सेहत – लिवर को अंदर तक दिखाता है ये बीमारी, सार्जेंट तक नहीं पता, आखिर होता है कैंसर, ये है बचाव का उपाय

MASLD-लिवर रोग: मेटाबॉलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टियोटियोलॉजी लिवर डिजीज। क्या आपने कभी इस तरह की बीमारी का नाम सुना है. शायद ऐसा नहीं सुना होगा क्योंकि कुछ समय पहले तक इसे भी नॉन-अल्कोहलिक फैमिली लिवर डिजीज ही कहा गया था लेकिन अब इसे यह बीमारी यानी MASLD माना गया है। इस बीमारी का पता कई साल पहले तक नहीं चला। लिवर में एमएसएलएसडी की बीमारी तब होती है जब लिवर में फैट यानी अतिरिक्त चर्बी का जमावड़ा शुरू होने लगता है। इससे लीवर में सूजन और पित्ताशय की सूजन शुरू हो जाती है और सिरोसिस या लीवर कैंसर हो जाता है। हाल के वर्षों में यह बीमारी तेजी से बढ़ती जा रही है।

एमएसएसएलडी क्या है?

न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार जब लिवर में सबसे ज्यादा चर्बी जमने लगती है और इसके साथ ही शरीर में मेटाबोलिक से संबंधित अन्य विकार जैसे मोटापा, हाई ब्लड शुगर या हाई ब्लड शुगर कम हो जाता है तो एमएल एसएलडी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसमें शामिल मरीज़ों में से चार में से एक मरीज़ इसी मेटाबॉलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टीयटेहेपेटाइटिस यानी माश से पीड़ित होते हैं। न्यूयॉर्क में इकान स्कूल ऑफ मेडिसीन, माउंट सिनाई में लिवर डिजीज विभाग के प्रमुख डॉ. मीना बी. बाक़ी शिष्यों का कहना है कि लिवर में जमा चर्बी पूरे लिवर को घेर लेती है और इसमें सूजन आ जाती है यानी एक तरह से सूजन बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे घाव में सूजन हो जाती है। यह सिरोसिस हो जाता है और इसके कारण लिवर फेल्योर या लिवर कैंसर होने लगता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो मेडिसीन की मैरी रिनेला ऐसा कहा जाता है कि सिरोसिस बीमारी का पता कई प्राचीन तक नहीं चलता, लेकिन माश का पता तो कई प्राचीन तक नहीं चलता। उन्होंने बताया कि जब इस बीमारी के कारण लिवर फंक्शन में खराबी आती है तब पेट में फ्लूड जमा हो जाता है और इससे जॉन्डिस होता है या खून में टॉक्सिन बनता है। इस स्थिति में मरीज हमेशा कंफ्यूजन में रहता है।

किन लोगों का ख़तरा ज़्यादा है

दोस्तों की सलाह जो लोग मोटो होते हैं और टाइप 2 वर्कआउट का शिकार होते हैं और खास तौर पर ऐसे लोग जिनमें टाइप-2 वर्कआउट या गिरोह के साथ पेट के पास ज्यादा चर्बी जमी होती है तो उन्हें मैश का खतरा ज्यादा होता है। वास्तव में, जब रिवाइवल रेजिस्टेंस हो जाता है या बहुत अधिक मात्रा में रासायनिक तत्व होते हैं तो सैचुर में चित्रित फ़ीचर और कार्बोहाइड्रेट लैक्टेट लिवर में चार्बी को बढ़ाने का अनुमान लगाया जाता है। इससे लीवर में चोट भी लग जाती है।

पूर्वी तक पता क्यों नहीं

वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन में लिवर डिपार्टमेंट का प्रबंधन डॉ. अरुण सान्याल उन्होंने बताया कि जब लिवर में सूजन शुरू होती है तो लिवर में बनने वाला कोल ही खत्म हो जाता है। इसलिए सेरिएस्ट तक इसका पता नहीं चलता है लेकिन एक समय के बाद जब बहुत अधिक चर्बी लिवर बन गया तो उस मात्रा में लिवर कोल का उत्पादन नहीं हो पाया जिसके कारण बीमारी फैल गई और जॉन्डिस या सिरोसिस का पता नहीं चला .

कैसे बचाये

डॉ. बैसाख ने बताया कि शुरुआती स्टेज में एमएल एसएलडी को आसानी से बचाया जा सकता है। इसके लिए केवल वजन में कमी और कणों को इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। जब आपका वजन कम होगा और आपके भोजन में फैट की मात्रा नहीं होगी तो लिवर में नए लिवर से चर्बी जमा नहीं होगी और इस स्थिति में लिवर में कोल ज्यादा हो जाएगा जिससे लिवर के अंदर की सूजन खत्म हो जाएगी। इसलिए डॉक्टर का कहना है कि हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट का एयरोबिक अपराध और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करना चाहिए। साथ ही हरी पत्ती वाले पत्तेदार, त्रिफल फल, साबुत अनाज, बीज, अंगूर के पत्तों का सेवन किया जाना चाहिए।

पहले प्रकाशित : 3 अक्टूबर, 2024, 14:09 IST


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