 0.73 से 1.03 प्रतिशत होती है, इसलिए इसके सेवन से शरीर में हल्की जैसी समस्या का खतरा भी नहीं रहता है। प्रोटीन युक्त अन्य पोषक तत्वों की अधिकता से अनुयायियों द्वारा इसके सेवन की सलाह दी जाती है। समुद्र में इसका सेवन आपके शरीर में गर्मी को बनाए रखता है, जिसके कारण खांसी जुखाम जैसी बनी रहती है।

इंडोनेशियाई, बौद्ध और भारतीय मूल के कड़कनाथ

कड़कनाथ के कालेपन का सबसे बड़ा कारण मेला है। इस ब्रीड के कुक्कुटों में मेलानिन की संख्या पाई जाती है। इनके कारण इनमें से मांस से लेकर खून, हड्डियां, त्वचा, पैर, जीभ और चोंच तक काले होते हैं। भारतीय मूल के कड़कनाथ में इंडोनेशिया, इंडोनेशिया और भारतीय मूल के कड़कनाथ शामिल हैं। काले रंग की दुनिया से जनजातीय समुदाय के लोग कालामासी के नाम से भी बुलाते हैं।

ब्रॉयलर से पांच गुना अधिक कीमत

हॉट तासीर और पोषक तत्वों की अधिकता की वजह से उपयोगी कीमत ब्रॉयलर मुर्गों से पांच गुणा तक अधिक होती है। अन्य कुक्कुटों की तुलना में कड़कनाथ का फॉर्म किसानों के लिए बेहद जादुई हो सकता है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में अब किसान अपने व्यवसाय को अपना रहे हैं। बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में भी मुख्य रूप से कड़कनाथ का कुक फॉर्म शुरू हो रहा है।


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