सेहत – यूपी के किसान ने कर दिया कमाल, घर में ही डाला बिना केमिकल के एलोवेरा का सिरका, पेट की भूख के लिए है रामबाण

उत्तर: यूपी के अप्लाई में किसान आंदोलन की खेती के लिए तो बहुत ही मशहूर हैं। ऐसे ही यहां के किसान एक अलग ही पहचान रखते हैं. वहीं, तेलंगाना के बेहट गांव नुनिहारी के रहने वाले किसान सुरंद्र कुमार ने इस बार एलोवेरा का सिरका तैयार किया है। इस सिरके का उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।

जानें, महीने में कितने बजे तैयार होता है सिरका

बता दें कि सिरका कई तरह की बेकार में खतरनाक होता है। इससे पहले भी किसान सुरन्द्र कुमार विभिन्न प्रकार के सिरके तैयार कर चुके हैं। सुंदर कुमार के सिरके की खास बात यह है कि वह हर तरह से बात करते हैं। बाजार में बिकने वाले अन्य सिरकों से काफी तेज और उनके डिजाइन काफी अधिक हैं। सिरका तैयार करने में लगभग 3 महीने से लेकर 6 महीने का समय लगता है।

जानें सिरका कैसे तैयार करें

ऐसे में किसान सुरन्द्र कुमार ने एलोवेरा का 200 लीटर सिरका तैयार किया है। एलोवेरा सिरका लेने के लिए अन्य लोग भी सुंदर कुमार के पास हैं। एलोवेरा के सिरकेर सुरेंद्र कुमार के कृषि विभाग द्वारा खरीदे गए प्लॉट में भी बहुत बिकता है। वहीं, दाम की बात करें तो 750ml की बोतल 200 रुपये में मिलती है। यह सिरका पेट की बीमारी में काफी जादुई बताया जाता है।

200 लीटर सिरका तैयार हो चुका है

किसान सुरंद्र कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि एलोवेरा ह्यूमन बॉडी के लिए बड़ा ही राइडर है। त्वचा के लिए एलोवेरा का काफी इस्तेमाल किया जाता है। किसान ने बताया कि सिरका से हर चीज बनाई जा सकती है। वह लंबे समय तक किसी भी सब्जी या फल के गुणों को सैकडो गेन बराबार के बिना किसी संरक्षित के संरक्षित करने के तरीके को सिरका कहते रहे हैं।

पुरानी से मिली थी सीख

किसान ने यह भी बताया कि उनका यहाँ का युग एक बहुत शक्तिशाली विज्ञान था। लगभग 3 से 6 महीने में एलोवेरा का सिरका अवतार तैयार हो जाता है। उत्तर प्रदेश के कई नारियल सहित अन्य पड़ोसी प्रदेश हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड से भी लोग सुरके कुमार के सिरके को लाइक करने के लिए उनके घर पर हैं। यह सिरका किसी दुकान पर नहीं, बल्कि किसान के घर पर ही खरीदा जाता है।

ऐसे तैयार होते हैं एलोवेरा का सिरका

सुंदर कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि सबसे पहले वह एलोवेरा अपने खेत में थे। Chask r एलोवे के पेड़ से उसके उसके पत उसके उसके e को e कलेक e कलेक e कलेक इसके बाद बचे हुए गुड्डा को डॉक्टर में शामिल कर सिरके के लिए निकाल दिया गया, टॉकी सिरका तैयार करना होता है। उसका आधा एलोवेरा लिया जाता है. फिर इसमें पानी डाला जाता है और फर्मेंटेशन के लिए देसी गुड़ का उपयोग किया जाता है।


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