सेहत – दिल्ली- इन इलाक़ों में मजदूरों ने खरीदा! यहां जानें डॉक्टरों की भारी भीड़, जानें वजह

दिल्ली-एनसीआर में वायरल रोग में वृद्धि: बैल के सीज़न में बैलस्ट का ख़ज़ाना बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों से अल्पसंख्यकों और मच्छरों से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। दिल्ली- मुसलमानों के सहयोगियों में मुसलमानों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। डॉक्टर्स की स्टडीज से लेकर प्रोफेशनल्स तक में आजकल बच्चे और मरीज़ों की संख्या बढ़ गई है। बुखार में सबसे ज्यादा प्रचलित बुखार, बैक्टीरिया, मलेरिया, चिकनगुनिया के अलावा टाइ पीपर, पीलिया, चतुर्थ ए, तीखा ई और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के रोगी आ रहे हैं।

हेल्थ डायबिटीज़ की छूट तो ये बैक्टीरिया जुलाई से ही लैब में लगी थी, लेकिन अगस्त में इसका ख़ज़ाना तेजी से बढ़ गया है। सितंबर तक होने वाले सर्वे में ये बीमारी लोगों पर भारी पड़ सकती है। गुड़गांव के नारायण अस्पताल में पशु चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पंकज वर्मा ने News18 को बताया कि “हमारे दांतों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस, त्वचा संक्रमण और वायरल बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ गई है।”

डॉक्टर की सलाह तो उनके पास इन स्थिर के सप्ताह में करीब 50 से 70 मरीज आ रहे हैं। इनमें से प्रतिभागियों को वायरल इंफेक्शन का शिकार होना पड़ता है, जिसके बाद गैस्ट्रोएंटेराइटिस होता है। इसमें उल्टी और दस्त की समस्या होती है। प्लैटिनम के कारण फंगल इन्फेक्शन और डर्मेटाइटिस जैसे फंगल इन्फेक्शन भी कॉमन हो गए हैं। इस सीज़न में हम डिज़ाइन और टाइटैमर के कई मामले आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वायरल बुखार से लोगों में तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द और थकान जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं।

फ़्राई के अमृता हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी स्कॉलर डॉ. मनिंदर धालीवाल के अनुसार इस सीज़न में वायरल अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और वायरल डायरिया कॉमन है। बच्चों में नामांकन के मामले अभी शुरू हो गए हैं। टाइ आमेर की हर दवा में एक जैसा होता है और एक और एक मशालेदार ई के मामले भी असामान्य नहीं हैं। गठिया ए और ई आम तौर पर सीमेंट खाने या पानी से होते हैं और इससे लिवर में सूजन आ जाती है।

होली हॉस्पिटल फ़ैमिली के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुमित रे ने कहा हर साल अगस्त और सितंबर में वायरल संक्रमण, रेखांकन और अन्य वायरल इंफेक्शन की वजह से बंदरों और दूरसंचार कंपनियों की संख्या में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। इस मौसम में एच1एन1 या स्वाइन फ्लू का प्रकोप थोड़ा बढ़ गया है। जीका, मलेरियल और चिकनगुनिया भी लोगों को दावत दे रहे हैं।

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जतिन आहूजा ने बताया कि उसने सुझाव दिया कि ‘कोरोनावायरस फ़ैमिली स्ट्रेन’ का निदान करने के लिए एक सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि विकास और चिकनगुनिया के लक्षण कभी-कभी ऐसे होते हैं, जैसे कि चकत्ते पड़ना। कुछ मामलों में जीका के लक्षण चिकनगुनिया से भी मिलते-जुलते हैं, जिनमें जोड़ों में दर्द और बुखार शामिल है।

हालाँकि टाइ पैमर के मामले में बुखार का प्रभाव शुरू हो गया है और एक या दो दिन तक 99 डिग्री के आसपास रहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों पर नजर रखने वाले लक्षणों की जल्द से जल्द जांच शुरू की जानी चाहिए। जितनी जल्दी हो सके जांच कर ली जाए, तो जितनी जल्दी हो सके आधारभूत संरचना मिल सकती है।

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