सीतापुर में महिला लेखपाल के निलंबन पर लेखपालों का आक्रोश, धरने पर बैठे दर्जनों कर्मचारी

सीतापुर (ब्यूरो): मिश्रिख तहसील परिसर में आज एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। एसडीएम के द्वारा एक महिला लेखपाल को निलंबित किए जाने के विरोध में दर्जनों लेखपाल धरने पर बैठ गए हैं। लेखपालों ने कार्य बहिष्कार करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन किया है।

क्या है पूरा मामला?
महिला लेखपाल को निलंबित किए जाने की असली वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। लेखपालों का आरोप है कि एसडीएम ने बिना किसी जांच के महिला लेखपाल को निलंबित कर दिया है। इस मनमाने फैसले से लेखपालों में काफी रोष है। लेखपालों का कहना है कि वे महिला लेखपाल के निलंबन को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

लोगों पर क्या असर?
लेखपालों के धरने के कारण आम जनता को काफी परेशानी हो रही है। खसरा, किसान सम्मान निधि, आय, जाति व निवास आदि प्रमाण पत्र बनवाने आए लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। कई लोगों को बिना काम के वापस लौटना पड़ रहा है।

लेखपालों की मांग है कि महिला लेखपाल का निलंबन तत्काल रद्द किया जाए। साथ ही, उन्होंने एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। लेखपालों का धरना जारी रहने की स्थिति में प्रशासनिक कामकाज बाधित हो सकता है।

जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का क्या कहना है?
इस मामले पर अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है।

यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के मनमाने रवैये का एक उदाहरण है। एक महिला लेखपाल को बिना किसी जांच के निलंबित करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह महिलाओं के साथ भेदभाव का भी एक उदाहरण है। लेखपालों का धरना इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन में सब कुछ ठीक नहीं है।

यह मामला कई सवाल खड़े करता है। यह देखना बाकी है कि प्रशासन इन सवालों का जवाब कैसे देता है।

क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करेगा?
क्या महिला लेखपाल को निलंबन से बचाया जा सकेगा?
क्या एसडीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी?
क्या इस मामले से प्रशासनिक व्यवस्था पर कोई असर पड़ेगा?

सीतापुर में लेखपालों का धरना एक गंभीर मामला है। यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के मनमाने रवैये और महिलाओं के साथ भेदभाव का एक उदाहरण है। इस मामले पर प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

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