सेहत – सूर्य नमस्कार के समय आप भी नहीं कर रहे हैं ये गलतियां, टेढ़ी हो सकती हैं हड्डियां, जानिए सही तरीका

रिपोर्ट- रोहित भट्ट

अल्मोडा: वैसे तो बैसाखी में व्यायाम के कई मशहूर और असरदार तरीके बताए गए हैं लेकिन, सूर्य नमस्कार को एक कंप्लीट पैकेज की तरह देखा जाता है। भारत ही नहीं विश्व भर के योग प्रेमियों की विश्वनीयता इस पर निर्भर है। यह सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य नमस्कार के बारे में कुछ खास सावधानियां बरतने से कोई गंभीर समस्या हो सकती है? खास बात यह है कि यह हमें काफी समय बाद पता चलता है। ऐसे में योगाभ्यास डॉ. अरुणा शर्मा ने सूर्य नमस्कार करते हुए समय डेमोक्रेट जाने वाली सावधानियां और सही प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

सूर्य नमस्कार का महत्व और लाभ क्या है?
सूर्य नमस्कार, जिसमें 12 आसनों का संयोग होता है। यह संपूर्ण शरीर का निर्माण करता है। यह न केवल खनिज पदार्थों को मजबूत बनाता है, बल्कि शरीर के विकास, शरीर की मजबूती और मानसिक शांति को भी बढ़ावा देता है। समय पर आसन की सही मुद्रा का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यदि आपकी मुद्रा सही नहीं है, तो इससे हड्डियों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है, जिससे हड्डियां टेढ़ी हो सकती हैं। ऐसे में आसन करने से पहले योग प्रशिक्षक से सलाह लें और अभ्यास करें। शुरुआत में धीरे-धीरे आसन करने की कोशिश करें।

सबसे पहले वार्म अप करना चाहिए. बिना किसी वार्म-अप के सीधे सूर्य नमस्कार करने से मिश्रण और जोड़ों पर दबाव बढ़ सकता है जिससे चोट लगने की संभावना बनी रहती है। सूर्य नमस्कार से पहले लाइट वार्म-अप लक्ष्य बनाएं, जिससे शरीर में रक्त संचार हो और मांस पेशियां हो जाएं।

सूर्य नमस्कार समय सांसों का सही मिश्रण न मिश्रण और नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में प्रत्येक आसन के सही तरीके से सांस लें और छोड़ें। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और खंडों को प्रदर्शित करता है।

खाली पेट
योगाभ्यास सूर्य नमस्कार समय पेट भरना भी गलत है। इससे पेट पर दबाव पड़ सकता है और आसन ठीक से करने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में सूर्य नमस्कार को हमेशा खाली पेट रखना चाहिए। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और शरीर को सही पोषण मिलता है।

क्या है उत्तम प्रक्रिया
प्रत्येक आसन को स्वीकार और सही मुद्रा में करें। सूर्य नमस्कार में 12 आसनों का संयोजन होता है जिनमें प्राणायाम, उर्ध्व हस्तासन, अंजलि मुद्रा आदि शामिल हैं। इन आसनों को सही तरीके से समझें। सूर्य नमस्कार की गति न ज्यादा तेज हो और न ही बहुत धीमी। इसे आरामदायक गति से बनाएं ताकि मांसपेशियां और हड्डियां सही तरीके से काम कर सकें।

विशेष ध्यान: जिन लोगों को पहले से ही जोड़ों से संबंधित कोई समस्या है, उन्हें सूर्य नमस्कार समय पर विशेष ध्यान देना चाहिए और योग प्रशिक्षकों की सलाह लेनी चाहिए।


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