खेग्रामस के बैनर तले तीन पंचायतों में मनरेगा मजदूरों ने प्रतिरोध मार्च निकालकर फूंका पूसा के पीओ का पुतला

फर्जी निकासी, फर्जी हाजिरी एवं फर्जी फोटो का मनरेगा में होता इस्तेमाल, पीओ ने भ्रष्टाचार का तोड़ा रिकॉर्ड :- अमित कुमार

जिनके खाते में फर्जी हाजिरी से मनरेगा का पैसा जाता है उन्हें खुद पता नहीं है कि किस योजना का पैसा उनके खाते में आया है एवं उन्होंने कहाँ पर, कितने दिन काम किया है, पीओ भाकपा-माले नेताओं के साथ जांच में चलें..

फर्जी हाजिरी बनती है सैकड़ों मजदूरों की लेकिन कार्यस्थल का मुआयना करने पर एक भी मजदूर दिखाई नहीं देते :- खेग्रामस

पूसा, 20 सितंबर 2024/ पूसा प्रखंड में मनरेगा योजनाओं में लूट-खसोट, भ्रष्टाचार, फर्जी हाजिरी, फर्जी फोटो अपलोड करने, एक ही फोटो का इस्तेमाल कई योजनाओं में करने, रात में मजदूरों से काम कराने, प्राक्कलन के हिसाब से काम नहीं कराने, प्राक्कलन में गड़बड़ी कराने आदि के संरक्षक पूसा मनरेगा पीओ का अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के बैनर तले कुबौलीराम, बथुआ एवं धोबगामा पंचायत के मनरेगा मजदूरों ने प्रतिरोध मार्च निकालकर पुतला फूंका। इस दौरान मजदूरों ने पीओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा मनरेगा में काम की मांग की। इस दौरान आयोजित सभा की अध्यक्षता खेग्रामस प्रखंड सचिव सुरेश कुमार ने की। इसमें बतौर मुख्य अतिथि भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार उपस्थित थे।
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार ने कहा है कि पूसा के मनरेगा पीओ ने मनरेगा में लूट मचाने की खुली छूट दे रखी है। एक भी सही मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। दो दिन से योजना स्थल पर खुद जाकर देख रहा हूँ, पंचायतों में सैकड़ों मजदूरों की फर्जी हाजिरी बनती है लेकिन कार्यस्थल का मुआयना करने पर एक भी मजदूर दिखाई नहीं देते। पीओ ने भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इनकी चल- अचल संपत्ति की जांच कराने की मांग की जाएगी। एक ही फर्जी फोटो का इस्तेमाल कई योजनाओं में किया जाता है।

उन्होंने कहा है कि डीएम साहब, पूसा प्रखंड के किसी भी योजना का मास्टर रौल एवं हाजिरी के दिन का अपलोड किया गया फोटो, का मिलान करें एवं मास्टर रौल के हिसाब से जिनके- जिनके खाता में मनरेगा का पैसा गया है, एक-एक फर्जी मजदूर से मिलकर पूंछे कि उन्होंने कहाँ पर काम किया था एवं किस योजना में काम किया था, भाकपा-माले का 100% दावा है कि फर्जी मजदूर नहीं बता पाएंगे कि उन्होंने कहाँ पर कौन-सा कार्य किया है, एवं कितने दिन कार्य किया है। मनरेगा में सब कुछ फर्जी चल रहा है। जिनके खाते में पैसा गया है उन्हें खुद पता नहीं है कि किस योजना का पैसा उनके खाते में आया है एवं उन्होंने कहाँ पर, कितने दिन काम किया है। इसकी जांच होने पर बड़ा घोटाला सामने आएगा।

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