सेहत – योगा से ही होगा…यूट्यूब से नहीं, योग गुरु से सीखें नेत क्रिया, जानें ट्रिक क्या है सेहत के लिए बेहद शानदार

क्या आपने नेति क्रिया का नाम सुना है? नहीं, तो आज जान लीजिये. नेति नाक, आंख, गला, कान की उंगलियों को सीधा रखने वाला काम है। इसकी प्रक्रिया यह है कि सूत से बनाई जाती है या फिर रबर की किसी भी पल्टी को नाक में डालकर उसके मुंह से बाहर निकाल दिया जाता है। रबर की पाइप के समान ही मोती या प्लास्टिक की थैली होती है।

इसे नाक से डाल कर मुंह से बाहर निकाला जाता है। ये क्रिया दोनों नासिका छिद्रों से एक के बाद एक होती है। लंबे समय तक अभ्यास करने के बाद बहुत से लोग नेति के सूत्र की गहराई बढ़ाते हैं। लेकिन शुरूआती चरण सूतों से बनी एक आदमी से की जाती है। कई इस पर माँ का लेप भी काॅलेज हैं। ये शुद्ध कॉटन सूत से बनी है. नेति अष्टांग योग का हिस्सा है. बल्कि कहते हैं कि योग के कर्म से पहले ये शुद्धि का एक तरीका है। जैसे दांतों पर मंजन करके दांत साफ किए जाते हैं, वैसे ही नेति नाक और उससे जुड़े व्यक्तियों के दूसरे सिद्धांतों को साफ किया जाता है। नेति सूत्र 9 इंच का होना चाहिए.

नेति कर्म का उल्लेखित योग प्रदीपिका में आता है –

सूत्रं वितस्ति सुस्निग्धं नासानाले प्रवेशयेत्,
मुखत्रिगमयेच्चैश्च नेतिः सिद्धैर्निग्द्यते।

नेति का कर्म योग छह कर्मों का भाग है। उदाहरण के लिए षट्कर्म कहते हैं. षटकर्मों में वस्ति, धौति, नौली, नेति, कपालभाति और त्राटक। इन छह तरीकों से इंसान अपने शरीर को साफ कर सकता है, योग उसे और उच्च साधना के लिए उपयुक्त बना सकता है। इसमें वस्ति बड़े पेट की सफाई होती है, तो धौती और नौली से छोटे आंत और पेट की सफाई होती है। नेति नाक और मुंह सहित कान की सफाई करती है। जबकि कपालभाति फेफड़े की शुद्धि और त्राटक नेत्रों की ज्योति बढ़ाने का काम करती है। यहां ये भी जान लिया जाता है कि इसमें एक-दूसरे की मदद की जाती है।

खैर, चर्चा नेति की चल रही है। नेति करने से बहुत सारी मजबूरी से हम बच सकते हैं। स्वस्थमंद रह सकते हैं. नेति के दो प्रकार हैं. एक सूत्र नेति पर चर्चा ऊपर दी गई है। जबकि जल नेति भी नेति का एक हिस्सा है। जैसा नाम से साफ है जल नेति में जल का प्रयोग होता है। जल नेति से बहुत से आधुनिक डॉक्टर भी बहुत सहमत हैं।

नाक के एक छेद वाले पानी से भरा हुआ वो दूसरा छेद वाला पानी से भरा हुआ लगता है। इसे ही जल नेति कहते हैं. अपनी पुस्तक ‘स्वर योग’ में योगी राजबली मिश्र धातु हैं- ‘सूत्र नेति के बाद जल नेति करना जरूरी है। ऐसा ही एक तरीका है कि किसी भी तरह की सफाई के लिए सिर्फ झाड़ू लगाने से पानी नहीं डाला जा सकता है। या फिर पानी दाल के उस पर झाड़ू न फेरी जाए तो सफाई पूरी तरह से नहीं हो सकती।’ वैसे सूत्र नेति के अंतिम छोरों पर धागों को इस तरह से खुला रखा जाता है जिससे वे झाडू जैसी ही काम करती हैं। धागों का ये नामांकित साड़ी कचरा बाहर निकालने में मदद करता है।

सूत्र नेति और जल नेति के अलावा दूध नेति, घी नेति और मधु नेति के भी विधान बताए गए हैं। इन कार्यों का अलग-अलग असर होता है। हालांकि एल पैथी के डॉक्टर पर इसका असर लेकर एकमत नहीं है। लेकिन जल नेति को लेकर कोई विरोध नहीं है. उल्टी जल नेति, अर्थात व्युत्क्रम नेति के अंतर्गत मुंह में पानी भर कर उसे नाक के रास्ते बाहर निकालना होता है। इससे भी बहुत फायदा होता है.

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खास बात ये है कि नेति नाक में होती है, लेकिन इसका असर नाक, कान, आंख और सिरदर्द तक होता है। योग और अभ्यास करने वालों का दावा है कि नेति करने से सिरदर्द नहीं होता। अगर ये समस्या भी है तो चौंका दिया जाता है. सबसे पुराना होना कम हो जाता है। आँखों की रोशनी पर भी इसका स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे किसी उपयुक्त योगाचार्य से ही सीखना चाहिए। अपने से ही या कोई भी वीडियो देख कर इसका अभ्यास करना खतरनाक हो सकता है। साथ ही योग की सारी क्रियाएं स्वस्थ व्यक्ति के लिए ही है। अगर किसी को नाक में कोई दिक्कत हो, तो उसकी शुरुआत बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। उसे अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

(अस्वीकरण- योग की क्रियाएं सामान्य व्यक्ति के लिए होती हैं। अगर शरीर में किसी भी तरह का रोग पहले से हो तो योग की कोई भी क्रिया करने से पहले योगाचार्य और अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी चाहिए। आपके मन से कोई भी योगिक क्रिया करने से नुकसान हो सकता है।)


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