सेहत – अब मसालों के मरीज भी खाये महंगे चावल, विकसित हुई यह नई फैक्ट्री, नियंत्रण में निरंतर शुगर

मॅग: भारत में मजदूरों की एक ऐसी बीमारी हो गई है, जो लगातार बढ़ती जा रही है। देश में ज्यादातर लोगों की बीमारियां परेशान करती हैं। ऐसे में व्यापारियों के लिए खान-पान में विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है। विशेष कर उन खाद्य पदार्थों की मनाही होती है, जिनमें कार्बोहाइड्रेट एवं ग्लाइसीमिक खाद्य पदार्थ (जीआई)की मात्रा अधिक होती है। ऐसे आटे को चावल खाने में विशेष रूप से शामिल करना होता है। क्योंकि चावल में ग्लिसमिक स्टॉक अधिक होता है।

शुगर के मिश्रण की इस समस्या का समाधान अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने किया है। इंस्टिट्यूट राइस की ओर से ऐसे ही एसोसिएट्स का विकास किया जा रहा है, ग्लाइसेमिक असिस्टेंट्स कम हो, ऐसे इंस्टीट्यूट डायबिटीज (मधुमेह) के लिए ग्लोसीमिक असिस्टेंट्स का विकास किया जा रहा है। सामान्य चावल में जीआई की मात्रा लगभग 60 से 70 पाई होती है, जिसकी शर्करा मात्रा अचानक से बढ़ने का कारण बनती है। लेकिन संस्था द्वारा विकसित चावल की इस नई फैक्ट्री की सबसे खास बात ये है कि इसमें जीआई की मात्रा 50 या उससे भी कम होगी.

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस के दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी के निदेशक डॉक्टर सुधांशु सिंह ने आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं औद्योगिक विश्वविद्यालय के संचालित कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि महाविद्यालय कोटवा का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने लोक-18 को बताया कि विश्व के लगभग 60 प्रतिशत और भारत के लगभग 50 प्रतिशत चावल समुदायों के विकास में यह संस्थान विशेष योगदान दे रहा है। सांस्कृतिक मानविकी विकास संस्थान में विशिष्ट कार्य किये जाते हैं। प्राकृतिक आपदा जैसे कि बाढ़ सूखा आदि विपरीत परिस्थिति में भी किसानों को अच्छा मिल सेक ऐसे जीव जैसे गोल्डन सब -1, सांभा सब -1 आदि का विकास हुआ है। साथ ही यह तकनीक विभिन्न विभिन्न के माध्यम से किसानों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।

कम जीऐ वाले चावल अधिक प्रतिद्वंद्वी

उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा चावल की ऐसी चटनी का विकास किया गया है। फ़्लोरिडा ग्लाइकोमिक वैज्ञानिक कम हो, एसीलॉजिकल डायबिटीज़ (मधुमेह) के लिए समृद्धि साबित होगी। घर में इस्तेमाल होने वाले सामान्य चावल का ग्लिस्मिक स्टॉक लगभग 70 के करीब होता है। लेकिन इस नए ब्रांड के चावल का ग्लिसमिक स्टॉक 50 या इससे भी कम होगा। ऐसे में शुगर के मरीज़ के लिए या चावल बिल्कुल ख़राब नहीं होगा।

सहकर्मियों से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रचुर मात्रा में वर्जिन का उत्पादन नहीं हो पाता। इसके पीछे वजह यह है कि वर्कआउट के दायरे में दस स्टॉक शामिल हैं। ऐसे में इस नए चावल के विकास से मधुमेह के रोगियों को चावल न की समस्या से जूझना पड़ता है और वह चाहती हैं कि आप अपने चावल का सेवन कर सकें।


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