सेहत – दिल्ली का प्रदूषण इन लोगों के लिए है घिनौना, डॉक्टर ने दी ये सलाह, नहीं मानेंगे तो कर दीजिए आईसीयू की सैर
दिल्ली/अंजलि सिंह राजपूत: दिल्ली का प्रदूषण अपना रिकॉर्ड तोड़ता हुआ नजर आ रहा है। दिल्ली का AQI लगातार बेहद खराब श्रेणी में चल रहा है। दिल्ली का प्रदूषणकारी रूप तो सभी लोगों के लिए बेहद आकर्षक है, लेकिन सात तरह के जीव ऐसे हैं अगर इनमें से कोई भी प्रदूषणकारी नहीं रह गया है तो उनके लिए यह बेहद आकर्षक साबित हो सकता है। ऐसे ही एक कारखाने को यह प्लास्टिसिन स्टूडियो तक की सैर करा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन हैं ये सात आश्रम तो लोकल18 ने इन सात चैलेंजर्स के बारे में बताया जब दिल्ली के मशहूर पामॉन और मैक्स हॉस्पिटल के मशहूर पल्मोनोसिस और चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंकित भाटिया से बात की, तो उन्होंने बताया कि ये सात रोग विशेषज्ञ हैं। दमा, कैंसर, मलेरिया, हृदय रोगी, किडनी और अल्ट्रासाउंड के साथ ही क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रोगी। इनके लिए यह दिल्ली का प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
जल्दी होता है संक्रमण
डॉ. अंकित भाटिया ने बताया कि हृदय रोगी, दमा, स्कोपी पी.डी., कैंसर, मलेरिया या अल्ट्रासाउंड प्रयोगशाला से प्रशिक्षण ले रहे लोगों की सामुदायिकता प्रणाली से पहले रोग क्षमताएं बहुत कम हो जाती हैं और इस कारण से व्यवसाय में जल्दी-जल्दी संक्रमण होने लगता है। ऐसे में अगर ये लोग दिल्ली के प्रोडक्ट्स के प्रदूषण में बार-बार निकलेंगे या बिना मास्क के निकलेंगे या कोई भी पीस बनाते हैं, तो उनके लिए ये प्रदूषण काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इससे संबंधित साइंटिस्ट तक की सैर करना पड़ सकता है। ऐसे में ये लोग प्रदूषण से बचे हुए हो सके खुद को बचाने का प्रयास करें।
बच्चों की भी प्रस्तुति प्रक्रिया
डॉ. नारियल भाटिया ने बताया कि बच्चे बेहद संवेदनशील होते हैं। खास तौर पर नवजात शिशु से लेकर के 13 साल तक की उम्र के बच्चे काफी आकर्षक होते हैं। अमेरिकन इम्यूनिटी सिस्टम भी काफी ख़राब होता है। ऐसे में अगर बच्चा बार-बार प्रदूषण में बाहर निकलेगा, तो भविष्य में पिशाच दामा, डीपीपीडी यहां तक कि कीड़े का कैंसर तक हो सकता है। ऐसे में बच्चों के माता-पिता की खास प्रक्रिया। कोशिश करें कि बच्चा इस प्लास्टिक के बाहरी आवरण में दिखाई दे। स्कूलों में दुकानें चल ही रही हैं। अगर बच्चे को बाहर ले भी जाते हैं तो मास्क, कपड़े ही बाहर निकालते हैं। क्योंकि प्रदूषण के जो कण होते हैं वे पृथ्वी के माध्यम से शरीर के भीतर चले जाते हैं। बच्चे उन्हें बाहर नहीं छोड़ते हैं। जबकि बड़े लोग तरह-तरह के उपाय करके बाहर निकाले जा सकते हैं। जैसे कि बलगम को बाहर निकालने की प्रक्रिया बड़ों को पता होती है लेकिन बच्चों के लिए यह काफी मुश्किल होता है।
पहले प्रकाशित : 27 नवंबर, 2024, 09:10 IST
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