सेहत – बिहार-झारखंड में तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले, शुरुआती पहचान में नहीं आई बड़ी संख्या, 7 टीमों में शामिल हैं संकेत

बिहार झारखंड में कैंसर के मामले: बिहार और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं जहां कैंसर से जुड़ी जरूरी चीजों की बहुत ज्यादा कमी है। यही कारण है कि बिहार और झारखंड में कैंसर से बचाव वाली मशीनें बहुतायत में हैं। वहीं इन तीनों राज्यों में कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी और समय पर इसकी पहचान न हो पाना भी प्रमुख कारण है। महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र के अनुसार बिहार और झारखंड में 2.5 लाख से ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। हर साल इन दोनों राज्यों से 80 हजार कैंसर के नए मामले आ रहे हैं। हालांकि पटना स्थित मेदांता के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन प्रसाद के मुताबिक बिहार में अकेले 1.20 लाख कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं. यहां कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी बहुत ज्यादा है.

कैंसर के मामलों में तेजी की वजह क्या है?
बिहार मेडिकल फर्म के सदस्य और कैंसर विशेषज्ञ डॉ.अंशुमान कुमार उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड में जो लोग महासभा पीढ़ी के हैं, वे सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। वे कैंसर के लक्षण जिन्हें शुरुआत में पहचाना नहीं जा सका और जब आसपास किसी से सलाह भी ली गई तो उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा छात्र सेवा का अभाव भी इस बीमारी को बढ़ाने में और भारी योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों को जल्दी पहचानना और रोकना बेहद जरूरी है। इसके लिए कैंसर के प्रति जागरूकता लाना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था बिहार-झारखंड में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बेहतर बनाने में योगदान दे रही है और यह सुनिश्चित करना है कि बिहार और झारखंड के हर कोने से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र तक हमारा सामूहिक कर्तव्य है। बिहार मेडिकल फर्म के सदस्य डॉ.राकेश नाथ प्रसाद ने कहा कि बिहार-झारखंड में कैंसर या नॉन-कम्युमिक एन्जल डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में यहां दांतों की प्रारंभिक पहचान, बीमारी की रोकथाम और मजबूत स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मजबूत प्रणाली का निर्माण करना होगा। साथ ही लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी।

कैंसर के प्रारंभिक लक्षण

1. थकान-जॉन हॉपकिंस मेडिकल स्कूल के अनुसार लगातार थकान हो तो इसे पढ़ाई में न लें। अगर कार्यभार के बाद भी थकान बनी रहती है तो यह आम बात है लेकिन रात तक रिलेक्स आना ठीक है लेकिन जब थकान बनी रहती है। सुबह का नोटिफिकेशन ही शुरू हो जाए तो इसे अनारक्षित से लें क्योंकि इसमें कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। थकान के कई कारण होते हैं इसलिए जरूरी है कि थकान से कैंसर ही न हो, इसलिए अच्छे डॉक्टर से कहें तो पता लगाएं कि वास्तव में क्या है।

बुख़ार-ठंड लगने पर, फ्लू आदि में बुखार लगना समान बात है लेकिन बार-बार बुखार आना शुभ संकेत नहीं है। ये कैंसर के लक्षण भी हो सकते हैं. अगर रात में बुखार आ जाए और इसके साथ खाना भी खाया जाए और आपको कोई संक्रमण न हो तो यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे मामलों में तुरंत अच्छे डॉक्टर से दिखाना जरूरी है।

दर्द-दर्द के कई कारण हैं. जरूरी नहीं हर दर्द कैंसर ही हो। लेकिन अगर कोई दर्द लगातार हो रहा है तो इसका मतलब है कि कुछ भी अंदर की बीमारी नहीं है। यह ट्यूमर का कारण भी हो सकता है। कैंसर की कीमत जो केमिकल रिलीज होती है, उसका भी दर्द हो सकता है। इसलिए इसे अंतिम रूप न दें. डॉक्टर से.

स्कार्फ में बदलाव– आमतौर पर जब जॉन्डिस की बीमारी होती है तो त्वचा के रंग पीले पड़ जाते हैं लेकिन अगर त्वचा के बिना त्वचा के किसी भी हिस्से में रंग बदल दिया जाता है। वहां यह सीमा की तरह गंभीर हो जाए, त्वचा अधिक गहरा हो जाए या मस्सा आ जाए तो कैंसर के संकेत हो सकते हैं।

तिल के रंग में बदलाव-यदि शरीर के किसी भी हिस्से में तिल है और तिल का रंग, रूप या आकार बदलता है तो यह भी कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से संपर्क करना चाहिए।

आवाज में भारीपन-अगर आवाज में अचानक भारीपन आने लगे, खाने में परेशानी हो, गले में दर्द हो और यह दवा भी ठीक न हो, तो इसे चुनें से लें। ऐसे लक्षण हैं मौखिक कैंसर के मजबूत संकेत।

बिना वजन वजन में कमी-अगर बिना वजन के वजन में अचानक कमी हो जाए तो यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

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