सेहत – इन 4 कॉमन इंफेक्शन से हर हाल में बच के रहें, शरीर में कैंसर की बीमारी का हो सकता है खतरा, समय पर टीका लगवाना मजेदार
कैंसर का कारण संक्रमण: शरीर में जब प्रतिरक्षा कम होती है तब संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इंफेक्शन दवा से ठीक तो होता है लेकिन इसके बाद कभी-कभी घातक असर होता है। हम सब जानते हैं कि पेट का सबसे बड़ा प्रभाव अंतर होता है। लेकिन जब ज्यादा दिन तक रह जाए तो इससे पेट का कैंसर हो सकता है। इसी तरह महिलाओं में सरवाइकल कैंसर, जेनिटल कैंसर या ओरल कैंसर में वायरल संक्रमण के कारण होते हैं। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक करीब 13 प्रतिशत कैंसर संक्रमण से जुड़े होते हैं। इसलिए अगर समय रहते इस संक्रमण पर नियंत्रण कर लिया जाए तो कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है।
इन कैंसर के लिए प्रभावकारी जिम्मेदारी
ह्यूमन पेपिलोमावायरस
इसे एचपीवी वायरस कहा जाता है। करीब 200 तक के एचपीवी वायरस होते हैं. इनमें से कई हमारे शरीर में पहले से मौजूद रहते हैं। ज्यादातर वायरस नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन कुछ वायरस जान लेने पर तुले होते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एचपीवी वायरस हमारे लिए खतरनाक है जिससे सर्वाइकल कैंसर, जेनाइटल कैंसर और मुंह का कैंसर होता है। ऐसा नहीं होगा और इससे कैंसर भी नहीं होगा। एचपीवी की वैक्सीन अगर कम उम्र में लग जाए तो इसका खतरा लगभग नगण्य हो जाता है। वहीं सुरक्षित यौन संबंध से भी बचने का बेहतर तरीका है। सरकार ने 9 से 13 साल की अवधि के लिए एचपीवी कमेंट्स की मुफ्त आपूर्ति की योजना बनाई है।
हेपेटाइटिस बी और सी
टेक्सास में एंडरसन कैंसर सेंटर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मेडिकल ओनकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सुनयोंग ली का कहना है कि हेपेटाइटिस लिवर की बीमारी है। हेपेटाइटिस बीमारी के बाद सूजन हो जाती है और सूजन जब लंबे समय तक रहती है तो इससे लीवर में घाव बन जाता है। यही घाव लीवर सिरोसिस में बदल जाता है और लीवर सिरोसिस लीवर कैंसर का बहुत बड़ा कारण हो सकता है। कुछ मामलों में हेपेटाइटिस बी स्ट्रेट कैंसर कोशिका में बदलाव होता है। हेपेटाइटिस बी और सी दोनों ब्लड, सीमेन और बॉडी फ्लूड के माध्यम से एक से दूसरे में हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को दी गई सुई से दूसरे व्यक्ति को इंजेक्शन दिया जाए तो इससे भी हेपेटाइटिस सी हो सकता है। एंटी-वायरल मेडिसिन से हेपेटाइटिस को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन अगर यह सही से ठीक नहीं हुआ तो कैंसर का खतरा बाद में भी बरकरार रहता है। इसलिए प्रयास करें कि हेपेटाइटिस बी या सी हो ही नहीं। यदि हो तो उसका पूर्णतया उपचार निवारण आवश्यक है।
हेलीकोबेक्टर प्लायोरी बॅक्टर
दुनिया की घनी आबादी के शरीर में ए. पाइलोरी यी हेलीकोबेटर पाइलोरी ग्राहक है। लेकिन इससे नुकसान तो नहीं होता लेकिन 1 से 3 प्रतिशत व्यक्ति में यही कैंसर का कारण बन सकता है। एच पायलोरी पर रिसर्च करने वाली फ्रेड हच कैंसर सेंटर की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नीना सलमा ने बताया कि यह कैंसर का कारण क्यों बनता है, अब तक कोई वैज्ञानिक शोध नहीं मिला है लेकिन बचपन में इस बीमारी से संक्रमण का खतरा था। रहता है. यह संशोधित इंफेक्शन उपहार में दिया गया है। इसके पेचकस अल्सर का इलाज हो सकता है। सामान्य एंटीबायोटिक से इसका इलाज होता है लेकिन इसका कोई लक्षण नहीं दिखता। इसलिए ज्यादातर लोग इसे बिना इलाज के छोड़ देते हैं। यही कैंसर का कारण बनता है. इस रिकॉर्ड में टॉक्सिक प्रोटीन रहता है जो सेल को म्यूटेट कर देता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इस बीमारी का मुकम्मल तरीका से बचाव जरूरी है।
पहले प्रकाशित : 24 सितंबर, 2024, 10:30 IST
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