आगरा टैक्सेशन बार एसोसिएशन की आकस्मिक बैठक: अधिवक्ताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा
आगरा : 29 अक्टूबर 2024 को जिला-जज गाजियाबाद के न्यायालय कक्ष में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज को लेकर आगरा की टैक्सेशन बार एसोसिएशन की एक आकस्मिक बैठक संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सहगल एडवोकेट की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस सभा का संचालन महासचिव संजय भटनागर, एडवोकेट द्वारा किया गया। बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने गाजियाबाद में अधिवक्ताओं के खिलाफ हुई हिंसक कार्रवाई की घोर भर्त्सना की गई और सर्वसम्मति से निन्म प्रस्ताव पारित किया गया
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रभावित अधिवक्ताओं को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए । इसके साथ ही, अधिवक्ताओं के खिलाफ दायर किए गए फर्जी मुकदमों को वापस लिए जाने की मांग भी की गई।
जिला जज न्यायालय कक्ष में उपस्थित निहत्थे अधिवक्ताओ पर लाठी चार्ज में दोषी पूलिस कर्मियों को निलंबित कर उनके विरुद्ध FIR दर्ज की जाये ।
बार कौसिल आफ इड़िया तथा बार कौसिल आफ उत्तर प्रदेश द्वारा इस प्रकरण पर एक कमेटी गठित कर इस मामले की जांच कराई जाये और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाये ।
बैठक ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से अनुरोध किया कि इस प्रकरण की जांच के लिए एक समिति गठित की जाए, ताकि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो सके। सदस्यों ने गाजियाबाद बार एसोसिएशन को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए यह निर्णय लिया कि जब तक आवश्यक कार्रवाई नहीं होती, टैक्सेशन बार एसोसिएशन के सभी सदस्य प्रतीकात्मक रूप से बाजू में काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। इसके अतिरिक्त, सभी सदस्यों ने दिनांक 7 नवंबर 2024, गुरुवार को GST कार्यालय के सभी खंडों और सभी न्यायालयों में कार्य बहिष्कार करने का संकल्प लिया।
सभा में मोनिल अग्रवाल, अनिल आदर्श जैन, अरुण बंसल, रशीद खान, अरुण सक्सेना, अखिलेश भटनागर, अनुराग भटनागर, निखिल अग्रवाल, सोनाल स्वरूप, सुनील शर्मा, विशाल बिंदल, बी. एस. बधेल, राकेश बाबू गर्ग, मनोज त्रिपाठी, रवि अग्रवाल, आशीष बंसल, कृष्ण मुरारी अग्रवाल, मुईन कुरैशी, अजीत जादोन, उदयवीर सिंह, योगेश बाबू अग्रवाल सहित कई अन्य सदस्य शामिल थे।
इस प्रकार, आगरा की टैक्सेशन बार एसोसिएशन ने एकजुटता और समर्थन की भावना के साथ अधिवक्ताओं के अधिकार की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। यह सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि न्यायपालिका के सदस्यों के प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा या उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।