सेहत – अगर शुगर का पारा चढ़ गया है ऊपर तो दिमाग भी बूढ़ा होता है पहले, लेकिन कर बड़ा ये काम तो जवानी में बुढ़ापे का सहना नहीं होगा दंश

मधुमेह मस्तिष्क की उम्र बढ़ना: जिन लोगों का ब्लड शुगर का पारा चढ़ा रहता है उन लोगों में ब्रेन एजिंग यानी समय से पहले दिमाग के बूढ़े होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। युवाओं में तेजी से बढ़ती हुई बीमारी होने लगी है। ऐसे में अगर जीवन में कुछ पौराणिक कथाओं को अपना लिया जाए तो व्यग्रता के कारण होने वाले दिमाग के इस बुढापे के खतरे को कम किया जा सकता है। ये बात एक रिसर्च में सामने आई है. शोध के अनुसार अगर कार्यकर्ताओं के मरीज अपनी लाइफस्टाइल में कुछ सुधार कर सकते हैं तो इस तनाव की परेशानी से बच सकते हैं।

औसतन चार साल का बूढ़ा हो जाता है मस्तिष्क
स्वीडन में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट का एक अध्ययन इसमें पाया गया है कि यदि मरीजों के मरीज शराब को कम कर देते हैं या पिएं ही नहीं और मानसिक रूप से बीमार हैं और सिर पर हाथ नहीं रखते हैं तो उनके दिमाग में समय से पहले खराबी नहीं होगी। इस अध्ययन में 31 हजार किसानों के ब्रेन एम पाठकों का विश्लेषण किया गया। इस एमरा के अनुसार जो व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित था या मधुमेह से पहले ही क्यों नहीं था, उसका मस्तिष्क वास्तविक समय से औसत 2.3 वर्ष अधिकतम बूढ़ा हो गया था। यहां अधिक उम्र का मतलब यह है कि उस उम्र में दिमाग की हड्डी को आधा तंदुरुस्त होना चाहिए था, लेकिन औसत उम्र 2.3 साल की नहीं थी। असल में, एक निश्चित उम्र के बाद हर किसी में दिमाग की तंतुओं का ढाँचा दिखता है, मस्तिष्क की छोटी-मोटी क्षमता नहीं होती, जवानी में जवानी होती है। इसे एज रिलेटेड एक्सचेंज कहा जाता है। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने दांतों को सही तरीके से नहीं संभाला, उनका दिमाग वास्तविक उम्र से चार साल तक बड़ा हो गया था।

भूलने की बीमारी का भी खतरा
इसके बाद के दस्तावेज़ में देखा गया कि लोगों का मस्तिष्क उनकी वास्तविक आयु के बराबर था। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने अध्ययन करते हुए कहा कि उन लोगों का मस्तिष्क बिल्कुल फिट था बल्कि बहुत अधिक सक्रिय था। प्रमुख शोधकर्ता अबीगेल डोव ने बताया कि अगर क्रोन ब्रांड की उम्र के हिसाब से किसी का दिमाग ज्यादा बूढ़ा दिखता है तो इससे भूलने की बीमारी डायनेशिया का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। यानी जो लोग डायबिटिक हैं अगर उनकी लाइफस्टाइल स्टाइल नहीं होती तो उन्हें भूलने की बीमारी का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है। ऐसे में पशुपालन को नियमित करना चाहिए। प्रतिदिन हरी पत्ती वाले पत्तेदार और पत्तों का सेवन करना चाहिए। बाहरी उपकरणों पर छोटे नियंत्रण होना चाहिए।

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