सेहत – आपकी सोच से बड़ा खतरनाक है दिल्ली का पॉल्यूशन, दुनिया की 15 फीसदी आबादी में 15 फीसदी का पॉल्यूशन, कैसे निश्चेत इससे

अभी एक हफ्ते से भी ज्यादा समय हो गया है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह से धुंध के बादल छाए हुए हैं, वह यहां रहने वाले लोगों के लिए खतरे की घंटी है। सलाहकार का मानना ​​है कि दिल्ली पॉल्यूशन आपकी सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है। आरोपियों का कहना है कि दिल्ली में पॉल्यूशन की वजह से सांसों से जुड़े सेक्टर में 15 प्रतिशत की तेजी आई है। राजधानी या दिल्ली में रहने वाले लोगों के नाकों में यह दम करना जरूरी है। इस पॉल्यूशन से सुपरमार्केट वाली गैसें दूर-दूर तक प्रभाव डाल रही है। यहां का एयर पॉल्यूशन स्टॉलर्स 385 का कैरेट भी पार कर गया है।

छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा
टीओआई की खबर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में रिस्पाय रेस्टोरेंट डिजीज के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. राइसा का कहना है कि इस बार नवंबर से पहले राजधानी सांसों से जुड़े राजेश चुनौती वाले की समस्या बढ़ने वाली है। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से ऐसे प्लास्टिक वाले बस्ती की तादात 15 प्रतिशत तक बढ़ने वाली है। उन्होंने बताया कि एयर पॉल्यूशन पीपीओ किस तरह का है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर से लेकर सामाजिक स्तर, सामूहिक स्तर और सरकारी स्तर पर अतिशीघ्र ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में सबसे पहले लोगों को बाहरी बनावट समय एन 95 स्तर से बाहर रखा जाना चाहिए।

राम मनोहर नाव में स्पेशल नाव
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राममनोहर प्रयोगशाला अस्पताल में प्रदूषण से प्रभावित प्रदूषण के लिए अलग से व्यवस्था की गई। इसके लिए अलग से समुद्री डाकू बनाए गए हैं जहां लोग आंखों में ज्यादा पानी, कफ, नमकीन-खांसी की फरियाद लेकर आते हैं। मेडिकल सुप्रीडेंटेंड डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से हमारे समुद्री जीवों से संबंधित रिलैक्स, आँख, त्वचा, कुर्सी में दर्द के टुकड़ों को लेकर प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसलिए हमने स्पेशल एसेट का निर्णय लिया है।

घटेगी उम्र
सी के बिड़ला अस्पताल, गुड़गांव के क्रिटिकल केयर एंड पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. बादाम कुमार ग्रोवर ने बताया कि दिल्ली का एयर पॉल्यूशन बेहद खतरनाक होने वाला है। विशेष रूप से इस बिंदु में क्योंकि यहां क्रैक्शन से माउंटेड पॉल्यूशन, पराली में आग, इंडस्ट्री से आउटपुट पेस्ट इसे और बढ़ाया जा रहा है। इससे लोगों की उम्र घट रही है। इसके साथ ही हार्ट डिजीज, सांस से संबंधित शर्त आदि का खतरा भी बढ़ गया है।


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